जानिए अब किन-किन समीकरणों से कौन बन सकता है 'BMC का बॉस'
मुंबई की जनता ने बीएमसी चुनाव में खंडित जनादेश देकर राजनीतिक दलों के बीच 'मित्र' और 'शत्रु' चुनने का विकल्प दे दिया है। कहते हैं कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या मित्र नहीं होता, बीएमसी परिणाम के बाद दिखाई देने लगा है। कांग्रेस जहां किंगमेकर की भूमिका में है, वहीं बीजेपी-शिवसेना की दोस्ती पर सबकी निगाहें टिकी हुई है, लेकिन हर विकल्प में पेंच फंसता नजर आ रहा है। कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देती है तो भी या बीजेपी-शिवसेना के साथ आती है तो भी ।
शिवसेना और बीजेपी के पास विकल्प क्या हैं ये आपको बताएं उससे पहले अन्य के पास जो 14 सीटें हैं उनका समीकरण समझना बेहद जरूरी है। 14 अन्य में समाजवादी पार्टी की 6 सीटें हैं, 3 सीटें ओवैसी की पार्टी AIMIM के पास हैं, 4 निर्दलीय हैं, और 1 सीट अरूण गवली की पार्टी अखिल भारतीय सेना के पास है, जिस पर उनकी बेटी गीता गवली जीती हैं। आखिर बीएमसी का बॉस बनने के लिए क्या-क्या फॉर्मूला हो सकता है ?
पहला विकल्प : शिवसेना-कांग्रेस
शिवसेना कांग्रेस से हाथ मिला ले, मतलब शिवसेना के 84 और कांग्रेस के 31 मिलकर हुए 115, यानि बहुमत से 1 सीट ज्यादा। लेकिन इन दोनों के बीच पेंच ये कि कांग्रेस चाहती है कि शिवसेना फड़णवीस सरकार से समर्थन वापल ले ले। अगर ऐसा हुआ तो ये फड़णवीस सरकार पर खतरे की घंटी होगी । क्योंकि 288 विधानसभा में बीजेपी के पास 122 सीटें हैं। सरकार में बने रहने के लिए 144 सीटें हर हाल में चाहिए। विधानसभा में शिवसेना के पास 60 सीटें हैं। अगर शिवसेना और कांग्रेस मिल गए तो या तो मध्यावधि चुनाव होंगे या फिर बीजेपी को एनसीपी का साथ लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
और क्या-क्या हो सकता है फॉर्मूला
दूसरा विकलप : शिवसेना-बीजेपी
शिवसेना और बीजपी आपस में मिल जाएं तो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन इस विकल्प के आसार बेहद कम नजर आ रहे हैं। लेकिन ये शिवसेना पर निर्भर करता है। जहां तक शिवसेना की बात है तो उसके पास दो बड़े विकल्प हैं। एक तो ये कि वो बीजेपी से हाथ मिला ले और दूसरा ये कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस उसे बाहर से समर्थन कर दे।
तीसरा विकल्प : शिवसेना-एनसीपी, एमएनस और अन्य
शिवसेना, एनसीपी, एमएनस और अन्य को साथ मिला ले, तो फिर बात बन सकती है। शिवसेना के पास 84, एनसीपी के पास 9, एमएनस के पास 7 और अन्य के पास 14 सीटें हैं। अगर ये सब मिल जाएं तो बहुमत के बराबर मामला बन सकता है। लेकिन पेंच ये है कि क्या शिवसेना- एनसीपी एक साथ आएंगी।
तीसरा विकल्प : बीजेपी, एनसीपी, एमएनएस और अन्य
बीजेपी, एनसीपी, एमएनएस और अन्य को साथ मिलाकर दावा करे, मतलब 82, 9, 7 और 14, मिलकर हुए 112, यानि बहुमत से 2 सीटें कम है।