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Maharashtra: नांदेड़ के बाद अब छत्रपति संभाजीनगर के अस्पताल में मौतें, 24 घंटे में गई 18 लोगों की जान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: काव्या मिश्रा Updated Tue, 03 Oct 2023 02:58 PM IST
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सार

छत्रपति संभाजीनगर के अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पताल में दो अक्तूबर को सुबह आठ बजे से तीन अक्टूबर को सुबह आठ बजे तक 18 मौतें हुई हैं। 

Maharashtra govt facility in Chhatrapati Sambhajinagar records 18 deaths in 24 hours
छत्रपति संभाजीनगर के अस्पताल में 18 लोगों की मौत - फोटो : सोशल मीडिया
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महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) से एक बड़ी खबर सामने आई है। नादेड़ के बाद यहां के अस्पताल में मंगलवार सुबह आठ बजे तक 24 घंटे के भीतर कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई हैं। 

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नादेड़ के अस्पताल में गई 31 लोगों की जान
अधिकारियों के अनुसार, मराठवाड़ा के ही नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 30 सितंबर से एक अक्तूबर के बीच 24 घंटे में 12 शिशुओं सहित 24 मौतें हुई हैं, जबकि एक से दो अक्तूबर के बीच सात लोगों की जान गई थी। इससे मरने वालों की कुल संख्या 31 हो गई है। 
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24 मौतों में से शिशुओं की संख्या 12
एक वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक, 24 बिस्तरों की क्षमता के बावजूद 65 मरीजों का इलाज चल रहा था। 30 सितंबर से 1 अक्तूबर के बीच एनआईसीयू में 11 शिशुओं की मौत हो गई। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 24 घंटों में नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 12 शिशुओं सहित 24 मौतें हुईं। बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में एक और शिशु की मौत हो गई।

पहले से आए चार मरे लोग
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पताल में दो अक्तूबर को सुबह आठ बजे से तीन अक्टूबर को सुबह आठ बजे तक 18 मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में पहले से ही चार मरे हुए लोगों को लाया गया था। 

इन कारणों के चलते गई जान
उन्होंने कहा कि 18 में से दो मरीजों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई। वहीं, दो की निमोनिया के चलते मौत हुईं। इसके अलावा तीन मरीजों के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था। वहीं शेष मरीजों की सड़क दुर्घटना, जहर खाने या अन्य वजहों से जान गई। उन्होंने बताया कि अस्पताल में दो और तीन अक्तूबर के बीच, समय से पहले जन्मे दो बच्चों की मौत हो गई थी। इन दोनों का वजन केवल 1,300 ग्राम था। 

दवाओं की कमी नहीं
अस्पाल के अधिकारी ने कहा कि दवाओं की कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम यह पता लगा रहे हैं कि 18 मौतों में से अंतिम समय में अस्पताल में रेफर किए गए कौन से मामले हैं।’ उन्होंने कहा कि अस्पताल में महज 1,177 बिस्तर हैं, लेकिन भर्ती मरीजों के संख्या हमेशा ही 16 सौ अधिक रहती है। 

उन्होंने कहा, ‘यह एक तृतीयक देखभाल यूनिट है, इसलिए पिछले महीने यहां करीब 28 हजार मरीज भर्ती हुए थे। इनमें से 419 मौतें सितंबर में दर्ज की गई थीं। बता दें, मराठवाड़ा क्षेत्र के विभिन्न जिलों और उत्तरी महाराष्ट्र के शहरों से मरीज यहां इलाज कराने के लिए आते हैं।

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