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General Upendra Dwivedi: 'भारत की विदेश नीति अब ज्यादा मजबूत और सक्रिय हो गई', भारतीय सेना प्रमुख का बयान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 16 Mar 2025 09:51 PM IST
सार

भारतीय सेना प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति को और सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि वह वैश्विक स्तर पर अपनी उचित स्थिति हासिल कर सके। इसके साथ ही, रक्षा बजट और सामाजिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है, क्योंकि भारत को अपनी सुरक्षा भी मजबूत करनी है और विकास को भी प्राथमिकता देनी है।

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Indian Army Chief Gen Upendra Dwivedi says, India's international posture is now more dynamic and assertive.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी, भारतीय सेना के प्रमुख - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति अब ज्यादा सक्रिय और सशक्त हो गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2015 में विदेश सचिव एस. जयशंकर के एक ऐतिहासिक बयान के बाद भारत ने खुद को संतुलनकारी शक्ति के बजाय प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा। भारत की विदेश नीति में बदलाव जनरल द्विवेदी ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा, '2015 में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत संतुलन बनाए रखने वाला देश नहीं बल्कि एक अग्रणी शक्ति बनना चाहता है। यह भारत की विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था'।
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हमें और बेहतर होने की जरूरत है- उपेंद्र द्विवेदी
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या रूस से तेल आयात करना, कुछ खास देशों को हथियार बेचना, और एक अच्छे पड़ोसी से अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से रखना, इन सबका मकसद भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना है? उन्होंने कहा, 'हम शायद अब भी केवल प्रतीकात्मक जवाब पाने तक ही सीमित रह गए हैं। हमें और बेहतर होने की जरूरत है'।  



'विकसित भारत 2047' से जुड़ी संभावनाएं
जनरल द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत 2047' विजन में एक बड़ी संभावना है, जिससे भारत उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में अपनी सही जगह हासिल कर सकता है। उन्होंने चिंता जताई कि दुनिया भर में रक्षा बजट तेजी से बढ़ रहा है और 2023 में वैश्विक रक्षा खर्च 2.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। उन्होंने सवाल उठाया, 'हमारे देश में सामाजिक क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण जरूरतें हैं। ऐसे में, क्या हम इस खर्चीली दौड़ का हिस्सा बन सकते हैं?'।  लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत **एक अस्थिर पड़ोस में स्थित है, जहां सुरक्षा चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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