Prophet Remarks Row: भाजपा ने नेताओं पर कसी नकेल, 'बदजुबानों' को काबू करने में जुटे राजनीतिक दल
भाजपा के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अमर उजाला को बताया कि पार्टी का मीडिया विंग अपनी रणनीति के अनुसार टीवी पर बहस के मुद्दे को देखते हुए यह तय करता है कि किस प्रवक्ता को किस बहस में भाग लेना चाहिए। हर गुरुवार को पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक होती है जिसमें यह तय किया जाता है कि इस समय किस मुद्दे पर पार्टी की क्या रणनीति रहनी चाहिए...
विस्तार
भाजपा ने अपने नेताओं को टीवी बहसों के दौरान बेहद शालीन भाषा का उपयोग करने की सख्त चेतावनी दी है। उन्हें किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय पर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करने से रोका गया है। नुपुर शर्मा प्रकरण के बाद एक धर्म विशेष पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोपी कानपुर के एक भाजपा नेता को यूपी की जेल में भी डाल दिया गया है। लेकिन गैर-भाजपाई दलों में भी अनेक नेता ऐसे हैं जिनकी बेलगाम जुबान ने सामाजिक विद्वेष और सांप्रदायिक वैमनस्यता को बढ़ाने का काम किया है। अकबरूद्दीन ओवैसी, इमरान प्रतापगढ़ी और आजम खान जैसे नेताओं के विवादित बोल कई बार अपनी पार्टियों के लिए मुसीबत बढ़ा चुके हैं। लेकिन इनकी पार्टियों में अब तक भाषाई शालीनता रखने के मुद्दे पर कोई गंभीर कार्रवाई होते हुए नहीं दिखाई पड़ी है। आइये देखते हैं कि प्रमुख राजनीतिक दलों में मीडिया में पार्टी की बात रखने के लिए क्या व्यवस्था है-
भाजपा की टीम तय करती है दिशा
भाजपा के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अमर उजाला को बताया कि पार्टी का मीडिया विंग अपनी रणनीति के अनुसार टीवी पर बहस के मुद्दे को देखते हुए यह तय करता है कि किस प्रवक्ता को किस बहस में भाग लेना चाहिए। हर गुरुवार को पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक होती है जिसमें यह तय किया जाता है कि इस समय किस मुद्दे पर पार्टी की क्या रणनीति रहनी चाहिए और उन्हें किस तरह पार्टी की बात को आगे बढ़ाना चाहिए। विशेष अवसरों पर यह बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है। टीवी डिबेट्स में भाग लेने के पूर्व प्रवक्ताओं को संबंधित घटनाओं के तथ्यों की जानकारी उपलब्ध कराने का तंत्र भी पार्टी में मौजूद है।
प्रवक्ताओं की बैठक में कई बार पार्टी के वरिष्ठ नेता भाग लेते हैं और उन्हें पार्टी की राय बताते हैं। वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति में मीडिया विंग के चेयरमैन अनिल बलूनी (सांसद राज्यसभा) और संजय मयूख (विधान परिषद सदस्य, बिहार विधानसभा) पार्टी प्रवक्ताओं को पार्टी लाइन से अवगत कराते हैं। ताजा विवाद के बाद नेताओं-प्रवक्ताओं को कड़ी चेतावनी दी गई है कि उनकी टिप्पणियों में भाषाई शालीनता बरकरार रहनी चाहिए।
मीडिया चेयरमैन देता है पार्टी लाइन- कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश ने अमर उजाला को बताया कि उनकी पार्टी में उसी कार्यकर्ता को प्रवक्ता पद पर आगे बढ़ाया जाता है, जिसकी भाषाई शालीनता और मुद्दों को गंभीरता से रखने की क्षमता पार्टी लाइन के अनुसार होती है। सामान्य विषयों में प्रवक्ता-नेता पार्टी में काम करने के अपने लंबे अनुभव से पार्टी का पक्ष रखते हैं। कोई गंभीर विषय होने पर मीडिया विभाग का चेयरमैन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से बात करके अन्य नेताओं-प्रवक्ताओं को पार्टी की आधिकारिक स्थिति बताता है। ज्यादा महत्त्वपूर्ण घटना होने पर पार्टी के मंच पर वरिष्ठ नेताओं में आपसी बातचीत कर पार्टी की लाइन तय की जाती है। उसके अनुरूप ही पार्टी नेता मीडिया या सार्वजनिक जीवन में अपनी बात रखते हैं।
अखिलेश यादव, डिंपल तय करते हैं सपा की पार्टी लाइन
समाजवादी पार्टी के नेता अमीक जामेई ने अमर उजाला को बताया कि उनकी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से बेहद स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि टीवी बहस या सार्वजनिक जीवन में कोई आपत्तिजनक भाषा न बोली जाए। जब उन्हें किसी टीवी चैनल पर बहस के लिए आमंत्रित किया जाता है तो वे इसकी सूचना पार्टी के आधिकारिक व्हाट्सअप ग्रुप में डाल देते हैं। इसके बाद पार्टी के कंट्रोल रूम से उन्हें उस मुद्दे पर पार्टी की लाइन दे दी जाती है और वे उसी लाइन के आधार पर पार्टी का पक्ष रखते हैं। लेकिन इस दौरान किसी तरह की आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करने पर सख्त रोक रहती है। लंबे राजनीतिक अनुभव से पार्टी नेता स्वयं उसी भाषा का उपयोग करते हैं जो भारत के समाज-संस्कृति में सभ्य समझी जाती है।
ज्यादातर मामलों में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी की लाइन तय करते हैं। कई बार वे प्रवक्ताओं और अन्य महत्त्वपूर्ण नेताओं के साथ बैठक कर पार्टी की लाइन तय करते हैं। डिंपल यादव भी कई अवसरों पर पार्टी की मीडिया में जाने वाली लाइन तय करती हैं। वे कई बार नेताओं के साथ बैठक भी करती हैं। लेकिन हर स्थिति में नेताओं से बेहद शालीन भाषा उपयोग करने की अपेक्षा की जाती है।
सपा नेता लौटन राम निषाद ने एक बार पार्टी लाइन से अलग हटते हुए देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी कर दी थी। पार्टी नेतृत्व ने इसका संज्ञान लेते हुए उन्हें तत्काल पद से हटा दिया था। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद भी पार्टी के कुछ प्रवक्ताओं के कार्य और भाषा को पार्टी के मानक पर सही नहीं पाया गया और उन्हें इस महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया।
संविधान की आत्मा का रखते हैं ख्याल- AIMIM
एआईएमआईएम प्रवक्ता मुमताज आलम रिजवी ने कहा कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक आदर्शों वाली पार्टी है। उनके यहां लोगों को बोलने की आजादी होती है, लेकिन वे इस बात का खयाल रखते हैं कि उनके बोलते समय देश के संविधान और इसके सम्मान को कोई चोट न पहुंचे। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता इस बात का ख्याल रखते हैं कि उनकी स्वतंत्रता वहीं तक होती है जहां तक किसी को कोई चोट नहीं पहुंचती है। मीडिया में बात रखते हुए वे सदैव इस बात का खयाल रखते हैं और उनकी बातों का पार्टी के द्वारा सदैव मूल्यांकन किया जाता है, लिहाजा गलती की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जाती।
पार्टी नेता लाइन का रखते हैं ध्यान- राजद
राजद के एक नेता के मुताबिक वे पार्टी के शीर्ष नेताओं की बात को ध्यान में रखकर मीडिया में अपनी बात रखने के लिए लाइन तय करते हैं। पार्टी की तरफ से कोई दिशा निर्देश देने जैसी व्यवस्था नहीं बनाई गई है, लेकिन मीडिया में बात रखते हुए उनसे शालीनता और देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप बात रखने की अपेक्षा की जाती है।