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Maharashtra: मार्च-अप्रैल में 479 किसानों ने की आत्महत्या, बस 110 को मिला मुआवजा; अधर में 150 से ज्यादा मामले

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 04 Jul 2025 06:32 PM IST
सार

महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या के मामले में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद पाटिल ने बताया कि बीते मार्च और अप्रैल के महीने में कुल 479 किसानों ने आत्महत्या की। लेकिन अभी तक केवल 110 पीड़ित परिवार को ही मुआवजा मिला है। ऐसे में अभी भी 150 से अधिक मामलों की जांच लंबित है, जिसके चलते पीड़ित परिवार आज भी न्याय और मदद का इंतजार में हैं।

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Maharashtra sees 479 farmer suicides in March-April; aid hike not being considered, says minister
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : FreePik
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विस्तार
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महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या का मामला हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। ऐसे में एक बार फिर महाराष्ट्र विधानसभा में शुक्रवार को एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद पाटिल ने बताया कि मार्च और अप्रैल 2025 में कुल 479 किसानों ने आत्महत्या की। यह आंकड़े मराठवाड़ा और विदर्भ समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों से सामने आए हैं।

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मामले में मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान लिखित जवाब में बताया कि मार्च में 250 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज हुए, जिनमें से 102 मामलों को सरकारी सहायता के योग्य पाया गया, लेकिन अब तक केवल 77 मामलों में ही सहायता राशि वितरित हुई है। वहीं, 62 मामलों को अयोग्य माना गया और 86 मामलों की जांच अभी भी जारी है।

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अप्रैल में भी चौंकाने वाला आकड़ा
मंत्री ने अपने लिखित जवाब में अप्रैल महीने के आकड़े का जिक्र करते हुए बताया कि अप्रैल में 229 किसानों ने की आत्महत्या, जिनमें से 74 मामले सहायता के योग्य पाए गए, लेकिन अब तक सिर्फ 33 मामलों में ही परिजनों को मुआवजा दिया गया है।

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कितनी दी जाती है मुआवजा राशि?
गौरतलब है कि सरकार की 24 जनवरी 2006 की एक नीति के अनुसार, अगर किसान की आत्महत्या फसल खराब होने, कर्ज न चुका पाने या कर्ज बढ़ने जैसे कारणों से होती है, तो उसके परिजनों को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। मामले में मंत्री मकरंद पाटिल ने बताया कि हालांकि, इस मुआवजा राशि में फिलहाल किसी वृद्धि का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। ऐसे में मंत्री द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद विधानसभा में किसानों की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई। साथ ही विपक्ष ने सरकार से किसानों के लिए और सशक्त कदम उठाने की मांग की।

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