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सुप्रीम कोर्ट: बाबा रामदेव-आचार्य बालकृष्ण ने फिर मांगी माफी, भ्रामक विज्ञापन मामले में दायर किया हलफनामा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आदर्श शर्मा Updated Tue, 09 Apr 2024 08:06 PM IST
सार

Misleading Advertisement Case: बीते कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया था। आज उन्होंने कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।

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SC: Baba Ramdev-Acharya Balkrishna again apologized, filed affidavit in misleading advertisement case
रामदेव-बालकृष्णन (फाइल फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने अपने उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली कंपनी द्वारा जारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। अदालत में दायर दो अलग-अलग हलफनामों में, रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए भी माफी मांगी है। 
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'अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा'
गौरतलब है कि 21 नवंबर, 2023 के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा, विशेष रूप से पतंजलि द्वारा निर्मित किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित और इसके अलावा, औषधीय को लेकर दावा करने वाला या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा।
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मुझे अपनी गलती पर अफसोस है- बाबा रामदेव
आश्वासन का पालन न करने और उसके बाद के मीडिया बयानों ने शीर्ष अदालत को नाराज कर दिया, जिसने बाद में उन्हें कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में, रामदेव ने कहा कि मैं विज्ञापनों के मुद्दे के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा, मुझे इस गलती पर अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि आदेश का अनुपालन किया जाएगा और इस तरह का कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा।

क्या है आईएमए का आरोप
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

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