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Mob Lynching: राहुल-मालवीय के ट्विटर वार के बीच क्यों हो रही झारखंड में मॉब लिंचिंग पर बनने वाले कानून की चर्चा, क्या है प्रावधान

प्रतिभा ज्योति, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: प्रतिभा ज्योति Updated Tue, 21 Dec 2021 04:47 PM IST
सार
मॉब लिंचिंग पर कानून लाने के लिए विधेयक झारखंड विधानसभा से पारित हो गया है। नए कानून में  इस तरह की हिंसा का मामला दर्ज होने के बाद, पुलिस को पीड़ितों को लिखित रूप में जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना होगा। साथ ही  यह बताना होगा  संदिग्ध आरोपी का नाम प्राथमिकी के 30 दिनों के भीतर शामिल किया जाएगा।
 
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rahul gandhi amit malviya twitter war on mob lynching,Jharkhand law against lynching the jharkhand prevention of mob violence and mob lynching bill 2021 what is the provision of the bill
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो) - फोटो : Facebook

विस्तार
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लिंचिंग को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इस बार देश में हो रही लिंचिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि साल 2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था। इसके लिए आपको धन्यवाद पीएम मोदी। दरअसल, हाल में पंजाब में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बाद से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने सामने हैं। 


राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद भाजपा नेता अमित मालवीय ने उन पर पलटवार किया। मालवीय ने कहा है कि राजीव गांधी तो मॉब लिंचिंग के जनक थे, जिन्होंने सिखों के खून से लथपथ जनसंहार को सही ठहराया था। कांग्रेस के कई नेता सड़कों पर उतरे और खून का बदला खून से लेंगे जैसे नारे लगाए। 


झारखंड सरकार बना रही कानून
लिंचिंग (यानी भीड़ तंत्र के आगे किसी की पीट-पीट कर हत्या कर देने) को लेकर चल रहे इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच झारखंड में बनने वाले लिंचिग कानून की चर्चा हो रही है। झारखंड में मॉब लिंचिंग और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए मॉब लिंचिंग विधेयक पारित हो गया है। भाजपा प्रस्तावित विधेयक में संशोधन की मांग कर रही थी और इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा का कहना है कि एक पार्टी विशेष को निशाना बनाकर यह कानून बनाया जा रहा है।   

मॉब लिंचिंग
मॉब लिंचिंग - फोटो : SELF
मॉब लिंचिंग किसे कहा गया है
The Jharkhand Prevention of Mob Violence and Mob Lynching Bill 2021 विधेयक के प्रारूप में कहा गया कि यदि कोई भीड़ धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा सहित कई ऐसे ही आधार पर हिंसा या हिंसक घटना को अंजाम देती है या यह किसी की हत्या का कारण बन जाता है तो इसे मॉब लिंचिंग कहा जाएगा। दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा गया है।  विधेयक के सदन से पारित होने के साथ ही झारखंड राज्य में लिंचिंग विरोधी कानूनों को लागू करने में पश्चिम बंगाल और राजस्थान के साथ शामिल हो गया है। 

नए काूनन में क्या है प्रावधान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कानून का मकसद मॉब लिंचिंग से लोगों की रक्षा, भीड़ की हिंसा की रोकथाम करना है और  इसका उद्देश्य ‘प्रभावी सुरक्षा’ प्रदान करना है। 

राज्य में लिंचिग रोकने के लिए आईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. इन्हें नोडल अफसर कहा जाएगा। 

हिंसा भड़काने वाले और गैर-जिम्मेदार सामग्री के प्रसार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

मॉब लिंचिंग
मॉब लिंचिंग - फोटो : self
दोषी पाए जाने पर जुर्माने और संपत्तियों की कुर्की के अलावा तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। 

यदि मॉब लिंचिंग से पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है।

कम से 25 लाख रुपये जुर्माना भरने के साथ-साथ उसकी चल और अचल संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा।  

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक लिंचिंग के लिए साजिश करने वाले या उकसाने वालों के लिए भी सजा समान होगी। 

पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा उपचार दिया जाएगा और पीड़ितों या गवाहों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

इसमें पीड़ित, पीड़ित के परिवार के सदस्यों, गवाह या गवाह/पीड़ित को सहायता प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को धमकाने या उसे रोकने के लिए माहौल बनाना भी शामिल है।
 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन - फोटो : पीटीआई
क्यों पड़ी कानून लाने की इजाजत
यह मामला राज्य में 2019 में तब चर्चा में आया, जब 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ ने डंडे से बांधकर पीट-पीटकर मार डाला। एक वीडियो में अंसारी को कथित तौर पर "जय श्री राम" और "जय हनुमान" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। उसी साल जून में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि वह इस घटना से आहत हैं।

विधानसभा चुनाव में सोरेन ने की थी निंदा
2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी। इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने सरकार को इस मुद्दे पर फटकार लगाई थी जिसके बाद सरकार ने ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए जिला स्तरीय समितियां बनाने का फैसला किया। 
 
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