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बदलाव: शहरों में घट रही श्रमिकों की आबादी, 2023 में प्रवासियों की संख्या में आई 5.370 करोड़ की कमी

एजेंसी, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Wed, 01 Jan 2025 06:36 AM IST
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सार

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रमबल अब गांवों से निकलने में गुरेज कर रहा है। पिछले 12 वर्षों में प्रवासियों की आबादी में 11.8 फीसदी की कमी आई है। परिणामस्वरूप शहरीकरण के मुकाबले ग्रामीणीकरण बढ़ रहा है। 
 

report claims workers population in cities decreasing migrants number decrease by more than five crores 2023
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : एएनआई
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एक वक्त था जब बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर प्रवास करते थे। इसमें श्रमिक वर्ग का बड़ा योगदान था। इसके चलते बढ़ता शहरीकरण चर्चा के केंद्र में आ गया था, लेकिन एक नई रिपोर्ट में प्रवास की दशकों पुरानी इस प्रवत्ति में बदलाव के संकेत मिले हैं।

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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रमबल अब गांवों से निकलने में गुरेज कर रहा है। पिछले 12 वर्षों में प्रवासियों की आबादी में 11.8 फीसदी की कमी आई है। परिणामस्वरूप शहरीकरण के मुकाबले ग्रामीणीकरण बढ़ रहा है। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके चलते खाद्य वस्तुओं की मांग बढ़ी है। शहरी आपूर्ति कम हुई है और खाद्य मुद्रास्फीति लगातार बनी हुई है।
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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के भीतर घरेलू प्रवास में उल्लेखनीय गिरावट आई है। 2023 में प्रवासियों की संख्या में 5.370 करोड़ की कमी आई, जो 2011 के स्तर से 11.8 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। प्रवासन दर भी 2011 में 37.6 फीसदी से गिरकर 2023 में 28.9 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया कि रोजगार या कारोबार जैसे आर्थिक उद्देश्यों के लिए 2011 में प्रवासन जहां 4.5 करोड़ था, वह 5 लाख घटकर 4.0 करोड़ रह गया।

धीमी हुई आवास निर्माण की गति
आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण विद्युतीकरण और आवास निर्माण में तो प्रगति हुई है, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी गति काफी धीमी हो गई है। 10 वर्षों में ग्रामीण इलाकों में कुल 2.5 करोड़ घर बने, जबकि पूरी क्षमता से निर्माण होता तो इनकी संख्या 4.63 करोड़ होती।

रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता बढ़ी
रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता भी बढ़ी है। इस क्षेत्र में 2017-18 में 42.5 फीसदी कार्यबल लगा हुआ था, जो 2023-24 में बढ़कर 46.1 फीसदी हो गया है। यह प्रवृत्ति बताती है कि छिपी बेरोजगारी बढ़ी है और ग्रामीण मजदूरी में कमी आई है। विशेष रूप से महिलाओं के बीच, जिनकी वास्तविक मजदूरी पिछले पांच वर्षों में सालाना 2.3 फीसदी घटी है। छिपी बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लोग दिखने में तो रोजगार में लगे होते हैं, लेकिन वास्तव में बेरोजगार होते हैं।

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