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VP: ‘लोकतंत्र के मंदिर में न हो राजनीति, राष्ट्रहित मुद्दों पर चर्चा जरूरी’; सांसदों से बोले धनखड़

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, केरल Published by: काव्या मिश्रा Updated Mon, 22 May 2023 03:23 PM IST
सार

राज्य सभा के सभापति धनखड़ का कहना है कि संसद और विधान सभाओं में राजनीतिक रणनीति के रूप में व्यवधान और गड़बड़ी को 'हथियार' बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर बड़े पैमाने पर लोग दुखी हैं।

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Vice President urges MLAs, MPs to "immobilise their remote controls" to contribute maximum in Parliament
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद और विधानसभाओं में अशांति को एक राजनीतिक रणनीति के रूप में हथियार बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सोमवार को सांसदों और विधायकों से लोकतंत्र के मंदिरों में अपना अधिकतम योगदान देने के लिए अपनी राजनीतिक विचारों पर काबू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों का उपयोग विचार-विमर्श, बहस, संवाद और चर्चा के लिए किया जाए तो बेहतर होगा। 

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राज्य सभा के सभापति धनखड़ का कहना है कि संसद और विधान सभाओं में राजनीतिक रणनीति के रूप में व्यवधान और गड़बड़ी को 'हथियार' बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर बड़े पैमाने पर लोग दुखी हैं। धनखड़ ने केरल विधानसभा भवन-नियमसभा के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या हम राजनीतिक रणनीति के रूप में सदन के व्यवधान और गड़बड़ी को हथियार बना सकते हैं?

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उन्होंने कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि संसद और विधानसभाओं में बहस और चर्चा क्यों नहीं हो रही हैं? क्यों हम करोड़ों रुपये केवल गड़बड़ी के लिए खर्च कर रहे हैं? उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं राज्य सभा की अध्यक्षता करता हूं। राज्यसभा का प्रत्येक सदस्य बहुत प्रतिभाशाली है। वह अपने अनुभव को सबके सामने लाते हैं। धनखड़ ने कहा कि सभी सदस्यों को अपनी राजनीतिक विचारधारा को काबू करने की आवश्यकता है ताकि वे राज्यसभा, संसद और विधानमंडल में अधिक से अधिक योगदान दे सकें। 

धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्षों और सदनों के नेताओं से एक राष्ट्रीय सहमति बनाने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने लोकतंत्र के मंदिरों का उपयोग विचार-विमर्श, बहस, संवाद और चर्चा के लिए करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वास कीजिए, अगर लोकतंत्र के ये मंदिर अपना काम नहीं करेंगे तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने विधायकों से यह भी आग्रह किया कि जब संसद और राज्य विधानसभाओं में राष्ट्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाए तो कभी-कभी अपना राजनीतिक चश्मा उतार देना चाहिए। 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हास्य, व्यंग्य और कटाक्ष कभी संसदीय और विधायी कामकाज की पहचान हुआ करते थे, अब वे गायब हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सबको बनाए रखना जरूरी है। बता दें, इस मौके पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, विधानसभा अध्यक्ष एएन शमसीर, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन मौजूद थे।

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