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पुलवामा हमले में शहीद हुए ये जवान, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि के साथ देश कर रहा है सलाम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Gaurav Pandey Updated Fri, 15 Feb 2019 12:56 AM IST
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Pulwama Attack : these soldiers died in terrorist attack
सांकेतिक तस्वीर
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जम्मू-कश्मीर में हुए अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गए और 40 से ज्यादा घायल हुए हैं। जम्मू- श्रीनगर नेशनल हाईवे पर अपराह्न सवा तीन बजे हमलावर ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्कर मार दी। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए। इसके बाद घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग भी की। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्कानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी।

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इन शहीदों में महराजगंज के पंकज त्रिपाठी भी शामिल हैं। उनके पिता ओमप्रकाश ने जम्मू सीआरपीएफ मुख्यालय से आए फोन के हवाले से यह जानकारी दी है। परिवार के लोग जम्मू रवाना हो गए हैं। छुट्टी पर आए पंकज तीन दिन पहले ही ड्यूटी पर पुलवामा लौटे थे।
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सेना की जिस बस के परखच्चे उड़े हैं, उसमें कांगड़ा का भी जवान था सवार

शिमला : पुलवामा में आतंकियों ने सेना की जिस बस को निशाना बनाया, उसमें कांगड़ा जिले में जवाली के देवा गांव का जवान तिलक राज पुत्र लायक राम भी सवार था। प्रदेश सरकार ने मंत्री किशन कपूर और स्थानीय विधायक अर्जुन को शिमला से जवान के घर रवाना कर दिया है। सरकार और प्रशासन लगातार जवान के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। उधर आतंकी हमले में 42 जवानों की शहादत पर हिमाचल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शोक जताया है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने जहां आतंकी घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है, वहीं शहीदों की शहादत को नमन किया है। बजट सत्र के बाद राजभवन में राज्यपाल की ओर से विधायकों को दिया जाने वाला भोज भी रद्द कर दिया है। वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वह शहीद एवं घायल हुए सैनिकों के दुखद समाचार से आहत हैं। आतंकी घटना बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा कि शहादत को नमन करता हूं और दुख की इस घड़ी में देश शहीदों के परिवार के साथ है।

आतंकी हमले में शहीद हुआ उन्नाव का लाल

उन्नाव : आतंकी हमले में उन्नाव के लोक नगर का वीर सपूत अजीत कुमार (38) शहीद हो गया। गुरुवार देर रात छोटे भाई रंजीत के पास फोन आया तो परिवार में कोहराम मच गया। अजीत चार दिन पहले ही एक महीने की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर गए थे। सूचना पर डीएम, सिटी मजिस्ट्रेट देर रात शहीद के घर पहुंचे और परिवार को ढाढस बंधाया।

शहर के लोक नगर निवासी अजीत कुमार (38) पुत्र प्यारे लाल सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे। गुरुवार शाम वह सीआरपीएफ के काफिले के साथ जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रहे थे। तभी पुलवामा अवंतीपोरा में गोरीपोरा में एक आतंकी ने विस्फोटक से भरी कार को जवानों की बस से भिड़ा दिया। 

अजीत के शहीद होने की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया। शहादत की खबर फैलते ही क्षेत्र शोक में डूब गया। अजीत के छोटे भाई रंजीत ने बताया कि आतंकी हमले की खबर वह टीवी पर देख रहे थे। तभी जम्मू से आए फोन से उन्हें भाई के शहीद होने की खबर मिली। आतंकी हमले में उन्नाव के जवान की शहादत की सूचना मिलते ही डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय, सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार सिंह शहीद अजीत के घर पहुंचे।

पांच भाइयों में थे बड़े

सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात जवान अजीत कुमार पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। अजीत से छोटे सुजीत परिषदीय विद्यालय में शिक्षक हैं। तीसरे नंबर पर रंजीत व चौथे नंबर पर मंजीत है। मंजीत भी सेना में जवान हैं। मौजूदा समय में वह भोपाल में तैनात हैं। जबकि सबसे छोटा भाई संजीत बीटीसी कर रहा है। 

चार दिन पहले ही गए थे जम्मू 

भाई रंजीत ने बताया कि एक माह पूर्व ही बड़े भाई अजीत कुमार छुट्टियों पर घर आए थे। 10 फरवरी को छुट्टियां खत्म होने पर वह जम्मू चले गए थे। 

आतंकी हमले की खबर सुनते ही पसर गया था सन्नाटा

अजीत के परिजनों को गुरुवार शाम जैसे ही आतंकी हमले की खबर मिली वह सकते में आ गए थे। उन्होंने सबसे पहले अजीत को फोन मिलाया। हालांकि उनका अजीत से संपर्क नहीं हो सका। इस बीच उन्होंने दूसरे साथियों को फोन मिलाया। जिस पर उन्हें हमला होने की जानकारी मिली। हालांकि अजीत सुरक्षित हैं या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी थी। आतंकी हमले की खबर के बाद से कई घंटे तक घर में सन्नाटा पसरा रहा। देर शाम जब अजीत के शहीद होने की खबर मिली तो कोहराम मच गया। 

