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Trishul Exercise: ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास, 'त्रिशूल' से तीनों सेनाओं की ताकत हुई और मजबूत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 13 Nov 2025 10:54 PM IST
सार

Joint Military Exercise: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना की भागीदारी रही। अभ्यास में स्वदेशी उपकरण, नई रणनीतियां और आईएनएस विक्रांत की भूमिका शामिल रही। 

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Trishul largest military exercise since Operation Sindoor further strengthens strength of three armed forces
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास - फोटो : X-@ANI
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विस्तार
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भारत की तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ पूरा किया है। गुजरात के पोरबंदर तट पर समाप्त हुए इस अभ्यास ने भारत की सैन्य एकजुटता, तकनीकी समन्वय और युद्धक क्षमताओं को नई ऊंचाई दी है। शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने इसे नई मिसाल बताया।
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करीब दो सप्ताह तक चले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं ने एकजुट होकर कई जटिल युद्ध परिस्थितियों का अभ्यास किया। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन और दक्षिण-पश्चिमी वायु कमान के प्रमुख एयर मार्शल नागेश कपूर ने इस युद्धाभ्यास की निगरानी की। अभ्यास में लगभग 30,000 सैनिक, 25 युद्धपोत और कई लड़ाकू विमान शामिल रहे।
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नई तकनीक और रणनीतियों का परीक्षण
अभ्यास के दौरान थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने थार रेगिस्तान से लेकर कच्छ तक युद्धाभ्यास किया। वायुसेना ने लगभग 1,450 उड़ानें भरीं और नई तकनीकों का परीक्षण किया। एयर मार्शल कपूर ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य किसी रणनीतिक संदेश देना नहीं था, बल्कि नई तकनीक को परखना और संयुक्त युद्ध रणनीतियों को मजबूत बनाना था। उन्होंने कहा कि इससे तीनों सेनाएं और ज्यादा सशक्त होकर लौट रही हैं।



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स्वदेशी उपकरणों का सफल उपयोग
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने बताया कि ‘त्रिशूल’ में स्वदेशी सैन्य उपकरणों का भी सफल परीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास में थल सेना की नई ‘रुद्र ब्रिगेड’ को भी ऑपरेशनल वैलिडेशन मिला है। दक्षिणी कमान के जवान पिछले तीन महीनों से इस अभ्यास की तैयारी में जुटे थे। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास ने भारतीय सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई की नई परिभाषा गढ़ दी है।

नौसेना ने दिखाया समुद्री प्रभुत्व
वाइस एडमिरल स्वामीनाथन ने बताया कि ‘त्रिशूल’ में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी शामिल था। नौसेना ने ‘कैरीयर बैटल ग्रुप’ के साथ जटिल समुद्री युद्धाभ्यास किए और अपनी उभयचर (अम्फीबियस) क्षमताओं का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास भारत को समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में और सक्षम बनाएगा तथा किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सेनाएं पूरी तरह तैयार हैं।


 
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