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Horse Virat: भारतीय सेना के घोड़े ‘विराट’ को मिली विदाई, राष्ट्रपति अंगरक्षक ने किया औपचारिक रूप से लिया गोद

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवम गर्ग Updated Wed, 19 Nov 2025 11:52 PM IST
सार

25 वर्षीय घोड़ा ‘विराट’, जो भारतीय सेना का सबसे वरिष्ठ घोड़ा रहा है, 13 गणतंत्र दिवस परेड में अपनी शानदार सेवा देने के बाद अब सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त हो गया है। राष्ट्रपति अंगरक्षक ने उसे औपचारिक रूप से अपनाकर उसकी निष्ठा और बहादुरी को खास सम्मान दिया है।

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Indian Army Legendary 25-Year-Old Horse Virat Retires, Adopted by President Bodyguard After 73rd Republic Day
भारतीय सेना का 25 वर्षीय विराट घोडा - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारतीय सेना के सबसे वरिष्ठ और बहादुर घोड़ों में शामिल 25 वर्षीय ‘विराट’ को वर्षों की शानदार सेवा के बाद आखिरकार सम्मानजनक विदाई मिली। 73वें गणतंत्र दिवस की परेड के बाद विराट को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति अंगरक्षक ने अपना लिया है।

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विराट न सिर्फ अपनी उम्र के कारण खास है, बल्कि इसलिए भी कि वह राष्ट्रपति अंगरक्षक कमांडेंट का मुख्य घोड़ा था और अपने जीवन में 13 गणतंत्र दिवस परेड में गर्व से शामिल हुआ। यह वह जिम्मेदारी है, जो सेना में चुनिंदा और सर्वश्रेष्ठ घोड़ों को ही मिलती है।
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13 से अधिक गणतंत्र दिवस परेड में लिया हिस्सा 
कर्नल अमित बेरवाल, कमांडेंट, राष्ट्रपति अंगरक्षक ने बताया विराट 25 वर्ष का है और भारतीय सेना का सबसे वरिष्ठ घोड़ा माना जाता है। उसने 13 से अधिक गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया है। उसे चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का प्रशंसा-पत्र भी मिल चुका है। 2022 में वह सेवा से सेवानिवृत्त हुआ था और आज उसे औपचारिक रूप से राष्ट्रपति अंगरक्षक द्वारा अपना लिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रपति अंगरक्षक की भूमिका दोहरी होती है युद्ध के समय पैराशूट फॉर्मेशन के साथ सैन्य अभियान और शांति काल में राष्ट्रपति का औपचारिक अंगरक्षक।

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कर्नल बेरवाल ने यह भी बताया कि वे अभी 26 जनवरी की परेड और संसद के उद्घाटन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए नए घोड़ों के चयन की प्रक्रिया में हैं। सभी चयनित घोड़ों का स्वास्थ्य, चाल, व्यवहार और स्वभाव बेहतरीन होना आवश्यक है। इसी लिए परेड से पहले 40 से 45 दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। विराट जैसे अनुशासित और विश्वस्त घोड़े का योगदान सेना के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। उसकी निष्ठा, संयम और सजे-धजे परेड मैदान में उसकी शानदार उपस्थिति ने उसे वास्तव में भारतीय सेना का गर्व बना दिया।

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