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Maharashtra: 'प्रतिद्वंदी के साथ फिर आने का कोई प्रस्ताव नहीं', NCP और NCP-एसपी ने अलग-अलग मनाया स्थापना दिवस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पुणे
Published by: पवन पांडेय
Updated Tue, 10 Jun 2025 11:32 PM IST
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सार
अजित पवार ने दावा किया कि पार्टी ने विचारधारा की कीमत पर भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया है। राकांपा के दोनों धड़ों के साथ आने की अटकलों पर पवार ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन अंतिम फैसला नेतृत्व को ही करना है। उन्होंने कहा, 'ऐसे मामलों पर पार्टी के नेता ही विचार-विमर्श करते हैं और फैसला लेते हैं।'

NCP और NCP-एसपी ने मनाया स्थापना दिवस
- फोटो : X @mahancpspeaks / @NCPspeaks
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विस्तार
पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि प्रतिद्वंद्वी गुटों के फिर से एक साथ आने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जबकि राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने भी हाल में चर्चा का विषय रहे इस मुद्दे पर कोई बयान देने से परहेज किया। शरद पवार की की तरफ से 26 साल पहले सह-स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 2023 में विभाजित हो गई थी, जब उनके भतीजे अजित पवार महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे।
दोनों गुटों ने अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करके पुणे में स्थापना दिवस मनाया। राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होना 'लोगों के कल्याण' के लिए लिया गया एक सामूहिक निर्णय था, न कि यह अकेले अजित पवार का निर्णय था। सुनील तटकरे ने कहा, 'यह कोई व्यक्तिगत निर्णय नहीं था। अजित दादा के नेतृत्व में राजग में शामिल होना सामूहिक निर्णय था। मैंने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि 2014 के बाद से कई मौके आए, जब पार्टी (तब अविभाजित) ने गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया था। हम राजग में शामिल होने के कगार पर थे, लेकिन आखिरी समय में फैसला बदल गया।' उन्होंने कहा कि 2023 में अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी ने लोगों के कल्याण के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया। सुनील तटकरे ने कहा, 'हम अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा तथा छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर और शाहू महाराज की विचारधारा से समझौता किए बिना राजग में शामिल हुए।'
यह भी पढ़ें - Samwad 2025: जेपी नड्डा ने कहा- देश ने हर क्षेत्र में प्रगति के नए आयाम स्थापित किए, सत्ता अब सेवा बनी
'शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लिए जाते हैं अहम फैसले'
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी की यात्रा जारी रहेगी। अविभाजित राकांपा के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में अजित पवार ने राकांपा (शरदचंद्र पवार) के साथ फिर से जुड़ने की संभावना के बारे में कोई निश्चित बयान नहीं दिया और केवल इतना कहा कि ऐसे फैसले शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लिए जाते हैं, न कि पार्टी कार्यकर्ताओं या कनिष्ठ नेताओं की तरफ से।
पार्टी लोगों के लिए काम करना चाहती है- अजित पवार
उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिलाने और राज्य सरकार का हिस्सा बनने के अपने फैसले को भी उचित ठहराया और कहा कि 'हम कोई संत नहीं हैं', जो विपक्ष में रहकर और विरोध करके संतुष्ट हो जाएं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोगों के लिए काम करना चाहती है। पुणे में एक अन्य जगह राकांपा (शरदचंद्र पवार) के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी सांसद सुप्रिया सुले ने दोनों गुटों के एक साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का सीधा जवाब देने से परहेज किया। राकांपा (शरदचंद्र पवार) के एक धड़े के अजित पवार की पार्टी के साथ फिर से जुड़ने की इच्छा और शरद पवार की तरफ से पार्टी से संबंधित सभी निर्णय सुले की तरफ से लिए जाने की बात कहने के बारे में पूछे जाने पर सुप्रिया सुले ने कहा, 'पिछले 15 दिनों से मुझे पार्टी नेताओं के साथ पार्टी मामलों पर चर्चा करने या अपने परिवार से भी मिलने का समय नहीं मिला है।'
सुप्रिया सुले ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का किया नेतृत्व
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सुप्रिया सुले ने हाल ही में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और भारत के रुख को बताने के लिए कुछ देशों की यात्रा की। अजित पवार ने कहा, 'राकांपा की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और राजर्षि शाहू महाराज की विचारधाराओं पर हुई थी। कुछ लोग भाजपा और महायुति गठबंधन से हाथ मिलाने के हमारे फैसले पर सवाल उठाते हैं। लेकिन क्या हमने 2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं किया था? तब भी समझौते किए गए थे।'
यह भी पढ़ें - RS Polls: तमिलनाडु से कमल हासन और पांच अन्य उम्मीदवारों का निर्विरोध निर्वाचन तय; किस दल से कौन बनेगा सांसद?
आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी- अजित
उन्होंने कहा, 'विपक्ष में बैठना, नारे लगाना और विरोध मार्च निकालना ही काफी नहीं है। हम संत नहीं हैं। हम यहां एक दिशा देने, लोगों के मुद्दों का समाधान करने और समावेश की राजनीति करने के लिए हैं।' अजित पवार ने कहा, ' कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ हो लिए और यह विभाजन बढ़ गया। मैं आज इसके बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन जो लोग पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे हमारी पार्टी की विचारधारा के कारण रहे।' उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी। उन्होंने कहा, ' इस पर ध्यान मत दीजिए कि कौन छोड़कर गया है या कौन शामिल हुआ है। अगर हम एकजुट रहेंगे और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे तो हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।'

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'शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लिए जाते हैं अहम फैसले'
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी की यात्रा जारी रहेगी। अविभाजित राकांपा के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में अजित पवार ने राकांपा (शरदचंद्र पवार) के साथ फिर से जुड़ने की संभावना के बारे में कोई निश्चित बयान नहीं दिया और केवल इतना कहा कि ऐसे फैसले शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लिए जाते हैं, न कि पार्टी कार्यकर्ताओं या कनिष्ठ नेताओं की तरफ से।
पार्टी लोगों के लिए काम करना चाहती है- अजित पवार
उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिलाने और राज्य सरकार का हिस्सा बनने के अपने फैसले को भी उचित ठहराया और कहा कि 'हम कोई संत नहीं हैं', जो विपक्ष में रहकर और विरोध करके संतुष्ट हो जाएं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोगों के लिए काम करना चाहती है। पुणे में एक अन्य जगह राकांपा (शरदचंद्र पवार) के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी सांसद सुप्रिया सुले ने दोनों गुटों के एक साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का सीधा जवाब देने से परहेज किया। राकांपा (शरदचंद्र पवार) के एक धड़े के अजित पवार की पार्टी के साथ फिर से जुड़ने की इच्छा और शरद पवार की तरफ से पार्टी से संबंधित सभी निर्णय सुले की तरफ से लिए जाने की बात कहने के बारे में पूछे जाने पर सुप्रिया सुले ने कहा, 'पिछले 15 दिनों से मुझे पार्टी नेताओं के साथ पार्टी मामलों पर चर्चा करने या अपने परिवार से भी मिलने का समय नहीं मिला है।'
सुप्रिया सुले ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का किया नेतृत्व
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सुप्रिया सुले ने हाल ही में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और भारत के रुख को बताने के लिए कुछ देशों की यात्रा की। अजित पवार ने कहा, 'राकांपा की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और राजर्षि शाहू महाराज की विचारधाराओं पर हुई थी। कुछ लोग भाजपा और महायुति गठबंधन से हाथ मिलाने के हमारे फैसले पर सवाल उठाते हैं। लेकिन क्या हमने 2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं किया था? तब भी समझौते किए गए थे।'
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आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी- अजित
उन्होंने कहा, 'विपक्ष में बैठना, नारे लगाना और विरोध मार्च निकालना ही काफी नहीं है। हम संत नहीं हैं। हम यहां एक दिशा देने, लोगों के मुद्दों का समाधान करने और समावेश की राजनीति करने के लिए हैं।' अजित पवार ने कहा, ' कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ हो लिए और यह विभाजन बढ़ गया। मैं आज इसके बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन जो लोग पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे हमारी पार्टी की विचारधारा के कारण रहे।' उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी। उन्होंने कहा, ' इस पर ध्यान मत दीजिए कि कौन छोड़कर गया है या कौन शामिल हुआ है। अगर हम एकजुट रहेंगे और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे तो हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।'