सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Indian Army gajraj corps built new monorail system for mountains Scindia says proof indigenous talent

Indian Army: सेना ने पहाड़ों के लिए बनाया नया मोनोरेल सिस्टम, सिंधिया बोले- स्वदेशी प्रतिभा का प्रमाण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sat, 15 Nov 2025 06:43 PM IST
सार

अरुणाचल के कमेंग सेक्टर में भारतीय सेना की गजराज कॉर्प्स ने 16 हजार फीट की ऊंचाई पर स्वदेशी मोनोरेल सिस्टम तैयार किया है। इस पर सिंधिया ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए लिखा कि ये स्वदेशी प्रतिभा का प्रमाण है। बता दें, यह सिस्टम एक ट्रिप में 300 किलो से अधिक भार ढो सकता है और उन क्षेत्रों में सप्लाई पहुंचाएगा जहां सड़कें नहीं हैं और हेलिकॉप्टर भी नहीं पहुंच पाते।

विज्ञापन
Indian Army gajraj corps built new monorail system for mountains Scindia says proof indigenous talent
पहाड़ों के ऊपर चलती हुई मोनोरेल - फोटो : X-@JM_Scindia
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम हिमालयी इलाकों में तैनात भारतीय सैनिकों के लिए बड़ी राहत देने वाला नवाचार सामने आया है। 16 हजार फीट की ऊंचाई पर सेना ने ऐसा स्वदेशी मोनोरेल सिस्टम तैयार किया है, जो बर्फ से ढके, खतरनाक और बिना सड़क वाले इलाकों में सप्लाई पहुंचाने के काम को पहले से कहीं तेज और सुरक्षित बनाएगा। यह सिस्टम किसी तकनीकी प्रयोगशाला में नहीं, बल्कि सीधे मैदान में सैनिकों की जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है।

Trending Videos


केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए इस स्वदेशी मोनोरेल सिस्टम की सराहना की और इसे भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और आत्मनिर्भरता का उदाहरण बताया। यह सिस्टम अरुणाचल के कमेंग सेक्टर में गजराज/4 कॉर्प्स द्वारा विकसित किया गया है। यह मोनोरेल एक ट्रिप में 300 किलो से ज्यादा भार ढो सकती है, जो भोजन, दवा, गोला-बारूद और जरूरी उपकरणों को बेहद कठिन स्थानों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा। हेलिकॉप्टर जहां नहीं पहुंच पाते, वहां यह सिस्टम अब सेना की नई ताकत बन गया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


कठिन इलाकों में सप्लाई की बड़ी चुनौती
अरुणाचल प्रदेश के कई दूरस्थ क्षेत्रों में न तो सड़कें हैं और न ही पारंपरिक वाहन चलाने की कोई सुविधा। संकरे पहाड़ी रास्ते, टूटते पत्थर, अचानक बदलता मौसम और कम ऑक्सीजन स्तर सैनिकों के लिए बड़ी समस्या रहे हैं। कई बार उन्हें भारी सामान अपनी पीठ पर लादकर लंबे-लंबे रास्ते तय करने पड़ते थे। ऐसे इलाकों में एक छोटा सफर भी काफी जोखिम भरा और समय लेने वाला साबित होता था।

ये भी पढ़ें- भाजपा की इस रणनीति का जवाब कहां से लाएगा विपक्ष? पढ़ें जीत की पूरी इनसाइड स्टोरी

मोनोरेल कैसे बदलेगी सप्लाई का तरीका
गजराज कॉर्प्स द्वारा तैयार किया गया यह मोनोरेल सिस्टम अब इन सभी चुनौतियों को काफी हद तक कम कर देगा। यह तेज, सुरक्षित और ऊर्जा-किफायती तरीका है, जिससे आगे की पोस्टों तक आपूर्ति पहुंचाना बेहद आसान होगा। सेना का मानना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि सैनिकों पर बोझ भी कम होगा और ऑपरेशन के दौरान जोखिम भी घटेगा। जरूरत पड़ने पर यह सिस्टम घायल जवानों को निकालने यानी कैजुअल्टी इवैक्यूएशन में भी मदद करेगा।

गजराज कॉर्प्स... पूर्वी सेक्टर की मजबूत ढाल
गजराज कॉर्प्स, जिसे भारतीय सेना का 4 कॉर्प्स भी कहा जाता है, पूर्वी सेक्टर में तैनात एक महत्वपूर्ण फॉर्मेशन है। इसका गठन 4 अक्टूबर 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान किया गया था। इसका मुख्यालय असम के तेजपुर में स्थित है। यह कॉर्प्स पारंपरिक लड़ाकू ऑपरेशनों के साथ-साथ काउंटर-इंसर्जेंसी मिशनों की भी जिम्मेदारी संभालती है। इसमें 71 माउंटेन डिविजन, 5 ‘बॉल ऑफ फायर’ डिविजन और 21 ‘रियल हॉर्न’ डिविजन शामिल हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के रहने के लिए यह कॉर्प्स विशेष ग्लेशियर हट भी विकसित कर चुकी है।

स्वदेशी तकनीक से बढ़ी सेना की ताकत
सेना द्वारा तैयार किया गया यह मोनोरेल सिस्टम भारत की स्वदेशी सोच और नवाचार की दिशा में बड़ा कदम है। यह न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करता है, बल्कि यह साबित करता है कि कठिनतम परिस्थितियों में भी देश की सुरक्षा व्यवस्था नए समाधान खोज सकती है। अरुणाचल प्रदेश के कमेंग क्षेत्र में इसकी तैनाती से पूर्वी सीमाओं पर लॉजिस्टिक क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में यह सिस्टम अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी उपयोगी साबित हो सकता है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed