Prophet Remarks Row: नुपुर शर्मा का निलंबन बना भाजपा के गले की फांस, कट्टर समर्थक हुए नाराज
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि हिंदुओं को किसी भी मामले में समस्या होती है, तो वे अदालत का रास्ता अपनाते हैं। उनके आराध्य देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ा गया, यह सत्य सभी लोग जानते हैं। इसके एतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं...
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भले ही अरब देशों के तीखे विरोध के बाद भाजपा ने एक धर्म विशेष पर कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी के आरोप में अपनी पार्टी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा को निलंबित कर दिया है। लेकिन इस कार्रवाई के बाद पार्टी के कट्टर समर्थकों का गुस्सा उफान पर है। समर्थक न केवल इस कार्रवाई को गलत बता रहे हैं, बल्कि इस फैसले को मुस्लिमों के तुष्टिकरण से भी जोड़ रहे हैं।
कांग्रेस से की भाजपा की तुलना
एक कट्टर समर्थक अभिषेक राजपूत ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उन्होंने आज तक भाजपा को छोड़कर किसी दूसरी पार्टी को वोट नहीं दिया है। इसका केवल एक ही कारण रहा है कि भाजपा ने कभी किसी वर्ग का तुष्टिकरण नहीं किया। नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाएं किसी धर्म विशेष के लिए नहीं होतीं, ये सबके लिए एक समान रूप से लागू की जाती हैं। लेकिन नुपुर शर्मा पर की गई कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा भी मुस्लिम चरमपंथियों के दबाव में आ गई है। वे आगे लिखते हैं कि कांग्रेस के कई नेता अपनी पार्टी छोड़-छोड़ कर भाजपा में जा रहे थे और अब (मुस्लिमों के तुष्टीकरण के मामले में) भाजपा ही असली कांग्रेस बन गई है।
इस प्रकरण के बाद से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर #NupurSharma लगातार ट्रेंड कर रहा है। नुपुर शर्मा के समर्थकों ने लिखा है कि भाजपा अब हिंदुओं की पार्टी नहीं रह गई है और हिंदुओं को वोट देने के लिए नई पार्टी की तलाश कर लेनी चाहिए।
नुपुर ने गलत क्या कहा?
नुपुर समर्थकों ने लिखा है कि हिंदुओं के धार्मिक प्रतीकों के बारे में लगातार अभद्र टिप्पणियां की जाती रही हैं, लेकिन उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि इस्लामी प्रतीकों की तथ्यात्मक जानकारी देना भी गलत करार दे दिया गया है।
भाजपा का विरोध, बाला साहब ठाकरे की याद
नुपुर शर्मा का मामला जैसे-जैसे गहरा रहा है, सोशल मीडिया पर भाजपा और केंद्र सरकार का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इस अवसर पर लोग शिवसेना के संस्थापक स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे को भी याद कर रहे हैं जो अपने स्टैंड पर लगातार कायम रहे और कभी सत्ता के लालच में अपनी आवाज से समझौता नहीं किया। लोगों का कहना है कि अब भारत में कोई नया बाला साहब ठाकरे आना चाहिए जो हिंदुओं की आवाज बनकर उभरे।
कोर्ट का रास्ता क्यों नहीं अपनाते मुस्लिम चरमपंथी
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि हिंदुओं को किसी भी मामले में समस्या होती है तो वे अदालत का रास्ता अपनाते हैं। उनके आराध्य देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ा गया, यह सत्य सभी लोग जानते हैं। इसके एतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं। लेकिन इसके बाद भी हिंदू उन स्थलों पर सीधा दावा करने की बजाय कोर्ट का रास्ता अपनाते हैं। अयोध्य़ा से लेकर ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला के विवाद में लगातार हिंदू पक्ष कोर्ट गए हैं।
वहीं, दूसरी ओर इस्लामी धर्मावलंबी किसी समस्या पर सीधे ‘गला काटने’ की धमकी देने लगते हैं। यह न केवल असंवैधानिक है, बल्कि भारत में ‘तालिबानी राज’ लाने के प्रयास भी हैं। कई इस्लामी धर्मगुरु भी इस तरह की घटनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह समझा जाना चाहिए कि ऐसे धर्मगुरु भारत को संविधान से चलते हुए देखना चाहते हैं या वे भारत में तालिबानी शासन लाना चाहते हैं।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतता या तालिबानी शासन
विनोद बंसल ने कहा कि जब एमएफ हुसैन या जाकिर नाईक हिंदुओं की आस्थाओं पर चोट करते हैं तो उसे अभिव्यक्ति की आजादी करार दिया जाता है, लेकिन जब कोई नुपुर शर्मा को गला काटने तक की धमकी दी जाती है। यह तय करना पड़ेगा कि अभिव्यक्ति की आजादी केवल एक धर्म के लिए लागू होगी, या यह सभी धर्मों के लिए एक समान रूप से लागू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस्लामी धर्मगुरुओं को बताना चाहिए कि वे भारत को संविधान से चलते हुए देखना चाहते हैं, या इस्लामी कानून के द्वारा तालिबानी राज की तरह संचालित होते हुए देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नुपुर शर्मा पर हुई कार्रवाई से कई हिंदुओं को गहरी निराशा हुई है।