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SC: 'ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए', ताहिर हुसैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Mon, 20 Jan 2025 05:48 PM IST
सार

24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी, जिसमें 53 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो में तैनात उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है। अंकित शर्मा के शव को कथित तौर पर दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था और उसके शरीर पर 51 चोटों के निशान थे।

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Such persons should be barred from fighting polls: SC on Tahir Hussain's plea
सुप्रीम कोर्ट (फाइल) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त टिप्पणी की कि ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई 21 जनवरी तक टाल दी है, जिन्होंने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। मामले में न्यायमूर्ति पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने समय की कमी के कारण सुनवाई स्थगित कर दी, लेकिन जैसे ही दिन की कार्यवाही शुरू हुई, ताहिर हुसैन के वकील ने मामले का उल्लेख किया और 21 जनवरी को सुनवाई का अनुरोध किया।
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'जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है'
पीठ ने जवाब में टिप्पणी की, 'जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।' उनके वकील जानकारी देते हुए कहा कि ताहिर हुसैन का नामांकन स्वीकार कर लिया गया है। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 14 जनवरी को ताहिर हुसैन को एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए पैरोल दी थी।
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'आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं कर सकते'
हालांकि, इसने चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत के लिए उनकी याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि हिंसा में मुख्य अपराधी होने के नाते ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई। हाईकोर्ट ने कहा कि दंगों के सिलसिले में उनके खिलाफ लगभग 11 एफआईआर दर्ज की गई थीं और वह संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले और यूएपीए मामले में हिरासत में थे।

चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं- पुलिस
ताहिर हुसैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चुनाव लड़ना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए उन्हें न केवल 17 जनवरी तक अपना नामांकन दाखिल करना था, बल्कि बैंक खाता खोलना और प्रचार करना भी था। यह कहते हुए कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है, पुलिस ने आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन जो फरवरी 2020 के दंगों का 'मुख्य साजिशकर्ता' और 'वित्तपोषक' था, वह औपचारिकताएं पूरी कर सकता है और हिरासत पैरोल पर चुनाव लड़ सकता है।

114 में से सिर्फ 20 गवाहों की हुई जांच
वहीं अपनी जमानत याचिका में ताहिर हुसैन ने कहा कि उसने 4.9 साल जेल में बिताए और हालांकि मामले में मुकदमा शुरू हो गया है, लेकिन अब तक अभियोजन पक्ष के 114 गवाहों में से केवल 20 की ही जांच की गई है। यह दलील देते हुए कि उसे लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा है, ताहिर हुसैन ने कहा कि तथ्य यह है कि अभी भी कई गवाहों की जांच होनी बाकी है, इसका मतलब है कि मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा। उनकी याचिका में कहा गया है कि सह-आरोपी, कथित तौर पर दंगाई भीड़ में शामिल थे और हत्या का अपराध कर रहे थे, उन्हें उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।
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