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150 Years of Vande Mataram: PM मोदी बोले- 1937 में विभाजन के बीज बोए गए, वही सोच आज भी देश के लिए बड़ी चुनौती

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Fri, 07 Nov 2025 11:43 AM IST
सार

150 Years Of Vande Mataram: पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि 'जब दुश्मन ने आतंक के जरिए भारत की सुरक्षा और सम्मान पर हमला करने का दुस्साहस किया, तो पूरी दुनिया ने देखा, नया भारत मानवता की सेवा के लिए कमला और विमला का स्वरूप है, तो आतंक के विनाश के लिए दुर्गा भी बनना जानता है।'

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PM Modi inaugurates commemoration of 150 years of the National Song Vande Mataram, PM Speech
वंदे मातरम के 150 वर्ष पर पीएम का संबोधन - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर एक वर्ष तक चलने वाले स्मरणोत्सव का शुभारंभ किया है। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। वंदे मातरम, ये शब्द मां भारती की साधना है, मां भारती की आराधना है। वंदे मातरम, ये शब्द हमें इतिहास में ले जाता है, ये हमारे वर्तमान को नए आत्मविश्वास से भर देता है, और हमारे भविष्य को ये नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतवासी पा न सकें।
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गुलामी के कालखंड  'वंदे मातरम्' आजादी का गीत बना- पीएम
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'गुलामी के उस कालखंड में वंदे मातरम् इस संकल्प का उद्घोष बन गया था और वह उद्घोष था- भारत की आजादी का, मां भारती के हाथों से गुलामी की बेड़िया टूटेगी और उसकी संतानें स्वयं अपने भाग्य की भाग्य विधाता बनेगी।' उन्होंने आगे कहा 'गुलामी के कालखंड में जिस तरह अंग्रेज भारत को नीचा और पिछड़ा बताकर अपने शासन को सही ठहराते थे, इस पहली पंक्ति ने उस दुष्प्रचार को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इसलिए, 'वंदे मातरम्' न केवल आजादी का गीत बना, बल्कि 'वंदे मातरम्' ने करोड़ों देशवासियों के सामने स्वतंत्र भारत कैसा होगा, वह 'सुजलाम सुफलाम' सपना भी प्रस्तुत किया।'
 
'आतंक के विनाश के लिए दुर्गा भी बनना जानता है भारत'
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, '1927 में महात्मा गांधी ने कहा था 'वंदे मातरम्' हमारे सामने पूरे भारत की एक ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करता है जो अखंड है... हमारे राष्ट्रीय ध्वज में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं, लेकिन तब से लेकर आज तक, जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, तो 'भारत माता की जय', 'वंदे मातरम्' स्वतः ही हमारे मुंह से निकलता है।' पीएम मोदी ने आगे कहा कि 'बीते वर्षों में दुनिया ने भारत के इसी स्वरूप का उदय देखा है। हमने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे हैं और जब दुश्मन ने आतंकवाद के माध्यम से भारत की सुरक्षा और सम्मान पर प्रहार करने का दुस्साहस किया, तो पूरी दुनिया ने देखा कि नया भारत अगर मानवता की सेवा के लिए कमला और विमला का स्वरूप है, तो आतंकवाद के विनाश के लिए 10 प्रहर धारिणी दुर्गा बनना भी जानता है।'
 

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विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए चुनौती- पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आजादी की लड़ाई में 'वंदे मातरम्' की भावना ने पूरे राष्ट्र को आलोकित किया, लेकिन दुर्भाग्य से 1937 में इसकी आत्मा का एक हिस्सा, 'वंदे मातरम्' के महत्वपूर्ण पदों को अलग कर दिया गया। 'वंदे मातरम्' को खंडित किया गया, उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए। 'वंदे मातरम्' के इसी विभाजन ने देश के विभाजन के बीज भी बोए... आज की पीढ़ी के लिए यह जानना जरूरी है कि यह अन्याय क्यों हुआ, क्योंकि वही विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए चुनौती बनी हुई है।'
 

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