खालिस्तान: कनाडा-भारत के रिश्तों में खटास का परिणाम दिखेगा बाजार पर, दाल पर दिखाई दे सकता है असर
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विस्तार
खालिस्तान को लेकर भारत और कनाडा के बीच रिश्तों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। जी-20 के बाद कनाडा लौटते ही कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ ट्रेड मिशन को रोकने का एलान किया है। बगैर किसी कारण उन्होंने इस व्यापारिक संधि को स्थगित करने का फैसला सुना दिया। अगर आगे भी कनाडा का यही रवैया रहा, तो आने वाले दिनों में इसका असर दोनों देशों के व्यापार भी दिखाई देगा। दोनों देशों के बीच बिगड़ते राजनयिक रिश्तों का असर भारत के कैपिटल मार्केट पर पड़ सकता है, क्योंकि कनाडा भारत का सातवां सबसे बड़ा निवेशक है। एनएसडीएल के अनुसार, अगस्त 2023 के अंत में भारतीय बाजारों में कनाडा का निवेश 1.77 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें इक्विटी बाजारों में 1.5 लाख करोड़ रुपये शामिल थे।
कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव ने कारोबार जगत की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में बढ़ रही तल्खी के चलते भारी-भरकम निवेश पर असर देखने को मिल सकता है। इसका नुकसान कनाडा की अर्थव्यवस्था को हो सकता है। 30 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने कनाडा में निवेश किया है। अगर दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते हैं, तो इन कंपनियों के कारोबार पर असर होगा। कनाडा में रोजगार को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। वहां की अर्थव्यवस्था हिल सकती है। भारतीय कंपनियों की वजह से कनाडा में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हुए हैं। अगर इन कंपनियों ने वहां से कारोबार समेटा तो कनाडा की मुश्किल बढ़ सकती है।
दोनों देशों के ऐसे है व्यापारिक रिश्ते
मई 2023 में आई 'फ्रॉम इंडिया टू कनाडा-इकनॉमिक इंपैक्ट एंड इंगेजमेंट' की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा की इकनॉमी में भारतीय कंपनियां अहम रोल निभाती हैं। सीआईआई ने इस रिपोर्ट को जारी किया था, जिसमें बताया गया कि भारतीय कंपनियों ने कनाडा में 40446 करोड़ रुपये का निवेश किया है। भारतीय कंपनियां कनाडा में 17 हजार से अधिक रोजगार दे रही हैं। कनाडा में कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों ने अगले पांच सालों में वहां निवेश बढ़ाने की बात कही है। वहीं अधिकांश कंपनियां और हायरिंग की प्लानिंग कर रही है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो जाहिर है कि कंपनियां अपने हाथ खींच लेंगी और कनाडा की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।
कनाडा ने भी भारत में निवेश किया है। साल 2000 से मार्च 2023 तक कनाडा ने भारत में लगभग 3306 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। रिपोर्ट की मानें तो भारत में कनाडा का कुल निवेश एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। कनाडा पेंशन फंड ने कोटक महिंद्रा बैंक, जोमैटो, पेटीएम, नायका, इंफोसिस समेत कई बैंकों में निवेश किया है। दोनों देशों के बीच के तनाव का असर अगर कारोबार पर पड़ा तो भारत की इन कंपनियों पर भी असर होगा।
कनाडा से क्या खरीदता है भारत
- कनाडा से भारत दाल, न्यूजप्रिंट, कोयला, फर्टिलाइजर, दालें, वुड पल्प और एल्युमीनियम जैसे सामान आयात करता है। अगर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता है तो भारत अन्य देशों से भी यह सब सामान आयात कर सकता है।
- भारत कनाडा से दाल की सबसे ज्यादा खरीदारी करता है। अगर खपत और उत्पादन की बात करें तो भारत में 230 लाख टन दाल की खपत है, जबकि पैदावार कम है। ऐसे में भारत कनाडा से ये खरीदता है। हालांकि इसके लिए भारत के पास अन्य मित्र देशों का विकल्प खुला है। भारत इन सामानों के लिए कनाडा पर निर्भर नहीं है।
भारत कनाडा को यह सामान करता है निर्यात
- भारत कनाडा को हीरे-जवाहरात, बहुमूल्य रत्न, दवाइयां, रेडीमेड कपड़े, अनस्टिच कपड़े, ऑर्गेनिक रसायन, हल्का इंजीनियरिंग समान, लोहा और स्टील निर्यात करता है।
- भारत में 600 से ज्यादा कनाडाई कंपनियां काम कर रही हैं। कनाडा के साथ संबंध बिगड़ने पर नौकरी-धंधे पर भी असर होगा।
- भारत कनाडा से कृषि और बागवानी से जुड़े उत्पाद खरीदता है। कनाडा में इस बिजनेस में अधिकांश भारतीय मूल के पंजाबियों का वर्चस्व है। अगर दोनों देशों के बीच ट्रेड प्रभावित होता है कि इसकी सीधी मार कनाडा में कृषि और बागवानी के व्यवसाय से जुड़े लोगों पर होगा।
कनाडा के साथ व्यापारिक रिश्ते
भारत और कनाडा के बीच अब तक के व्यापारिक संबंध अच्छे रहे हैं। भारत कनाडा का 10वां ट्रेडिंग पार्टनर रहा है। दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात लगभग बराबर के हैं। वित्त वर्ष 2023 में भारत ने कनाडा को 4.11 अरब डॉलर यानी करीब 34 हजार करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया। वहीं भारत का कनाडा से आयात 4.17 अरब डॉलर यानी 35 हजार करोड़ से कुछ कम रहा है। दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में 8.16 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। हालांकि ट्रेड को लेकर कनाडा की निर्भरता भारत पर अधिक है।