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Khabron Ke Khiladi: क्या विपक्षी एकता से घबरा गई है सरकार? जानिए विश्लेषकों की राय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Sat, 02 Sep 2023 09:11 PM IST
सार

मुंबई में विपक्ष की बैठक की खूब चर्चा रही। इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता दिखाई और दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार विपक्षी एकता से डर गई है। हालांकि, ये सवाल उठ रहे हैं कि अभी तक विपक्ष देश के सामने कोई विजन पेश नहीं कर पाया है। वहीं, जो एकजुटता पार्टी नेताओं में दिख रही है, क्या वह जमीन पर भी दिखेगी? जानिए खबरों के खिलाड़ी के विश्लेषकों की इस पर क्या राय है...
 

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Khabron ke khiladi opposition unity india mumbai meeting importance pm modi strategy to counter
खबरों के खिलाड़ी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुंबई में विपक्ष की बैठक में 28 दल एक साथ दिखाई दिए हैं। इस तरह विपक्ष गठबंधन की ताकत लगातार बढ़ती दिख रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या विपक्षी एकता के बाद ही सरकार अलग मुद्दों की तरफ जनता का ध्यान ले जाने की कोशिश कर रही है? इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए खबरों के खिलाड़ी की इस कड़ी में हमारे साथ वरिष्ठ विश्लेषक अवधेश कुमार, प्रेम कुमार, देशरत्न निगम, समीर चौगांवकर, गुंजा कपूर मौजूद रहीं। इस चर्चा को अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर भी देखा जा सकता है। पढ़िए इनकी चर्चा के अहम अंश...

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गुंजा कपूर
'कई बार विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मौजूदा सरकार देश को प्रेसिडेंशियल सिस्टम की तरफ ले जा रही है, लेकिन विपक्ष भी तो यही कर रहा है। सभी एकजुट हो रहे हैं। विपक्ष मोदी विरोधी बातें कर रहा है लेकिन विपक्षी पार्टियां अभी तक कोई एजेंडा नहीं दे पाई हैं। पीएम मोदी अपने भाषणों में अपनी सरकार के कई काम गिना रहे हैं और वे भविष्य में देश की तरक्की का खाका भी बता रहे हैं। इससे लोगों को विश्वास और संभावनाएं नजर आ रही हैं। वहीं विपक्ष के पास गिनाने के लिए एक काम नहीं हैं।'  
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समीर चौगांवकर
'I.N.D.I.A गठबंधन की मुंबई में हुई तीसरी बैठक और पटना में हुई पहली बैठक के बीच में 68 दिन का अंतराल है, लेकिन इस दौरान सिर्फ विपक्ष ने एक नाम दिया है। विपक्ष भी मान चुका है कि पीएम मोदी के खिलाफ किसी एक को पीएम पद का दावेदार घोषित नहीं किया जा सकता। तभी सभी पार्टियां एकजुट होकर लड़ रही हैं। जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था, तब भी विपक्ष एकजुट हुआ था। जनता दल बना और फिर कांग्रेस को हराकर जनता दल की सरकार बनी थी, लेकिन फिर क्या हुआ! विपक्षी पार्टियों में काफी विरोधाभास दिख रहा है। ऐसे में क्या कॉमन एजेंडा बनाया जाएगा और घोषणा पत्र में क्या-क्या वादे किए जाएंगे। विपक्ष के लिए यह बड़ी चुनौती है। विपक्षी पार्टियां राज्यों में एक लाइन पर नहीं दिख रही हैं। विपक्ष के पास पीएम मोदी की उपलब्धियों का जवाब नहीं है। एक देश-एक चुनाव को लेकर कयास लग रहे हैं, लेकिन हो सकता है कि सरकार आगामी विशेष सत्र में जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट पर कोई फैसला ले ले।'  

देशरत्न निगम
'इंदिरा गांधी पावरफुल नेता थीं। फिर आपातकाल आया। इसके बाद जनता दल बना, लेकिन जनता दल की सरकार का क्या हुआ। इतिहास आपको बहुत कुछ सिखाता है। विपक्ष अभी तक न तो संयोजक का नाम दे पाया है और न विपक्षी पार्टियां एक लोगो दे सकी हैं। विपक्ष में तथ्यात्मक रूप से डर दिख रहा है। उन्होंने असंभव चीज को शाब्दिक मुखौटा पहनाकर एकजुटता दिखाने की कोशिश की है, लेकिन जमीन पर एकजुट होना बहुत मुश्किल है। मुखौटा लगाकर जो चीजें छिपाने की कोशिश की जा रही हैं, वो छिपेगी नहीं। भाजपा सरकार ने अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से बड़ा वोटबैंक तैयार किया है।' 

प्रेम कुमार
'विपक्ष में मतभेद हैं, लेकिन विपक्ष में बिखराव या टकराव नहीं दिखा है। जनता में ये संदेश तो जा रहा है। लीडरशिप के साथ चुनाव लड़ने की विपक्ष की रणनीति ही नहीं है। बिना लीडरशिप के ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरा दी गई थी और लीडरशिप होने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी पीएम नहीं बन पाए। पीएम मोदी के हर दिन के भाषण में विपक्ष ही होता है तो वहां डर दिख रहा है। एनडीए बनाते वक्त अयोध्या, यूसीसी, 370 के मुद्दों को पीछे करके गठबंधन बनाया गया था, तब भाजपा को भी डर था। सरकार अपने कार्यकाल को चमकीला दिखा रही है, लेकिन दूसरा पक्ष ये भी है कि देश में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर सार्क देशों में चीन का दबदबा बढ़ा है। विपक्ष की बैठक में 63 नेता पहुंचे हैं, ये भी खास है। सत्ता पक्ष को इसी वजह से डर सता रहा है कि वह सत्ता से बाहर हो जाएंगे।' 

अवधेश कुमार
'युद्ध की पहली रणनीति ये होती है कि विरोधी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। विपक्ष की तैयारी को देखते हुए सरकार भी यही कर रही है। इसे डर नहीं कहना चाहिए। विपक्ष को लग गया है कि पीएम मोदी को हटाना आसान नहीं है और तभी सभी मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन के पीछे सिर्फ राजनीतिक पार्टियां नहीं हैं बल्कि वो सारी शक्तियां हैं जो मौजूदा सरकार को हटाना चाहती हैं। जिस तरीके से विपक्ष एक-एक बिंदु पर तैयारी कर रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है। यही वजह है कि भाजपा भी उसके समानांतर रणनीति बना रही है। हालांकि भाजपा की कमजोरी ये है कि वह सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर निर्भर है, लेकिन पीएम मोदी कुशल रणनीतिकार की तरह विपक्ष की हर चाल की काट ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने विचारधारा से समझौता किया और इसी वजह से सरकार गिर गई। वहीं पीएम मोदी विचारधारा के साथ मजबूती से खड़े दिख रहे हैं। विपक्ष की नकारात्मकता ही उसे नुकसान पहुंचाएगी।'

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