Maharashtra: शरद पवार बोले- विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष करें फैसला; राज्य सरकार पर भी बोला हमला
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि अध्यक्ष शीर्ष अदालत के आदेशों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
विस्तार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना और एनसीपी विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर एक निश्चित समय सीमा के भीतर फैसला करने का निर्देश देने की मांग की। इसके अलावा, पवार ने महाराष्ट्र सरकार पर राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और अनुबंध के आधार पर की गई नियुक्तियों को लेकर हमला बोला।
शरद पवार ने विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा कि एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से कुछ विधायकों की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने का निर्देश दे सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि मामले में देरी की रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि अध्यक्ष शीर्ष अदालत के आदेशों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
फैसले में हुई देर तो...
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा अन्यथा पूरी प्रक्रिया बेकार हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि यही रुख शिवसेना का भी था। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में एनसीपी नेता सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाड शामिल हुए।
बता दें, शिवसेना (यूबीटी) और पवार वाली एनसीपी दोनों बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने पर जल्द फैसला चाहती है।
जानबूझकर देरी कर रहे
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर के खिलाफ एक और आदेश पारित किया है, जो स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि वह डेढ़ साल पहले हुए शिवसेना के विभाजन पर फैसले में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह दूसरी बार है जब शीर्ष अदालत ने संविधान का उल्लंघन करने पर अध्यक्ष को चेतावनी दी है।’
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय के लिए समय सीमा बताई जाए।
कानून व्यवस्था एक बड़ी चिंता
वहीं, शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था एक बड़ी चिंता का विषय है। आवश्यकता इस बात की है कि राज्य सरकार इस स्थिति को गंभीरता से ले और इस संबंध में उचित कदम उठाए। उन्होंने दावा किया कि इस साल एक जनवरी से 31 मई के बीच राज्य से 19,553 महिलाएं लापता हुई हैं।
अनुबंध के आधार पर की गई भर्तियों पर हमला
एनसीपी प्रमुख ने मुंबई पुलिस में अनुबंध के आधार पर कर्मियों की भर्ती को लेकर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य ने अनुबंध पर सरकारी भर्तियां करने का निर्णय लिया है। खाली सरकारी पदों को अनुबंध के आधार पर भरना सही नहीं है।
बता दें, इस सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार ने अपने स्वयं के सुरक्षा निगम से 3000 कर्मियों को नियुक्त करने का आदेश जारी किया, जो मुंबई पुलिस के तहत काम करेंगे। सरकारी उपक्रम महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम (एमएसएससी) के ये कर्मी अनुबंध के तहत काम करेंगे।