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New Parliament House:हाईटेक फीचर्स से लैस है नया संसद भवन, सांसदों को नहीं होगी कोई दिक्कत, जानें ये 5 खूबियां

Rahul Sampal राहुल संपाल
Updated Sun, 28 May 2023 06:22 AM IST
सार
New Parliament House: नए संसद भवन के निर्माण के लिए बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से, सागौन (टीक वुड) की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई है। कार्पेट उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से मंगवाए गए हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से बांस की लकड़ी की फ्लोरिंग मंगवाई गई है...
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New Parliament House is equipped with hi-tech features, know these five features
New Parliament building Features - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar

विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। नया भवन देश की विविध संस्कृति को भी पेश करेगा। राज्यसभा और लोकसभा के साथ-साथ नए संसद भवन में एक संविधान हॉल भी बनाया गया है। इसमें देश के संवैधानिक विरासत की प्रदर्शनी लगाई गई है। जानकारी के अनुसार, नए भवन के लोकसभा में 888 सांसदों की बैठने की क्षमता होगी। जबकि राज्यसभा का आकार लोकसभा के मुकाबले छोटा होगा। राज्यसभा में 384 सांसद बैठ सकेंगे। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा चैंबर में होगा। इसमें 1280 सांसद एक साथ बैठ सकेंगे। नए भवन में सांसदों के सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।

यह भी पढ़ें: NITI Aayog meeting: नई संसद में पहले ही बिल पर हारेगी सरकार! मुख्यमंत्रियों के बहिष्कार से पैदा हुए नए समीकरण

New Parliament building
New Parliament building - फोटो : Agency
  • नए संसद भवन के निर्माण के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें सभी संसद सदस्यों के लिए एक विशेष लाउंज, एक लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और पार्किंग की जगह भी बनाई गई है। नए संसद भवन में अहम कामकाज के लिए अलग ऑफिस बनाए गए हैं, जो हाईटेक सुविधाओं से लैस हैं।
  • कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के तमाम कमरों में भी हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं। कॉमन रूम, महिलाओं के लिए लाउंज के अलावा वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था की गई है। इन विशेष लाउंज में सांसदों को उनके सहयोगी, परिवार के लोगों के अलावा संसद भ्रमण के लिए आने वाले लोगों को बुलाने की छूट होगी।
  • पुराने भवन की तुलना में नए भवन के लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की बैठक व्यवस्था सुधारी गई है। पुराने सदनों में सांसदों को सबसे ज्यादा दिक्कत बैठने में आती थी। लेकिन नए संसद भवन के दोनों सदनों में स्पेस बढ़ाया गया है। अब लोकसभा और राज्यसभा के कक्ष में हर बेंच पर केवल दो ही सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी। पुराने भवन में सांसदों को अंदर आने बाहर जाने में दिक्कत होती थी। लेकिन नए सदनों में सांसद बिना किसी अवरोध के आ सकेंगे और बाहर निकल सकेंगे। इस दौरान किसी को भी दिक्कत नहीं होगी।
  • नए संसद भवन को हाईटेक करने के अलावा नई तकनीक से लैस किया गया है। सांसदों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हर सीट पर डिजिटल सिस्टम और टच स्क्रीन लगाई गई है। इस डिजिटल सिस्टम को सांसद सीधे अपने मोबाइल या टैबलेट से कनेक्ट कर सकेंगे। इसमें खास बात यह है कि यह सिस्टम उसी सीट से कनेक्ट होंगे, जो आधिकारिक तौर पर उन्हें लोकसभा सचिवालय द्वारा अलॉट की गई है। इन डिजिटल सिस्टम पर सांसद संसद के कामकाज के ब्योरे के अलावा उनके संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी देख सकेंगे। संसद को पेपर लैस करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। इसलिए इन सिस्टम के जरिए ही अब सांसदों को महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी।
  • नए संसद भवन परिसर में लेटेस्ट ऑडियो-विजुअल सिस्टम भी लगाए गए हैं। संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले और सत्र स्थगित होने के बाद इनके जरिए सांसदों, कर्मचारियों को भी इसकी सूचना मिलती रहेगी। पुराने भवन की तरह भवन में भी सांसदों के लिए सुविधायुक्त डाइनिंग हॉल तैयार किया गया है। इसके अलावा बुजुर्ग सांसदों के लिए भी कई प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं।

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नया संसद भवन
नया संसद भवन - फोटो : AMAR UJALA

निर्माण के लिए इन जगहों से मंगवाई गई सामग्री

नए संसद भवन के निर्माण के लिए बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से, सागौन (टीक वुड) की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई है। कार्पेट उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से मंगवाए गए हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से बांस की लकड़ी की फ्लोरिंग मंगवाई गई है। स्टोन जाली वर्क्स राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से लिए गए हैं। अशोक प्रतीक को महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगाया गया है। अशोक चक्र को मध्यप्रदेश के इंदौर से लिया गया है। लाल लाख राजस्थान के जैसलमेर से मंगवाया गया है। इसी राज्य के अंबाजी से सफेद संगमरमर पत्थर खरीदे गए हैं। केसरिया ग्रीन स्टोन उदयपुर से मंगवाया गया है। एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी, फ्लाईएश ब्रिक्स को एनसीआर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से खरीदा गया था। ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच गुजरात के अहमदाबाद से लिए गए हैं। एलएस/आरएस फाल्स सीलिंग स्टील संरचना दमन और दीव से ली गई।

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