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Maharashtra: 'लाडकी बहिन योजना में 164 करोड़ रुपए का घोटाला', विपक्ष बोला- पुरुषों को मिली राशि; SIT की मांग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 22 Oct 2025 10:15 PM IST
सार
महाराष्ट्र की ‘लाडकी बहन योजना’ पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एनसीपी (एसपी) ने दावा किया कि 12,431 पुरुषों को इस योजना के तहत 24 करोड़ रुपये दिए गए। शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे ने 164 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया और SIT जांच की मांग की।
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उद्धव ठाकरे और शरद पवार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
महाराष्ट्र की बहुचर्चित ‘लाडकी बहन योजना’ एक बार फिर विवादों में आ गई है। इस योजना में गरीब परिवारों की महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद देने का वादा किया गया था, लेकिन अब इसमें बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस योजना के तहत हजारों पुरुषों को भी महिलाओं के नाम पर राशि दी गई। शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) ने इसे भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार की वोट लुभाने की चाल बताया है।
एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने आरटीआई के हवाले से दावा किया कि योजना के तहत 12,431 पुरुषों को 13 महीनों तक हर माह 1,500 रुपये दिए गए, जिससे कुल 24.24 करोड़ रुपये की राशि पुरुषों को पहुंच गई। यह योजना केवल उन महिलाओं के लिए थी जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। विपक्ष का आरोप है कि यह पूरा तंत्र जनता को भ्रमित कर चुनाव से पहले भाजपा और उसके सहयोगियों के पक्ष में वोट जुटाने के लिए रचा गया था।
विपक्ष के तीखे आरोप
क्रास्टो ने कहा कि महायुति सरकार ने भाइयों को बहन बनाकर योजना का गलत इस्तेमाल किया और चुनावी फायदे के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की कि वह योजना के गलत क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लें और एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित करें।
ये भी पढ़ें- 'तीनों सेनाओं में एकीकरण स्थापित करना चुनौती', सीडीएस अनिल चौहान बोले- राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल जरूरी
शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने भी इस मामले पर कड़ा हमला बोलते हुए दावा किया कि योजना में 164 करोड़ रुपये तक की गड़बड़ी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे की हेराफेरी भाजपा और शिवसेना के लिए नई बात नहीं है, यह बृहन्मुंबई महानगरपालिका में भी हो रहा है।
सरकार की सफाई और कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने जुलाई में बताया था कि राज्य की सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने जांच के दौरान 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों की पहचान की थी। इनमें कुछ लोग ऐसे थे जो एक से अधिक योजनाओं से लाभ ले रहे थे, कुछ परिवारों में दो से अधिक सदस्य लाभार्थी थे और कुछ जगहों पर पुरुषों ने भी आवेदन किया था। इसके बाद इन सभी अपात्र आवेदकों के भुगतान को जून 2025 से अस्थायी रूप से रोक दिया गया। साथ ही, 2.25 करोड़ पात्र महिलाओं को जून माह का मानधन वितरित किया गया।
ये भी पढ़ें- 'सियासी जीवन के अंतिम चरण में पिता', सिद्धारमैया के बेटे के बयान से हलचल, देना पड़ा स्पष्टीकरण
आगे की जांच और राजनीतिक असर
राज्य सरकार ने कहा है कि जिलाधिकारियों के माध्यम से अपात्र लाभार्थियों की जांच जारी है। जिन आवेदकों को पात्र पाया जाएगा, उन्हें फिर से लाभ मिलना शुरू होगा। वहीं, विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस योजना की सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए। आदित्य ठाकरे ने चेतावनी दी कि जो लोग सत्ता में हैं, वे यह न भूलें कि जनता सब देख रही है। यह मामला अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
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एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने आरटीआई के हवाले से दावा किया कि योजना के तहत 12,431 पुरुषों को 13 महीनों तक हर माह 1,500 रुपये दिए गए, जिससे कुल 24.24 करोड़ रुपये की राशि पुरुषों को पहुंच गई। यह योजना केवल उन महिलाओं के लिए थी जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। विपक्ष का आरोप है कि यह पूरा तंत्र जनता को भ्रमित कर चुनाव से पहले भाजपा और उसके सहयोगियों के पक्ष में वोट जुटाने के लिए रचा गया था।
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विपक्ष के तीखे आरोप
क्रास्टो ने कहा कि महायुति सरकार ने भाइयों को बहन बनाकर योजना का गलत इस्तेमाल किया और चुनावी फायदे के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की कि वह योजना के गलत क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लें और एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित करें।
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शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने भी इस मामले पर कड़ा हमला बोलते हुए दावा किया कि योजना में 164 करोड़ रुपये तक की गड़बड़ी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे की हेराफेरी भाजपा और शिवसेना के लिए नई बात नहीं है, यह बृहन्मुंबई महानगरपालिका में भी हो रहा है।
सरकार की सफाई और कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने जुलाई में बताया था कि राज्य की सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने जांच के दौरान 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों की पहचान की थी। इनमें कुछ लोग ऐसे थे जो एक से अधिक योजनाओं से लाभ ले रहे थे, कुछ परिवारों में दो से अधिक सदस्य लाभार्थी थे और कुछ जगहों पर पुरुषों ने भी आवेदन किया था। इसके बाद इन सभी अपात्र आवेदकों के भुगतान को जून 2025 से अस्थायी रूप से रोक दिया गया। साथ ही, 2.25 करोड़ पात्र महिलाओं को जून माह का मानधन वितरित किया गया।
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आगे की जांच और राजनीतिक असर
राज्य सरकार ने कहा है कि जिलाधिकारियों के माध्यम से अपात्र लाभार्थियों की जांच जारी है। जिन आवेदकों को पात्र पाया जाएगा, उन्हें फिर से लाभ मिलना शुरू होगा। वहीं, विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस योजना की सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए। आदित्य ठाकरे ने चेतावनी दी कि जो लोग सत्ता में हैं, वे यह न भूलें कि जनता सब देख रही है। यह मामला अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
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