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Maharashtra: नाबालिग से छेड़छाड़ का आरोपी रिहा, पीड़िता की उम्र साबित नहीं कर सका अभियोजन पक्ष
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: नितिन गौतम
Updated Thu, 18 Sep 2025 12:47 PM IST
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सार
अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की जन्मतिथि 1 सितंबर 2005 बताई थी, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोई स्वतंत्र गवाह भी पेश नहीं किया। जो घटना की पुष्टि कर पाए।

सांकतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
ठाणे की एक अदालत ने साल 2021 में एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया। दरअसल अभियोजन पक्ष इस मामले में अदालत में ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। अभियोजन पक्ष न तो अदालत में पीड़िता की सही उम्र साबित कर सका और न ही कोई गवाह पेश कर सका। ऐसे में सबूतों के अभाव में अदालत ने आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया। विशेष न्यायाधीश रूबी यू मालवणकर ने 12 सितंबर को दिए अपने आदेश में आकाश संतोष कोल्हे (32) को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (छेड़छाड़) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराधों का दोषी नहीं पाया। आदेश की प्रति बुधवार को मिली।
एफआईआर में दी गई ये जानकारी
यह मामला 17 दिसंबर, 2021 को दर्ज किया गया था। एफआईआर के अनुसार, उस समय 17 वर्षीय पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ शौच के लिए बस स्टॉप के पास एक खुली जगह पर गई थी। छोटी बहन बाद में अकेली घर लौटी और उसने अपनी मां को बताया कि आरोपी ने पीड़िता के साथ छेड़छाड़ की। परिवार ने बाद में पुलिस से संपर्क किया और प्राथमिकी दर्ज की गई। न्यायाधीश मालवणकर ने अभियोजन पक्ष के मामले में कई बड़ी खामियां बताईं। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष पीड़िता की उम्र का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं दे पाया।
ये भी पढ़ें- SC: बानू मुश्ताक के दशहरा उद्घाटन वाले मामले में अब होगी 'सुप्रीम' सुनवाई, हाईकोर्ट ने खारिज की थी याजिका
पीड़ित पक्ष आरोप साबित करने में रहा विफल
अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की जन्मतिथि 1 सितंबर 2005 बताई थी, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोई स्वतंत्र गवाह भी पेश नहीं किया। जो घटना की पुष्टि कर पाए। अदालत ने पीड़िता की गवाही और प्राथमिकी के बीच की गड़बड़ी का भी जिक्र किया। पीड़िता ने अदालत में कहा कि घटना एक बंद सार्वजनिक शौचालय में हुई थी, लेकिन एफआईआर में बताया गया था कि झाड़ियों वाली एक खुली जगह पर छेड़छाड़ की गई। अदालत ने कहा कि जांच में भी खामियां हैं। इसके बाद अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में असफल रहा और इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया।

एफआईआर में दी गई ये जानकारी
यह मामला 17 दिसंबर, 2021 को दर्ज किया गया था। एफआईआर के अनुसार, उस समय 17 वर्षीय पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ शौच के लिए बस स्टॉप के पास एक खुली जगह पर गई थी। छोटी बहन बाद में अकेली घर लौटी और उसने अपनी मां को बताया कि आरोपी ने पीड़िता के साथ छेड़छाड़ की। परिवार ने बाद में पुलिस से संपर्क किया और प्राथमिकी दर्ज की गई। न्यायाधीश मालवणकर ने अभियोजन पक्ष के मामले में कई बड़ी खामियां बताईं। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष पीड़िता की उम्र का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं दे पाया।
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पीड़ित पक्ष आरोप साबित करने में रहा विफल
अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की जन्मतिथि 1 सितंबर 2005 बताई थी, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोई स्वतंत्र गवाह भी पेश नहीं किया। जो घटना की पुष्टि कर पाए। अदालत ने पीड़िता की गवाही और प्राथमिकी के बीच की गड़बड़ी का भी जिक्र किया। पीड़िता ने अदालत में कहा कि घटना एक बंद सार्वजनिक शौचालय में हुई थी, लेकिन एफआईआर में बताया गया था कि झाड़ियों वाली एक खुली जगह पर छेड़छाड़ की गई। अदालत ने कहा कि जांच में भी खामियां हैं। इसके बाद अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में असफल रहा और इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया।
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