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Prophet Remarks Row: पाकिस्तान में शिया और चीन में उइगर मुसलमानों पर जब जुल्म होता है तो क्यों मौन रहते हैं ये अरब देश?

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Sun, 12 Jun 2022 09:23 AM IST
सार

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री, ये ऐसे लोग हैं, जिनसे पैगंबर जैसे संजीदगी वाले मुद्दे पर बयान की उम्मीद की जाती है। इस माहौल में प्रधानमंत्री की खामोशी का क्या मतलब हुआ। यही कि वे इससे असहमत नहीं हैं, कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है...

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prophet remarks row: when uyghur Muslims in china and shia muslims in pakistan being persecuted then why Arab countries remain silent and do not speak
Saharanpur Violence, सहारनपुर में बवाल - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा प्रवक्ताओं की कथित टिप्पणी से उपजा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। 'जुमे की नमाज' के दिन कई राज्यों में हिंसक घटनाएं सामने आई हैं। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी को अर्थपूर्ण बताते हैं, एक्सीडेंटल नहीं। वे कहते हैं, ऐसे गंभीर मसले पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या विदेश मंत्री को बयान देना चाहिए था। पूर्व राजनयिक जेके त्रिपाठी के मुताबिक, कुछ देश 'दुष्प्रचार' का हिस्सा बन जाते हैं। चीन में उइगर मुसलमानों पर जुल्म होता है तो अरब देश नहीं बोलते, पाकिस्तान में शिया मुसलमान निशाने पर हैं तो भी ये देश मौन रहते हैं। विहिप के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा, आज जिहादी मुस्लिम नेतृत्व, जानबूझ कर मुस्लिम समुदाय को हिंसा और अधर्म के पथ पर ले जा रहा है। ऐसे तत्वों के साथ सख्ती से निपटना चाहिए।

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प्रधानमंत्री की खामोशी का क्या मतलब हुआ

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक मीडिया समूह के साथ बातचीत में कहा, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री, ये ऐसे लोग हैं, जिनसे पैगंबर जैसे संजीदगी वाले मुद्दे पर बयान की उम्मीद की जाती है। इस माहौल में प्रधानमंत्री की खामोशी का क्या मतलब हुआ। यही कि वे इससे असहमत नहीं हैं, कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है। उन्होंने कहा, विदेश मंत्री का बयान अभी तक इसलिए नहीं आया, क्योंकि उन्हें भी तो कहीं से मंजूरी लेनी होती है। अंसारी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ये बात ठीक है कि अरब देश, चीन में उइगरमुसलमानों पर किए जा रहे कथित ज़ुल्मों पर चुप रहते हैं। पाकिस्तान में शिया मुसलमानों पर जब अत्याचार की खबरें आती हैं तो इस्लामिक राष्ट्र मौन साध लेते हैं। भारत में पैगंबर पर टिप्पणी मामले में वे बोले, ये बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इस पर वे देश चुप नहीं रह सकते थे।

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चुकानी पड़ सकती है दीर्घकालिक कीमत

इस मसले पर स्वराज इंडिया के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने अपने एक लेख में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम बिरादरी से हम उम्मीदें नहीं बांध सकते। मुश्किलों के भंवर में फंसे हिंदुस्तानी मुसलमानों के हितैषी के रूप में हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रहे इस समर्थन की एक दीर्घकालिक कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। आज मोदी सरकार को अपने दो प्रवक्ताओं की वजह से वैश्विक स्तर पर किरकिरी झेलनी पड़ रही है। यादव ने लिखा है, जो देश पैगंबर विवाद में बवाल मचा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर मुस्लिम देशों का अपने अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार ठीक नहीं रहा है। उन देशों में धार्मिक स्वतंत्रता का रिकार्ड खराब रहा है। इसके बावजूद वे देश भारत से माफी मांगने की बात कर रहे हैं, तो इसमें उनका ढीठपन नजर आता है। चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर पाकिस्तान कितनी बार बोला है, न के बराबर। हालांकि पैगंबर विवाद के बीच कूदने में पाकिस्तान ने देर नहीं लगाई। हामिद अंसारी ने कहा, पैगंबर विवाद एकाएक नहीं हुआ। ये एक सिलसिलेवार कड़ी थी। केंद्र सरकार ने उसे समय रहते रोका नहीं, क्योंकि वह सरकार की नीति का हिस्सा हो सकता है। सरकार को कूटनीति के जरिए यह मामला हल करना चाहिए था।

सुनियोजित 'दुष्प्रचार' का हिस्सा बन रहे हैं कुछ देश

पूर्व राजनयिक जेके त्रिपाठी ने बताया, इस मुद्दे को कुछ इस्लामिक देश बेवजह तूल दे रहे हैं। ऐसा नजर आता है कि वे किसी सुनियोजित 'दुष्प्रचार' का हिस्सा बन रहे हैं। किसी के बहकावे में आकर इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का प्रयास हो रहा है। विहिप के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने शनिवार को अपने बयान में कहा, आज मुसलमानों के बीच रह रहे कुछ जिहादी लोग, पूरे समुदाय को हिंसा के रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। यह न तो समाज के हित में है और न ही देश के हित में। जो तत्व देश के शांतिपूर्ण और समावेशी लोकाचार को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि भारत अपने संविधान के तहत काम करता है न कि शरिया आपराधिक कानून के तहत। जिन लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्हें यह ध्यान में रखना चाहिए कि वे इस मामले में जज नहीं हो सकते हैं।

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