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Cybercrime: म्यांमार में ‘साइबर गुलामी’ से सात भारतीय आजाद, MBVV पुलिस की बड़ी कार्रवाई; तोड़ा ठगी का नेटवर्क

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ठाणे Published by: शुभम कुमार Updated Sat, 20 Dec 2025 10:28 PM IST
सार

म्यांमार में साइबर ठगी के लिए जबरन काम करवाए जा रहे सात भारतीय युवकों को सुरक्षित भारत लाया गया है। MBVV क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ कि नौकरी के नाम पर युवकों को म्यांमार के कुख्यात केके पार्क में कैद रखा गया था। ठगी से मना करने पर उनसे 6 लाख रुपये की फिरौती भी वसूली गई। 

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Seven Indians rescued from cyber slavery in Myanmar MBVV police take major action News In Hindi
साइबर अपराध - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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म्यांमार में साइबर ठगी के लिए जबरन काम करवाए जा रहे भारत के सात युवकों को सुरक्षित वापस भारत लाया गया है। यह सफलता महाराष्ट्र की मीरा-भायंदर-वसई-विरार (एमबीवीवी) पुलिस की क्राइम ब्रांच की जांच के बाद मिली। मामले में पुलिस ने मीरा-भायंदर, गुजरात के सूरत और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को दी। उन्होंने बताया कि इन युवकों को म्यांमार के मायावाडी टाउनशिप में स्थित केके पार्क नाम की जगह पर रखा गया था। यह जगह अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के लिए कुख्यात मानी जाती है। 

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बता दें कि यह पूरा मामला तब सामने आया जब मीरा रोड के रहने वाले सैयद इर्तीस फजल अब्बास हुसैन और अम्मार असलम लकड़ावाला किसी तरह भारत लौटने में सफल हुए और नयानगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनके जानकार आसिफ खान और अदनान शेख ने उन्हें जुलाई से सितंबर 2025 के बीच बैंकॉक में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। लेकिन बैंकॉक ले जाने के बजाय उन्हें म्यांमार भेज दिया गया।
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अब समझिए म्यांमार में क्या हुआ?
ऐसे में म्यांमार पहुंचने के बाद इन युवकों को यूयू8 नाम की एक कंपनी में काम करने वाले स्टीव, अन्ना और लियो नाम के तीन लोगों के हवाले कर दिया गया। वहां उन्हें मारपीट की धमकी देकर विदेशी नागरिकों से ऑनलाइन ठगी करने के लिए मजबूर किया गया। जब युवकों ने ठगी करने से इनकार किया, तो उन्हें छोड़ने के बदले 6 लाख रुपये प्रति व्यक्ति की फिरौती मांगी गई। यह रकम भारत के अलग-अलग बैंक खातों में डलवाई गई।

कई और युवक भी फंसे थे
क्राइम ब्रांच यूनिट-1 के वरिष्ठ निरीक्षक सुशीलकुमार शिंदे ने बताया कि जांच में पता चला कि मीरा-भायंदर और वसई-विरार इलाके के कई युवक इसी तरह साइबर गुलामी के जाल में फंसे हुए थे। पुलिस ने पासपोर्ट नंबर, म्यांमार के आईपी एड्रेस और मोबाइल डेटा का विश्लेषण कर पीड़ितों का पता लगाया। इसके बाद यह जानकारी नई दिल्ली स्थित इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के जरिए यांगून में भारतीय दूतावास को भेजी गई।

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म्यांमार सेना की कार्रवाई
इतना ही नहीं एमबीवीवी पुलिस की दी गई जानकारी के आधार पर 21 अक्तूबर को म्यांमार की सेना ने केके पार्क पर छापा मारा। इसके बाद भारत सरकार ने सात पीड़ितों की पहचान कर उन्हें इस हफ्ते भारत वापस लाया। इनमें से चार युवक एमबीवीवी पुलिस क्षेत्र के हैं। सहायक पुलिस आयुक्त मदन बल्लाल ने कहा कि यह सिर्फ स्थानीय गिरफ्तारी का मामला नहीं था, बल्कि उस पूरे नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश थी, जो नौकरी के नाम पर युवाओं को डिजिटल कैदी बना देता था।

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