Rahul ki Truck Yatra: वे सवाल, जिसने राहुल गांधी को ट्रक की खिड़की से बाहर देखने को किया मजबूर!
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विस्तार
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्रक से की गई अपनी यात्रा का एक वीडियो, 29 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया है। राहुल ने ट्रक में सवार होने के बाद ड्राइवरों और कंडक्टरों से बातचीत कर उनके जीवन को करीब से जाना। हालांकि राहुल और उनके बीच दर्जनों सवाल हुए, लेकिन एक सवाल ऐसा आया, जिसने राहुल को ट्रक से बाहर देखने को मजबूर कर दिया। कुछ क्षण चुप रहे, फिर सोचकर बोले, बहुत मुश्किल जॉब है। ट्रक ड्राइवर प्रेम राजपूत ने पूछा, आपकी सरकार आई तो हमारे लिए कुछ नियम लागू हो जाएंगे। इस पर राहुल बोले, ट्राई तो करेंगे।
आखिरी बार वेतन कब बढ़ा था
वीडियो में दिखाया गया है कि राहुल गांधी ने दिल्ली से शिमला जाते हुए मुरथल 'सोनीपत' में ट्रक चालकों से एक ढाबे पर मुलाकात की। कुछ देर बाद वे एक ट्रक में सवार हो गए। राहुल ने ट्रक ड्राइवर से पूछा, आपकी जॉब में क्या पैसा बढ़ता है। आखिरी बार कब बढ़ा था। ड्राइवर ने गर्दन हिलाते हुए कहा, ऐसा कुछ नहीं है। आपकी सरकार आई तो कुछ नियम लागू करेंगे। इस पर राहुल बोले, ट्राई तो करेंगे। इसके बाद राहुल ने पूछा, दीवाली के आसपास के महीनों पैसे का कुछ फर्क पड़ता है क्या। ट्रक ड्राइवर ने इस बार भी गर्दन हिलाते हुए नहीं में जवाब दे दिया। कुछ नहीं होता। इस जवाब ने राहुल को सोचने पर मजबूर कर दिया। वे कुछ देर तक ट्रक की खिड़की से बाहर की ओर देखते रहे, सोचते रहे। उसके बाद बोले, बहुत मुश्किल जॉब है।
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दस हजार रुपये में बच्चे कैसे पलते होंगे
राहुल ने ड्राइवर से पूछा, छुट्टी का क्या रहता है। वह बोला, कोई छुट्टी नहीं मिलती। वेतन के बारे में पूछा तो जवाब मिला, दस हजार। सोचें, दस हजार रुपये में बच्चे कैसे पलते होंगे। ट्रक चलाने के दौरान जीवन का कोई भरोसा भी नहीं है। राहुल ने पूछा, आपका कोई बीमा आदि होता है। ट्रक ड्राइवर बोला, साहब ऐसा कुछ नहीं है। ट्रक ड्राइवर की आयु के बारे में सवाल किया, तो ड्राइवर ने कहा, साठ वाले भी चला रहे हैं और सत्तर वाले भी। साहब, ड्राइवर की कोई कद्र नहीं है। हम सारे टैक्स भर रहे हैं। टोल टैक्स दे रहे हैं। इसके बाद भी कोई राहत नहीं। ड्यूटी का समय तय हो यानी 12 घंटे हो जाए तो कुछ राहत मिल सकती है। राहुल ने ओवर टाइम को लेकर सवाल पूछा तो जवाब मिला, कुछ नहीं मिलता।
बच्चों को सरकारी नौकरी मिल जाए तो ठीक
अगर माल चोरी हो जाए या खराब हो जाए तो ड्राइवर पर ही बात आती है। ऐसे में बहुत रिस्क रहता है। अगला सवाल करते हुए राहुल बोले, कितने साल से ट्रक चला रहे हैं और कितने साल चलाओगे। इस पर ड्राइवर ने गर्दन हिलाकर कहा, जब तक चल रहा है। बच्चे जब तक न पढ़ लिख जाएं। इसमें कौन सा इंजन है। साहब, 2818 लीलैंड है। आपके बच्चे अंग्रेजी पढ़ रहे हैं, इस पर ट्रक ड्राइवर बोला, पढ़ तो रहे हैं। उन्हें क्या बनाओगे। वह बोला, नौकरी चाहते हैं। सरकारी नौकरी मिल जाए तो। इसके बाद ड्राइवर ने खुद ही बात आगे बढ़ाते हुए कहा, अमीरों को गरीबों को साथ लेकर चलना चाहिए। ड्राइविंग में देखिये, कुछ नहीं पता। सामने वाला कैसे मूड में आ रहा है, किस साइड से कौन आ रहा है। पैसे कहां रखते हो, राहुल के जवाब में ड्राइवर बोला, इतना कहां बचता है कि बैंकों में जमा करा दें। बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर ही खर्च हो जाता है। जो थोड़ा बहुत बचता है, उसे जमा करा देते हैं।
क्यों ये खतरे का काम है
अगर ट्रक नहीं चलाते तो क्या करते। वह बोला, कुछ खेती बाड़ी का काम देख लेते। क्या आपके पापा कभी ट्रक पर आए हैं। ड्राइवर ने कहा, नहीं। राहुल बोले, क्यों ये खतरे का काम है, इसलिए। इस सवाल के जवाब में, क्या बड़ा ट्रक चलाने वाले ड्राइवर को ज्यादा पैसा मिलता है, वह बोला, ज्यादा कुछ फर्क नहीं है। क्या आपने मनमर्जी से कंडक्टर को चुना है। ड्राइवर बोला हां। इसके बाद राहुल ने कंडक्टर ने बात की। उसने परिवार के बारे में बताया। परिवार के सदस्य को कैंसर था, सारा पैसा लग गया और वे खत्म हो गए। अब महंगाई बहुत हो गई है। डीजल महंगा हो रहा है। इसका असर सब पर पड़ता है।
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ट्रक व्यवसाय से जुड़े हैं पांच करोड़ परिवार
भारत में ट्रक व्यवसाय से करीब पांच करोड परिवार जुड़े हैं। इनमें ट्रक मालिक, चालक, क्लीनर और ऑफिस कर्मचारी शामिल हैं। अगर मैकेनिक, टायर शॉप, रोड साइड पर पंक्चर लगाने वाले और सर्विस सेंटर को मिला लें, तो ऐसे परिवारों की संख्या सात करोड़ के पार पहुंच जाएगी। देश में ट्रकों की संख्या करीब 90 लाख हैं। इनमें करीब 14 लाख गाड़ियां ऐसी हैं, जिनके पास नेशनल परमिट है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि एक ट्रक सालाना 12-13 लाख रुपये की आमदनी देता है। कुल मिलाकर यह कारोबार 14 लाख करोड़ रुपये सालाना के आसपास चला जाता है।