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Telangana: उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन बोले- 'विकसित भारत 2047' के लिए नैतिक और निष्पक्ष सिविल सेवक अनिवार्य
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 20 Dec 2025 10:03 PM IST
सार
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब देश 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तब शासन की गुणवत्ता और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण, संस्थाओं को चलाने वाले लोगों की गुणवत्ता, निर्णायक साबित होगी। उन्होंने लोक सेवा आयोगों को संवैधानिक संस्थाएं बताते हुए कहा कि इन्हें देश की सेवा के लिए सक्षम, निष्पक्ष और नैतिक व्यक्तियों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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सीपी राधाकृष्णन, उपराष्ट्रपति
- फोटो : X @VPIndia
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विस्तार
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि लोक सेवा आयोग (पीएससी) देश की शासन-व्यवस्था की गुणवत्ता, ईमानदारी और प्रभावशीलता तय करने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक परीक्षाओं में किसी भी तरह की अनियमितता, भले ही वह अलग-थलग ही क्यों न हो, संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए इसमें शून्य सहनशीलता होनी चाहिए।
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सार्वजनिक भर्ती की नैतिक नींव निष्पक्षता- उपराष्ट्रपति
हैदराबाद में आयोजित राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि सार्वजनिक भर्ती की नैतिक नींव निष्पक्षता है। उन्होंने पारदर्शिता, अनाम मूल्यांकन और वस्तुनिष्ठ अंकन प्रणाली को पक्षपात खत्म करने के लिए जरूरी बताया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि संविधान में निहित पीएससी की स्वायत्तता ने सार्वजनिक भर्ती में मेरिट, निष्पक्षता और पारदर्शिता की रक्षा की है। दशकों से केंद्र और राज्यों के आयोगों ने प्रशासनिक निरंतरता, संस्थागत स्थिरता और निष्पक्ष चयन के जरिए जनता का भरोसा मजबूत किया है।
'केवल भर्ती से आजीवन उत्कृष्टता सुनिश्चित नहीं होती'
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि केवल भर्ती से आजीवन उत्कृष्टता सुनिश्चित नहीं होती। इसके लिए निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन, सतर्क निगरानी और समय-समय पर समीक्षा की व्यवस्था जरूरी है, ताकि संस्थागत ईमानदारी बनी रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि चरित्र और नैतिक आचरण राष्ट्र निर्माण और जनविश्वास की बुनियाद हैं।
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'मेरिट सिर्फ कायम ही नहीं, बल्कि दिखनी भी चाहिए'
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज के दौर में प्रभावी शासन के लिए सिविल सेवकों में केवल शैक्षणिक योग्यता ही नहीं, बल्कि नैतिक विवेक, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेतृत्व क्षमता और टीमवर्क भी होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पीएससी ज्ञान-आधारित परीक्षाओं के साथ-साथ व्यवहारिक और नैतिक क्षमताओं के निष्पक्ष व संरचित आकलन के तरीकों पर भी विचार करें। उन्होंने कहा, 'मेरिट सिर्फ कायम ही नहीं रहनी चाहिए, बल्कि दिखनी भी चाहिए।' बता दें कि इस सम्मेलन का उद्घाटन 19 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था।
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सार्वजनिक भर्ती की नैतिक नींव निष्पक्षता- उपराष्ट्रपति
हैदराबाद में आयोजित राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि सार्वजनिक भर्ती की नैतिक नींव निष्पक्षता है। उन्होंने पारदर्शिता, अनाम मूल्यांकन और वस्तुनिष्ठ अंकन प्रणाली को पक्षपात खत्म करने के लिए जरूरी बताया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि संविधान में निहित पीएससी की स्वायत्तता ने सार्वजनिक भर्ती में मेरिट, निष्पक्षता और पारदर्शिता की रक्षा की है। दशकों से केंद्र और राज्यों के आयोगों ने प्रशासनिक निरंतरता, संस्थागत स्थिरता और निष्पक्ष चयन के जरिए जनता का भरोसा मजबूत किया है।
'केवल भर्ती से आजीवन उत्कृष्टता सुनिश्चित नहीं होती'
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि केवल भर्ती से आजीवन उत्कृष्टता सुनिश्चित नहीं होती। इसके लिए निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन, सतर्क निगरानी और समय-समय पर समीक्षा की व्यवस्था जरूरी है, ताकि संस्थागत ईमानदारी बनी रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि चरित्र और नैतिक आचरण राष्ट्र निर्माण और जनविश्वास की बुनियाद हैं।
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'मेरिट सिर्फ कायम ही नहीं, बल्कि दिखनी भी चाहिए'
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज के दौर में प्रभावी शासन के लिए सिविल सेवकों में केवल शैक्षणिक योग्यता ही नहीं, बल्कि नैतिक विवेक, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेतृत्व क्षमता और टीमवर्क भी होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पीएससी ज्ञान-आधारित परीक्षाओं के साथ-साथ व्यवहारिक और नैतिक क्षमताओं के निष्पक्ष व संरचित आकलन के तरीकों पर भी विचार करें। उन्होंने कहा, 'मेरिट सिर्फ कायम ही नहीं रहनी चाहिए, बल्कि दिखनी भी चाहिए।' बता दें कि इस सम्मेलन का उद्घाटन 19 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था।
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