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Parliament: 'वोटर आईडी को मान लिया जाए नागरिकता का साक्ष्य', टीएमसी सांसद ने राज्यसभा में उठाई मांग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Fri, 02 Aug 2024 09:13 PM IST
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सार

टीएमसी सांसद ममता ठाकुर ने कहा कि नागरिकता देने के लिए किसी को नीचा दिखाने जैसी शर्तें लागू नहीं की जाएं। नागरिकता के लिए बार-बार आवेदन मांगना अपमानजनक है।
 

Make voter ID enough proof for citizenship TMC MP says
टीएमसी सांसद ममता ठाकुर। - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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टीएमसी की सांसद ममता ठाकुर ने शुक्रवार को राज्यसभा में वोटर आईडी को नागरिकता के दस्तावेज की मान्यता देने का मुद्दा उठाया। सांसद ने कहा कि चुनाव में वोट डालने के लिए उपयोग किए जाने वाले वैध पहचान पत्र को नागरिकता देने का सबूत माना जाए। नागरिकता के लिए पैतृक दस्तावेज पेश करने और हिरासत शिविरों में भेजने जैसी शर्तें अमानवीय हैं। 

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राज्यसभा के शून्यकाल में टीएमसी सांसद ममता ठाकुर ने कहा कि नागरिकता देने के लिए किसी को नीचा दिखाने जैसी शर्तें लागू नहीं की जाएं। जो लोग वैध पहचान पत्र के जरिये मतदान करके प्रधानमंत्री या राज्यों के मुख्यमंत्रियों या सरकारों को चुनते हैं। अब उन लोगों से नागरिकता के लिए वैध दस्तावेज फिर से मांगा जा रहा है। नागरिकता के लिए बार-बार आवेदन मांगना अपमानजनक है।
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उन्होंने कहा कि नागरिकता देने के नाम पर शर्तें जोड़ना, पैतृक दस्तावेज जमा करने के लिए मजबूर करना और ऐसा न करने पर नागरिकता देने से इनकार करना और उन्हें हिरासत शिविरों में भेजना बेहद अमानवीय है। भारत ने ओलंपिक में 117 एथलीट भेजे लेकिन किसी ने भी इन एथलीटों की जाति, भाषा या धर्म के बारे में सवाल नहीं उठाया। वे देश के लिए खेल रहे हैं। पूरा देश उनका समर्थन कर रहा है।

सांसद ने कहा कि नागरिकों को धर्म, भाषा, उप-राष्ट्रीय पहचान और जाति के आधार पर बांटना सही नहीं है। किसी भी नागरिक को इन आधारों या किसी अन्य कारक पर अपने पहचान रिकॉर्ड दिखाने के लिए मजबूर करना अनावश्यक है। अगर आप देश के नागरिकों को कोई पहचान पत्र देना चाहते हैं, तो बिना किसी शर्त के दिया जाना चाहिए। उनसे कागजात जमा कराना, फॉर्म भरवाना और गलत जानकारी देने के लिए मजबूर करने की मैं निंदा करती हूं। उन्होंने कहा कि अगर आप बिना शर्त नागरिकता नहीं दे सकते, तो किसी को भी हमारे भाइयों और बहनों से कागजात दिखाने के लिए कहकर उनका अपमान करने का अधिकार नहीं है। हम सब एक साथ रहें और प्रगति करें।

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