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सुशांत केस: हाईकोर्ट ने दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिंग पर सजा तो नहीं दी पर, जानिए क्या कहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 18 Jan 2021 05:34 PM IST
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सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला, फाइल फोटो
- फोटो : अमर उजाला
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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा कथित तौर पर दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिंग के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह खुदकुशी जैसे मामलों की रिपोर्टिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए गाइड लाइन तैयार करे। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने किसी को कोई सजा नहीं सुनाई है।
सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने न्यूज चैनलों व डिजिटल मीडिया को निर्देश दिए कि वह ऐसे मामलों में प्रेस काउंसिल के नियमों का पालन सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस दावे से सहमति जताई कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के केस में कुछ न्यूज चैनलों ने कार्यक्रमों की आचार संहिता का उल्लंघन किया है और उनका यह कृत्य अदालत की अवमानना कानून के तहत दंडनीय है, हालांकि कोर्ट स्वेच्छा से इस कृत्य के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
न फोटो दिखाएं न सीन रिक्रिएट करें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीडिया से कहा कि वह ऐसे मामलों में मृतक व आरोपियों के फोटो न दिखाए और न ही घटनाक्रम का पुनः संयोजन यानी रिकंस्ट्रक्शन करें, खासकर तब जबकि मामले की जांच चल रही हो।
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मीडिया कवरेज पर आपत्ति जताने वाली याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ ने फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में कुछ न्यूज चैनलों द्वारा सुशांत की मौत के दुर्भावनापूर्ण कवरेज पर सवाल उठाए गए थे।
अभिव्यक्ति की आजादी के मायने यह नहीं
हाईकोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के मायने यह नहीं है कि दुर्भावनापूर्ण व गलत रिपोर्टिंग कर किसी व्यक्ति के निजी अधिकार का उल्लंघन किया जाए।
बता दें, कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को लेकर देश के कई न्यूज चैनलों ने अपने कार्यक्रमों में कई तस्वीरें व सीन रिक्रिएट कर कवरेज किया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। अभिनेता के परिजनों व दोस्तों तक को इन कार्यक्रमों में निशाना बनाया गया था। इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सुशांत मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर में 14 जून 2020 को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे।
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सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने न्यूज चैनलों व डिजिटल मीडिया को निर्देश दिए कि वह ऐसे मामलों में प्रेस काउंसिल के नियमों का पालन सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस दावे से सहमति जताई कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के केस में कुछ न्यूज चैनलों ने कार्यक्रमों की आचार संहिता का उल्लंघन किया है और उनका यह कृत्य अदालत की अवमानना कानून के तहत दंडनीय है, हालांकि कोर्ट स्वेच्छा से इस कृत्य के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
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न फोटो दिखाएं न सीन रिक्रिएट करें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीडिया से कहा कि वह ऐसे मामलों में मृतक व आरोपियों के फोटो न दिखाए और न ही घटनाक्रम का पुनः संयोजन यानी रिकंस्ट्रक्शन करें, खासकर तब जबकि मामले की जांच चल रही हो।
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मीडिया कवरेज पर आपत्ति जताने वाली याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ ने फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में कुछ न्यूज चैनलों द्वारा सुशांत की मौत के दुर्भावनापूर्ण कवरेज पर सवाल उठाए गए थे।
अभिव्यक्ति की आजादी के मायने यह नहीं
हाईकोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के मायने यह नहीं है कि दुर्भावनापूर्ण व गलत रिपोर्टिंग कर किसी व्यक्ति के निजी अधिकार का उल्लंघन किया जाए।
बता दें, कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को लेकर देश के कई न्यूज चैनलों ने अपने कार्यक्रमों में कई तस्वीरें व सीन रिक्रिएट कर कवरेज किया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। अभिनेता के परिजनों व दोस्तों तक को इन कार्यक्रमों में निशाना बनाया गया था। इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सुशांत मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर में 14 जून 2020 को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे।