Pune Land Deal Row: कटघरे में पार्थ पवार, विपक्षी दल बोले- जांच कराएं CM फडणवीस; अजीत पवार से इस्तीफे की मांग
महाराष्ट्र का जमीन सौदा लगातार विवादों में है। पुणे की इस विवादित लैंड डील मामले में राज्य के विपक्षी राजनीतिक दल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार में डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल रहे अजीत पवार का इस्तीफा मांगा है। उपमु्ख्यमंत्री के बेटे पार्थ पर गंभीर आरोप लगे हैं। जानिए क्या है ये हाईप्रोफाइल मामला
विस्तार
पुणे की विवादित लैंड डील मामले में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार कटघरे में हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार पार्थ को बचाने के प्रयास कर रही है। इस मामले में कांग्रेस नेता विजय वाडेट्टीवार ने कहा, 'उनका इस्तीफा स्वाभाविक है, क्योंकि उस बच्चे ने 300 करोड़ रुपये की ज़मीन खरीदी है। धोखाधड़ी हुई है... महाराष्ट्र की जनता यह स्वीकार नहीं करेगी कि उन्हें जानकारी नहीं थी। सभी की मांग है कि कार्रवाई हो... मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मामले की जांच के लिए पत्र लिखना चाहिए... हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए... पार्थ पवार को भी आरोपी माना जाना चाहिए।
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On allegations against state Dy CM Ajit Pawar's son Parth Pawar’s company, Congress leader Vijay Wadettiwar says, "... His resignation is natural, given that the child has brought land worth Rs 300 crores and committed fraud... The public of… pic.twitter.com/vDWPs9BrvA
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— ANI (@ANI) November 7, 2025
शिवसेना UBT ने राजस्व विभाग और पुलिस विभाग से तीखे सवाल पूछे
इससे पहले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की नेता सुषमा अंधारे ने भी शुक्रवार को महाराष्ट्र के राजस्व विभाग और पुलिस विभाग से तीखे सवाल पूछे। सरकारी मिलीभगत और अफसरों की ईमानदारी पर गंभीर सवालिया निशान लगाते हुए अंधारे ने कहा, सभी मिलकर पार्थ को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सुषमा से पहले शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सरकारी समिति की जांच से 'कुछ भी ठोस नहीं निकलेगा। सरकार अंत में इस सौदे में शामिल सभी लोगों को 'क्लीन चिट' दे देगी।
पुणे जमीन सौदे की जांच करा रही सरकार, रिपोर्ट का इंतज़ार करें: राजस्व मंत्री बावनकुले
इस मामले में महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शुक्रवार को कहा, राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खड़गे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन करके पहले ही त्वरित कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि अजीत पवार के बेटे पार्थ से जुड़ी एक कंपनी से जुड़े 300 करोड़ रुपये की इस लैंड डील पर जांच रिपोर्ट आने का इंतजार करें। एक महीने इंतजार करने की बात कहते हुए बावनकुले ने कहा, समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आरोप-प्रत्यारोप के बजाय रिपोर्ट का इंतजार करना बेहतर है।
पार्थ का नाम प्राथमिकी में नहीं
बावनकुले ने कहा कि एफआईआर में पार्थ पवार का नाम नहीं है क्योंकि दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के समय वह सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा, 'कंपनी में उनकी हिस्सेदारी हो सकती है, लेकिन एफआईआर में उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने पंजीकरण के दौरान कागजात पर हस्ताक्षर किए थे।
खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस लेन-देन को 'प्रथम दृष्टया गंभीर' माना है। उन्होंने अधिकारियों को सभी विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएम अजीत पवार ने इस लेन-देन से किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए कहा, इस जमीन सौदे से मेरा दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री को इसकी जांच जरूर करानी चाहिए। यह उनका अधिकार है।किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बकौल अजीत पवार, 'मैंने कभी किसी अधिकारी को अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं कहा। जब आपके बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो वे अपना व्यवसाय करते ही हैं।'
क्या 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी माफ की गई?
इस हाईप्रोफाइल मामले में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा, 21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी कथित तौर पर माफ करने से उनके विभाग का सरोकार नहीं है। इससे पहले सामंत ने पहले कहा था कि इस मामले में सभी आरोपों का जवाब खुद पार्थ पवार देंगे। जमीन सरकार की थी या किसी अन्य प्राधिकरण की, इसकी पुष्टि होनी चाहिए।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि यह मामला 300 करोड़ रुपये की एक जमीन खरीद से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर पार्थ पवार से जुड़े एक फर्म का नाम भी शामिल है। इस सौदे में अनियमितताओं के आरोप उठे हैं, जिसके चलते सरकार ने एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित किया है और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, लेन-देन से जुड़े तीन लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की गई है। एक अधिकारी के अनुसार, पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में महार (अनुसूचित जाति) समुदाय की जमीन बेची गई है। एसटी श्रेणी की ये 40 एकड़ 'महार वतन' वंशानुगत भूमि अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेची गई। इसका प्रतिनिधित्व उसके साझेदार दिग्विजय अमरसिंह पाटिल करते हैं। डील के दौरान 21 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क माफ किया गया। पार्थ पवार भी इस फर्म में साझेदार हैं।
इसी बीच महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने पार्थ पर एक और गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि पार्थ पवार एक ऐसी कंपनी के मालिक हैं जो देशी शराब का उत्पादन करती है। उनका दावा है कि अजीत पवार ने अपनी पुत्र के व्यवसाय को लाभ पहुंचाने के लिए कई फैसले लिए और इसी उद्देश्य से उन्होंने आबकारी विभाग अपने पास रखा हुआ है।