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Supreme Court: सीएसआर सिर्फ समाज नहीं, पर्यावरण की भी जिम्मेदारी; वन्यजीवों के पक्ष में अदालत की दो टूक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवम गर्ग Updated Sat, 20 Dec 2025 03:01 PM IST
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Supreme Court: CSR must inherently include environmental responsibility Updates hindi
सुप्रीम कोर्ट। - फोटो : ANI
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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम और दूरगामी संदेश देते हुए साफ कहा है कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी को पर्यावरणीय जिम्मेदारी से अलग नहीं किया जा सकता। कंपनियां अगर खुद को सामाजिक रूप से जिम्मेदार बताती हैं, तो उन्हें पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति भी उतनी ही जवाबदेही निभानी होगी।
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CSR में पर्यावरण अनिवार्य
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदूरकर की पीठ ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के संरक्षण से जुड़े मामले में कहा कि सीएसआर कोई दान नहीं, बल्कि संवैधानिक कर्तव्य है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 51ए (जी) का हवाला देते हुए कहा कि पर्यावरण, जंगल, नदियों और जीव-जंतुओं की रक्षा हर नागरिक और हर संस्था की जिम्मेदारी है। कंपनियां भी एक “कानूनी व्यक्ति” होने के नाते इस कर्तव्य से मुक्त नहीं हो सकतीं।
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गोडावण के लिए सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और गुजरात में गोडावण के बचे हुए अंतिम सुरक्षित इलाकों को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि इन प्राथमिक संरक्षण क्षेत्रों में अब नए पवन टर्बाइन और 2 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले सौर प्रोजेक्ट स्थापित नहीं किए जा सकेंगे। साथ ही, ओवरहेड बिजली लाइनों पर भी सख्त पाबंदी रहेगी। कोर्ट ने ‘पोल्यूटर पेज़’ सिद्धांत लागू करते हुए कहा कि पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई कंपनियों को ही करनी होगी। न्यायालय ने दो टूक शब्दों में यह भी कहा कि कंपनियों को यह समझना होगा कि वे गोडावण के आवास क्षेत्र में मेहमान हैं, उसके मालिक नहीं।

हाथी कॉरिडोर पर भी अदालत सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने नीलगिरि हाथी कॉरिडोर मामले में भी सख्त रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की पीठ ने कहा व्यावसायिक गतिविधियों से सबसे ज्यादा नुकसान उन जानवरों को होता है, जो बोल नहीं सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि होटल और रिसॉर्ट हाथियों के प्राकृतिक मार्ग में बाधा डाल रहे हैं और ऐसे मामलों में फायदा हमेशा वन्यजीवों को मिलेगा।

800 से ज्यादा निर्माण सवालों के घेरे में
कोर्ट को अवगत कराया गया कि सिगूर पठार के हाथी कॉरिडोर क्षेत्र में 39 रिसॉर्ट, 390 मकानों समेत 800 से अधिक निर्माण मौजूद हैं। कुछ होटल और रिसॉर्ट मालिकों ने खुद को ‘ईको-फ्रेंडली बिजनेस’ बताने का दावा किया, लेकिन अदालत ने साफ कहा कि किसी भी तरह का कारोबार जीव-जंतुओं के जीवन से ऊपर नहीं हो सकता। इस मामले पर विस्तृत सुनवाई अब जनवरी में की जाएगी।
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