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मध्यप्रदेश: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यपाल को है फ्लोर टेस्ट का निर्देश देने का अधिकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Sneha Baluni Updated Thu, 19 Mar 2020 01:34 PM IST
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MP Political crisis SC hear BJP Plea for seeking floor test shivraj kamal nath scindia speaker
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : social media
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मध्यप्रदेश के सियासी संकट पर उच्चतम न्यायालय में एक बार फिर सुनवाई शुरू हो गई है। स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें देते हुए कहा कि अदालत बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए उन्हें दो सप्ताह जितना पर्याप्त समय दे। जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बागी विधायकों से बात होगी तो क्या उनके इस्तीफे स्वीकार हो जाएंगे तो सिंघवी ने कहा कि यह संभव नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है और सरकार बहुमत खो देती है तो राज्यपाल के पास विधानसभा अध्यक्ष को विश्वास मत कराने का निर्देश देने की शक्ति है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार बहुमत खो चुकी है या नहीं, यह राज्यपाल तय नहीं कर सकते बल्कि यह सदन तय करता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल के पास केवल तीन शक्तियां हैं- सदन कब बुलाना है, कब स्थगित करना है और भंग करना।

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अध्यक्ष ने वीडियो लिंक से बागी विधायकों से बात करने का न्यायालय का प्रस्ताव ठुकराया
विधानसभा अध्यक्ष ने वीडियो लिंक से बागी विधायकों से बात करने का न्यायालय का प्रस्ताव ठुकराया। विधानसभा के अध्यक्ष एन. पी. त्रिपाठी को बागी विधायकों से वीडियो लिंक के जरिए बात करने का या उन्हें बंधक बनाने के भय को दूर करने के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का गुरुवार को सुझाव दिया।अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
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न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि बागी विधायक अपनी मर्जी से गए हैं या नहीं यह सुनिश्चित करने का वह इंतजाम कर सकते हैं। पीठ ने कहा, ‘हम बंगलूरू या कहीं और एक पर्यवेक्षक की नियुक्त भी कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यक्ष से सम्पर्क कर सकें और उसके बाद वह निर्णय लें।’ उसने अध्यक्ष से यह भी पूछा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफा देने के संबंध में कोई जांच की गई और उन्होंने उनके (बागी विधायकों के) संबंध में क्या निर्णय किया है।

अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जिस दिन अदालत अध्यक्ष को समय सीमा के तहत निर्देश देने लगेगा, तो यह संवैधानिक समस्या बन जाएगा। राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ आराम से बैठे हैं और अध्यक्ष अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पीठ ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता के मामले में अध्यक्ष का निर्णय शक्ति परीक्षण को प्रभावित करेगा। उसने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत के अनुसार इस्तीफे और अयोग्यता के मामले अध्यक्ष के समक्ष लंबित होने से शक्ति परीक्षण पर कोई राके नहीं होती। पीठ ने कहा कि अदालत को यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल ने उसे मिली शक्ति से आगे बढ़कर काम किया।







 

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