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MEA Press Conference: जरूरत के आधार पर होगी रूस से तेल खरीद, अफगानिस्तान में फिर से खुलेगा दूतावास!
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Thu, 02 Jun 2022 07:51 PM IST
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सार
रूस से तेल आयात बढ़ाने की योजना को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तेल खरीद को लेकर भारत का रुख देश की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों पर आधारित रहेगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची
- फोटो : एएनआई (फाइल)

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विस्तार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने रूस के साथ तेल खरीद, अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को दोबारा खोलने और चीन के साथ वार्ता जैसे मुद्दों पर जानकारी साझा की।
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रूस से तेल आयात बढ़ाने की योजना को लेकर बागची ने कहा कि तेल खरीद को लेकर भारत का रुख देश की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों पर आधारित रहेगी। उनसे पूछा गया था कि क्या भारत रूस से तेल आयात को बढ़ाने की योजना बना रहा है।
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अफगानिस्तान में दूतावास फिर से खोलने की ये है योजना
वहीं, अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को दोबारा खोलने को लेकर अरिंदम बागची ने कहा कि संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक बहुसदस्यीय टीम इस समय काबुल में मौजूद है। यह टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात करेगी।
बागची ने कहा कि ये टीम उन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी जो यहां मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के काम में शामिल हैं। प्रवक्ता ने आगे कहा कि हम अपने अधिकारियों कि सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि काबुल में हमारे दूतावास में रखरखाव आदि के लिए स्थानीय स्टाफ मौजूद है। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में बिगड़ती परिस्थितियों के चलते हमने अपने भारतीय अधिकारियों को वहां से वापस बुला लिया था।
चीन के साथ वार्ता का अगला दौर जल्द होने की उम्मीद है
इसके साथ ही, भारत-चीन सीमा वार्ताओं को लेकर बागची ने बताया कि हम जल्द ही वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के लिए वार्ताओं का अगला दौर (16वां) उम्मीद कर रहे हैं। बीते लंबे समय से दोनों देशों के बीच सीमा पर संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
तालिबान शासन में पहली बार काबुल पहुंचे भारतीय राजनयिक
भारत ने अफगानिस्तान में अपनी मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने और मदद पर तालिबान से बातचीत के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के दल को काबुल भेजा है। अमेरिका के पिछले साल अफगानिस्तान छोड़ने और तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद भारतीय राजनयिकों का यह पहला दौरा है। हालांकि भारत ने अभी तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से वहां गरीबी और भुखमरी बढ़ी है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में भारतीय दल तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात करेगा। अधिकारी भारत समर्थित प्रोजेक्टों का भी दौरा करेंगे। साथ ही मानवीय सहायता वितरण में लगे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगा। पिछले साल अगस्त में दक्षिण एशियाई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए थे और अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। हालांकि नई दिल्ली अपने कट्टर दुश्मन पाकिस्तान के प्रभुत्व वाले अफगानिस्तान के साथ फिर से संबंध बहाल करने का इच्छुक है।
भारत ने गेहूं, दवा सहित काफी मदद दी है
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि भारत ने करीब 20,000 टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड-19 वैक्सीन की 5,00,000 खुराक दी हैं। साथ ही सर्दियों के कपड़े, और दवाएं तथा अनाज पहुंचाने का काम जारी है।