मराठा आरक्षणः अपने ही बनाए चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस-एनसीपी
- सरकार के खिलाफ मराठों ने फिर भरी हुंकार
- 19 को पुणे में गोलमेज परिषद
विस्तार
महाराष्ट्र में सबसे ताकतवर माने जाने वाले मराठा समुदाय को चुनावी फायदे के लिए कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन सरकार ने आरक्षण का झुनझुना थमाया था। लेकिन अब दोनो राजनीतिक दल अपने ही बनाए चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस गए हैं। मराठा समाज के विभिन्न संगठनों ने आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर हुंकार भरी है, जिससे सरकार के माथे पर बल पड़ते दिखाई दे रहे हैं।
आगामी 19 अगस्त को पुणे में मराठा समाज के विभिन्न संगठनों का गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया है। चर्चा है कि इस सम्मेलन के बाद मराठा समाज अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर आक्रमक भूमिका में नजर आएगा। मराठा आरक्षण संघर्ष समिति के सुरेश दादा पाटिल और मराठा आरक्षण समन्वय समिति के विजय सिंह म्हाडिक ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान विभिन्न मांगों को लेकर मराठा समाज ने राज्य में अनेक मूक मोर्चे निकाले थे।
देवेन्द्र फडणवीस सरकार के साथ अनेक बैठकें हुई थी। इससे कई मांगे मंजूर हुई लेकिन कई मांगे अभी तक प्रलंबित हैं। इसीलिए मराठा समाज के सभी संगठनों का गोलमेज परिषद आयोजित किया गया है। हालांकि फडणवीस सरकार ने मराठों के लिए 12 फीसदी आरक्षण दिया है, लेकिन आरक्षण मिलने के बावजूद मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। आरोप है कि मराठा आरक्षण को लेकर महाविकास आघाड़ी सरकार की नीयत साफ नहीं है।
उपसमिति का प्रमुख पद छोड़ें चव्हाण- विनायक मेटे
लोकनिर्माण विभाग मंत्री अशोक चव्हाण मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई उप समिति के प्रमुख हैं। शिवसंग्राम के नेता विनायक मेटे का कहना है कि चव्हाण मराठा आरक्षण के प्रति गंभीर नहीं हैं। इसलिए उन्हें पद से हटाया जाए। मेटे के नेतृत्व में मराठा समाज के 9 संगठनों की समन्वय समिति बनाई गई है जिसमें शिव संग्राम, छावा क्रांतिवीर सेना, छत्रपति युवा सेना, शिवक्रांति युवा सेना, छावा युवा मराठा संगठन, छावा माथाड़ी संगठन, अखिल भारतीय मराठा युवा परिषद, बलिराजा शेतकरी संगठन और राष्ट्रीय छावा संगठन शामिल हैं।
फडणवीस के मुख्यमंत्री काल में निकले थे 58 मूक मोर्चे
एक मराठा-लाख मराठा नारे के साथ पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के कार्यकाल में मराठा समाज के 58 मूक मोर्चे निकले थे। जिसमें लाखों की संख्या में समाज के लोग सड़क पर उतरे थे। इस मोर्चे से फडणवीस सरकार हिल गई थी। भाजपा नेताओं की मानें तो उस वक्त एनसीपी के बड़े नेता ने ही फडणवीस सरकार के खिलाफ मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मराठा संगठनों को इस मोर्चे के लिए रसद पहुंचाई थी। अब विपक्षी दल भाजपा भी इस मुद्दे पर सरकार को अड़चन में लाने की कोशिश में जुटी है।