Prophet Row : पत्रकार नाविका कुमार को बड़ी राहत, सारी FIR दिल्ली पुलिस के IFSO को ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट ने नाविका कुमार के खिलाफ आठ सप्ताह तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया है, ताकि वह ये एफआईआर निरस्त कराने के लिए उपयुक्त कदम उठा सकें। वह एफआईआर खारिज कराने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए भी स्वतंत्र हैं।
विस्तार
पैगंबर मोहम्मद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज वरिष्ठ पत्रकार नाविका कुमार को बड़ी राहत दे दी। शीर्ष कोर्ट ने उनके खिलाफ देश के कई राज्यों में दायर एफआईआर दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ इकाई को ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया। मामले में पूर्व भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा को भी ऐसी ही राहत पूर्व में दी जा चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने नाविका कुमार के खिलाफ आठ सप्ताह तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया है, ताकि वह ये एफआईआर निरस्त कराने के लिए उपयुक्त कदम उठा सकें। वह एफआईआर खारिज कराने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए भी स्वतंत्र हैं।
SC transfers all FIRs filed against Times Now anchor Navika Kumar to IFSO unit of Delhi Police
— ANI (@ANI) September 23, 2022
SC says no coercive action to be taken against Kumar for a period of 8 weeks so she can approach appropriate forum for remedies. Kumar at liberty to move Delhi HC for quashing FIRs. pic.twitter.com/iFsBsNtbM6
बता दें, नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ जिस टीवी शो में कथित तौर पर आपत्तिजनक बातें कही थीं, उसका संचालन नाविका कुमार कर रही थीं। इस मामले में नूपूर के साथ ही नाविका कुमार के खिलाफ कई राज्यों में पुलिस केस दर्ज किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने आज नाविका कुमार के खिलाफ दायर सारी एफआईआर मिलाने और उन्हें दिल्ली पुलिस को हस्तांतरित करने का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई इस मामले की जांच करेगी।
इसके पहले शीर्ष कोर्ट ने 8 अगस्त को नाविका कुमार की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार, व अन्य राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर नाविका कुमार के खिलाफ कार्रवाई निरस्त करने की याचिका पर जवाब मांगा था। नूपुर शर्मा के बयान देशभर में बवाल बच गया था और खाड़ी देशों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। उदयपुर व औरंगाबाद में ‘सिर तन से जुदा‘ जैसी धमकियों के साथ जघन्य हत्याओं के मामले सामने आए थे।