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SC: 'विकास के साथ पर्यावरण भी जरूरी', सुप्रीम कोर्ट ने गाचीबावली क्षेत्र के लिए तेलंगाना सरकार से मांगी योजना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Wed, 13 Aug 2025 01:48 PM IST
सार

तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि राज्य इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें पर्यावरण और वन्यजीवों के हितों के साथ ही विकास का भी संतुलन हो।

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Supreme court says Environment needs to be protected while carrying out developmental activities
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को तेलंगाना सरकार को कांचा गाचीबावली वन क्षेत्र के विकास के लिए एक अच्छा प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया। इसके लिए सर्वोच्च अदालत ने तेलंगाना सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि राज्य सरकार को काटे गए पेड़ों को फिर से लगाना होगा। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि वन क्षेत्र को बहाल किया जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह विकास के खिलाफ नहीं है, लेकिन पर्यावरण की रक्षा जरूरी है। पीठ ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद स्थगित करते हुए कहा, 'अदालत ने बार-बार कहा है कि हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह एक सतत विकास होना चाहिए। पर्यावरण और वन्यजीवों के हितों का ध्यान रखते हुए विकास होना चाहिए। नुकसान कम करने वाले और क्षतिपूर्ति के लिए नियम बनने चाहिए। अगर राज्य ऐसा कोई प्रस्ताव लेकर आता है, तो हम उसका स्वागत करेंगे।'
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पूर्व में तेलंगाना सरकार को लगी थी फटकार
तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि राज्य इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें पर्यावरण और वन्यजीवों के हितों के साथ ही विकास का भी संतुलन हो। बीती 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास पेड़ों की कटाई प्रथम दृष्टया पूर्व नियोजित प्रतीत होती है और तेलंगाना सरकार से पेड़ लगाने को कहा, वरना तेलंगाना के अधिकारियों को जेल भेजने के लिए चेताया था। कांचा गाचीबावली वन में पेड़ों की कटाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए, शीर्ष अदालत ने 3 अप्रैल को अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। 

ये भी पढ़ें- Bihar SIR: 'मतदाता हितैषी है मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया', सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अहम टिप्पणी

 
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