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Singham: 'सिंघम जैसी फिल्में खतरनाक संदेश देती हैं', जानिए बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने क्यों कही ये बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: नितिन गौतम
Updated Sat, 23 Sep 2023 02:44 PM IST
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सार
जस्टिस पटेल ने कहा कि 'अगर न्याय प्रक्रिया को इस शॉर्टकट तरीके पर छोड़ दिया गया तो इससे हम कानून के शासन को नष्ट कर देंगे।'

सिंघम
- फोटो : सोशल मीडिया

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विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज गौतम पटेल ने फिल्मों में दिखाई जाने वाली पुलिस की हीरो कॉप वाली छवि की आलोचना की और कहा कि ये फिल्में खतरनाक संदेश देती हैं। उन्होंने कहा कि ये फिल्में न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए बिना तुरंत न्याय देने की प्रवृति को बढ़ावा देती हैं। इंडियन पुलिस फाउंडेशन द्वारा आयोजित वार्षिक दिवस और पुलिस सुधार दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस गौतम पटेल ने ये बातें कही।
'हम इससे कानून के शासन को नष्ट कर देंगे'
जस्टिस गौतम पटेल ने कहा कि 'फिल्मों में पुलिस जजों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिखाई जाती है। वहीं जजों को डरपोक, मोटे चश्मे पहने और अक्सर बहुत खराब कपड़े पहने दिखाया जाता है। फिल्मों में पुलिस, अदालतों पर दोषियों को छोड़ देने का आरोप लगाती है और फिल्म का हीरो पुलिसकर्मी अकेले ही न्याय करता है।' जस्टिस पटेल ने कहा कि 'अगर न्याय प्रक्रिया को इस शॉर्टकट तरीके पर छोड़ दिया गया तो इससे हम कानून के शासन को नष्ट कर देंगे।'
जस्टिस पटेल ने कहा कि 'जब लोग सोचते हैं कि अदालतें अपना काम नहीं कर रही हैं तो वह पुलिस की कार्रवाई का उत्सव मनाते हैं। यही वजह है कि जब दुष्कर्म के आरोपियों को एनकाउंटर में मारा जाता है तो लोग सोचते हैं कि न्याय हो गया और लोग इसका उत्सव मनाते हैं।'
'न्याय को लेकर इतनी व्याकुलता क्यों है?'
जस्टिस पटेल ने कहा कि खासकर सिंघम फिल्म के अंत में दिखाया गया कि पूरी पुलिस फोर्स राजनेता बने प्रकाश राज पर टूट पड़ती है... इसमें दिखाया गया कि उसके बाद न्याय हो गया, लेकिन मैं पूछता हूं कि क्या ऐसा हुआ। जस्टिस पटेल ने कहा कि हमें सोचना चाहिए कि यह कितना खतरनाक है। जस्टिस पटेल ने कहा कि इतनी व्याकुलता क्यों है? न्याय की पूरी प्रक्रिया होती है जिससे तय होता है कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष। यह प्रक्रिया धीमी है क्योंकि इसमें पवित्र सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
बता दें कि सिंघम फिल्म साल 2011 में प्रदर्शित हुई थी, जिसमें अजय देवगन ने पुलिस अधिकारी की मुख्य भूमिका निभाई थी। जस्टिस पटेल ने कहा कि पुलिस की छवि भ्रष्ट और गैर-जवाबदेह की दिखाई जाती है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की भी तारीफ की, जिन्होंने पुलिस में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
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'हम इससे कानून के शासन को नष्ट कर देंगे'
जस्टिस गौतम पटेल ने कहा कि 'फिल्मों में पुलिस जजों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिखाई जाती है। वहीं जजों को डरपोक, मोटे चश्मे पहने और अक्सर बहुत खराब कपड़े पहने दिखाया जाता है। फिल्मों में पुलिस, अदालतों पर दोषियों को छोड़ देने का आरोप लगाती है और फिल्म का हीरो पुलिसकर्मी अकेले ही न्याय करता है।' जस्टिस पटेल ने कहा कि 'अगर न्याय प्रक्रिया को इस शॉर्टकट तरीके पर छोड़ दिया गया तो इससे हम कानून के शासन को नष्ट कर देंगे।'
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जस्टिस पटेल ने कहा कि 'जब लोग सोचते हैं कि अदालतें अपना काम नहीं कर रही हैं तो वह पुलिस की कार्रवाई का उत्सव मनाते हैं। यही वजह है कि जब दुष्कर्म के आरोपियों को एनकाउंटर में मारा जाता है तो लोग सोचते हैं कि न्याय हो गया और लोग इसका उत्सव मनाते हैं।'
'न्याय को लेकर इतनी व्याकुलता क्यों है?'
जस्टिस पटेल ने कहा कि खासकर सिंघम फिल्म के अंत में दिखाया गया कि पूरी पुलिस फोर्स राजनेता बने प्रकाश राज पर टूट पड़ती है... इसमें दिखाया गया कि उसके बाद न्याय हो गया, लेकिन मैं पूछता हूं कि क्या ऐसा हुआ। जस्टिस पटेल ने कहा कि हमें सोचना चाहिए कि यह कितना खतरनाक है। जस्टिस पटेल ने कहा कि इतनी व्याकुलता क्यों है? न्याय की पूरी प्रक्रिया होती है जिससे तय होता है कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष। यह प्रक्रिया धीमी है क्योंकि इसमें पवित्र सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
बता दें कि सिंघम फिल्म साल 2011 में प्रदर्शित हुई थी, जिसमें अजय देवगन ने पुलिस अधिकारी की मुख्य भूमिका निभाई थी। जस्टिस पटेल ने कहा कि पुलिस की छवि भ्रष्ट और गैर-जवाबदेह की दिखाई जाती है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की भी तारीफ की, जिन्होंने पुलिस में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।