Sonam Wangchuk: 'सोनम वांगचुक का HIAL कर रहा शानदार काम', संसदीय समिति ने की UGC मान्यता की सिफारिश
संसदीय समिति ने पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) के काम को अनुकरणीय बताया है। समिति ने HIAL को UGC मान्यता देने की सिफारिश करते हुए अब तक मान्यता न मिलने पर चिंता जताई। आइए जानते है समिति ने रिपोर्ट में और क्या-क्या कहा?
विस्तार
पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक सोनम वांगचुक का हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) शानदार और अनुकरणीय काम कर रहा है। यह बात शिक्षा, महिला, युवा और खेल मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने एचआईएएल को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की मान्यता देने की सिफारिश करते हुए कही। इस हफ्ते के शुरू में संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने एचआईएएल को अब तक यूजीसी मान्यता न मिलने पर चिंता जताई।
समिति ने सलाह दी कि शिक्षा मंत्रालय एचआईएएल मॉडल को ध्यान से देखे और इसे शिक्षा में नवाचार केंद्रों या अन्य माध्यमों से देश के अन्य हिस्सों में दोहराने की संभावनाओं पर विचार करे। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख दौरे के दौरान समिति एचआईएएल के शैक्षणिक, शोध और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र से काफी प्रभावित हुई, खासकर स्थानीय सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संदर्भों से जुड़ी अनुभवात्मक शिक्षा को लागू करने की इसकी सफलता से।
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यूजीसी को एचआईएएल देनी चाहिए
समिति ने आगे कहा कि वह यह जानकर चिंतित है कि यूजीसी ने अभी तक एचआईएएल को मान्यता नहीं दी है और यह मामला कई साल से लंबित है। समिति ने पाया कि एचआईएएल ने स्थानीय समुदाय पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है। अपने आइस स्तूप और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों के जरिये अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल की है।
समिति ने कहा कि एचआईएएल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें अनुभवात्मक और परियोजना आधारित शिक्षा, सामुदायिक सहभागिता और भारतीय ज्ञान प्रणालियों के एकीकरण पर जोर दिया गया है। समिति ने दोहराया कि यूजीसी को एचआईएएल को मान्यता देनी चाहिए और साथ ही इसके मॉडल को व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए उसका गहन अध्ययन किया जाना चाहिए।
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एनएसए के तहत हिरासत में हैं वांगचुक
लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर हुई हिंसक घटनाओं के दो दिन बाद सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। हिंसा में चार लोग मारे गए और 90 लोग घायल हुए थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। इसके बाद लद्दाख प्रशासन ने एचआईएएल को दी गई भूमि का आवंटन रद्द कर दिया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नियमों के उल्लंघनों का हवाला देते हुए संस्थान का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण भी रद्द कर दिया।
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