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दिल्ली-NCR की जहरीली हवा से लोग शहर छोड़ने को मजबूर
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 28 Nov 2025 11:21 AM IST
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दिल्ली-एनसीआर में लगातार खराब होती हवा अब केवल पर्यावरण या मौसम की खबर नहीं रही, बल्कि यह लोगों के जीवन से जुड़े बड़े फैसलों को प्रभावित करने लगी है। स्मिटेन पल्सएआई के ताज़ा सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि बड़ी संख्या में लोग अब दिल्ली-एनसीआर छोड़कर किसी अन्य शहर में बसने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। जहरीली हवा, लगातार बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं और महंगाई ने मिलकर लोगों को मजबूर कर दिया है कि वे अपने परिवारों के लिए साफ हवा की तलाश में नया ठिकाना ढूंढें।
सर्वे के अनुसार, 79.8 फीसदी लोग प्रदूषण के कारण दिल्ली छोड़ने के बारे में सोचने लगे हैं। इनमें से 33.6 फीसदी लोग वास्तव में दूसरे शहर में शिफ्ट होने की तैयारी कर रहे हैं जबकि 15.2 फीसदी लोग तो पहले ही दिल्ली से बाहर जा चुके हैं। सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि 31 फीसदी लोग अब गंभीरता से इस फैसले पर विचार कर रहे हैं। इनमें से कई लोग नए शहरों में घर देखने, बच्चों के एडमिशन की जानकारी जुटाने और परिवार के साथ संभावित शिफ्टिंग प्लान बनाने में जुट चुके हैं।
लोग खासतौर पर उन जगहों की तलाश में हैं जो पहाड़ी हों, जहां फैक्ट्रियां कम हों और हवा अपेक्षाकृत साफ मिले। इससे साफ है कि दिल्ली की जहरीली हवा केवल अस्थायी परेशानी नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक बदलाव का कारण बन रही है।
सर्वे के आंकड़े और भी चिंताजनक हैं। दिल्ली-एनसीआर में 80 फीसदी से ज्यादा लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें पुरानी खांसी, सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, थकान और एलर्जी जैसे लक्षण आम हो चुके हैं। 68.3 फीसदी लोगों ने बताया कि पिछले एक साल में उन्हें प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास कई बार जाना पड़ा।
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पहली बार है जब लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का सीधा और व्यापक प्रभाव उनके जीवन की रणनीति को बदल रहा है स्कूल चुनने से लेकर नौकरी और घर तक, हवा अब निर्णय का अहम आधार बनती जा रही है।
सर्वे में 85.3 फीसदी परिवारों ने माना कि प्रदूषण ने उनकी जेब पर भी भारी बोझ डाला है। एयर प्यूरीफायर, मास्क, एयर-क्वालिटी मॉनिटर, दवाइयां और डॉक्टर के चक्कर अब रोजमर्रा का हिस्सा बन गए हैं। 41.6 फीसदी परिवारों ने स्वीकार किया कि वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। स्मिटेन पल्सएआई के सह-संस्थापक स्वागत सारंगी ने कहा, “खराब हवा अब केवल पर्यावरण संकट नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल इमर्जेंसी बन चुकी है। इससे निपटने के लिए सरकार, एजेंसियों और लोगों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।”
लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने शहर में 6 नए कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (CAAQMS) लगाने की तैयारी तेज कर दी है। सरकार का लक्ष्य है कि 15 जनवरी तक सभी स्टेशन चालू कर दिए जाएं।
ये स्टेशन जेएनयू, इग्नू, मालचा महल के पास असरो अर्थ स्टेशन, दिल्ली कैंट, कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (वेस्ट कैंपस) में लगाए जा रहे हैं। हर स्टेशन पर पीएम2.5, पीएम10, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड और बीटेक्स जैसे प्रदूषकों को मापा जाएगा। साथ ही हवा की दिशा, गति, वर्षा, तापमान, नमी और सोलर रेडिएशन का डेटा भी लगातार रिकॉर्ड होगा।
सभी स्टेशन डीपीसीसी और सीपीसीबी के डिजिटल सिस्टम से रीयल टाइम जुड़ेंगे। इन इलाकों में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे, जिससे लोग दिन-रात हवा की स्थिति देख सकेंगे। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ये स्टेशन प्रदूषण हॉटस्पॉट की बेहतर पहचान, डेटा-आधारित कार्रवाई और समय पर नियंत्रण रणनीति को और प्रभावी बनाएंगे। सरकार ने तकनीकी पार्टनर को 10 साल तक स्टेशन चलाने और 90% से ज्यादा डेटा गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है। इसके लिए कड़ी निगरानी और पेनल्टी भी तय की गई है।
दिल्ली की हवा पर काबू पाना बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन लगातार योजनाओं और तकनीक आधारित मॉनिटरिंग से उम्मीद है कि स्थिति में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिलेगा।
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