मां को संभालती रहीं मासूम बेटियां 

आतंकी हमले में अजीत के शहीद होने की खबर मिलते ही पिता प्यारे लाल, मां राजवंती व पत्नी मीना का रो रोकर बुरा हाल हो गया। परिजनों को रोता देख मासूम बेटियों ने उन्हें संभाला। मां मीना को बेटी ईशा (11) व रिषा (09) संभालती रही।

कन्नौज का लाल शहीद

कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में यूपी के कन्नौज जिले का लाल शहीद हो गया। तिर्वा के सुखसेनपुर निवासी जवान प्रदीप सिंह यादव भी उस बटालियन में शामिल थे, जिसे आंतकियों ने निशाना बनाया। रात में यह खबर आई तो परिजनों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा। जिले में शोक की लहर दौड़ गई।

तीन दिन पहले छिबरामऊ के शाहजहांपुर निवासी सेना में हवालदार रहे सूर्यप्रताप सिंह की कश्मीर के उरी में हुई मौत की खबर का गम जिला भूल नहीं पाया था कि गुरुवार को पुलवामा में हुई आतंकी घटना में जिले के लाल की शहादत ने सभी को झकझोर दिया।

10 फरवरी को घर से गए थे कानपुर देहात के श्यामबाबू

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद कानपुर देहात का श्याम बाबू 10 फरवरी को ही ड्यूटी पर गया था। शाम को उसके शहीद होने की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। डेरापुर थाना क्षेत्र के नोनारी गांव के मजरा रैगवां निवासी किसान राम प्रसाद के दो बेटों में श्यामबाबू बड़े थे। छोटा बेटा कमलेश प्राइवेट नौकरी करता है। पिता ने बताया कि श्याम बाबू की शादी करीब छह साल पहले रूबी से हुई थी।

उसके चार साल का बेटा और छह महीने की एक बेटी है। मकान बनाने का काम चल रहा था, इसके चलते कुछ दिनों से श्याम बाबू छुट्टी पर था। 29 जनवरी को ड्यूटी पर गए थे और 1 फरवरी को लौट आए थे। 10 फरवरी को फिर ड्यूटी पर चले गए थे। गुरुवार को सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा में हमले की खबर के बाद परिवार चिंतित हो गया था। मीडिया अन्य माध्यमों से श्यामबाबू के शहीद होने की सूचना परिजनों को मिल रही थी। शाम करीब करीब साढ़े छह बजे डेरापुर थाने के सिपाही ने घर जाकर सूचना दी। इसके बाद घर में कोहराम मच गया। घर के बाहर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई।

दो दिन पहले सरहद की सुरक्षा के लिए घर से गए थे रमेश

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को आतंकी हमले में शहीद होने वालों में जिले के चौबेपुर क्षेत्र के तोफापुर के लाल रमेश यादव (26) भी हैं। सीआरपीएफ के जवान रमेश देश की सीमा की सुरक्षा के लिए रमेश 12 फरवरी को घर से रवाना हुए थे। गुरुवार की शाम फोन आया कि रमेश शहीद हो गए हैं तो बूढ़े पिता किसान श्याम नारायण गश खाकर जमीन पर गिर पड़े जबकि पत्नी रेनू अचेत हो गई।

तीन दिन पहले घर से ड्यूटी पर लौटे थे अवधेश यादव

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में वाराणसी में चंदौली के पड़ाव क्षेत्र के बहादुरपुर गांव का अवधेश यादव उर्फ दीपू शहीद हो गया। मंगलवार को तीन दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर लौट था। हालांकि अभी घर वालों की उसके शहीद होने की सूचना नहीं दी गई है। वहीं घटना की जनकारी होने के बाद पास पड़ोस और ग्रामीणों का घर पर जमावड़ा हो गया।

बहादुरपुर गांव के हरिकेश यादव के चार बेटे-बेटियों में अवधेश सबसे बड़ा था। वर्ष 2006 में वह सीआरपीएफ की 145वीं बटालियन में भर्ती हुआ था। परिवार में पिता के अलावा मां मालती देवी हैं, जो कैंसर से पीड़ित है। दो बहनों की शादी हो चुकी है। छोटा भाई बृजेश यादव पढ़ाई कर रहा है। अवधेश की शादी तीन साल पहले सैयदराजा के पूरवा गांव निवासी जनार्दन यादव की बेटी शिल्पी के साथ हुई थी। शिल्पी का तीन साल का एक बेटा भी है।

हमले में शहीद हुए सभी सैनिकों की जानकारी अमर उजाला आपके लिए जल्द ही उपलब्ध कराएगा।

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