Tahir Hussain: कौन है दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन? जिसे ओवैसी की पार्टी से दिया विधानसभा का टिकट
Tahir Hussain: दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से टिकट मिला है। आइए जानते हैं ताहिर हुसैन के बारे में...
विस्तार
2020 के दिल्ली दंगों के दौरान चर्चा में रहने वाले ताहिर हुसैन को दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से टिकट मिला है। ताहिर हुसैन को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। 2020 के दिल्ली दंगों में शामिल होने के आरोपी ताहिर फिलहाल जेल में है।
चलिए जानते है कौन है ताहिर हुसैन? ताहिर पर क्या आरोप लगे थे? ताहिर कितने वक्त से जेल में है? ओवैसी की पार्टी का टिकट देने पर क्या कहना है? एआईएमआईएमदूसरे दलों की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आई है?
कौन है ताहिर हुसैन
ताहिर हुसैन ने 2017 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर पार्षद का चुनाव जीतकर पार्षद बना। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा स्थित पौरारा गांव का रहने वाला है। पांच भाइयों में ताहिर सबसे बड़ा है। 2017 के चुनावी हलफनामे में उसने 18 करोड़ की घोषित संपत्ति थी। 2020 के दिल्ली दंगों में ताहिर का नाम आया। दंगों में ताहिर का नाम आने के बाद आम आदमी पार्टी ने उसे पर्टी से निष्कासित कर दिया।
ताहिर पर दिल्ली दंगे में क्या आरोप लगे
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर इलाके में रहने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के सुरक्षा सहायक 26 वर्षीय अंकित शर्मा की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी। इसके पीछे आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन का नाम सामने आया। ताहिर और उनके समर्थकों पर आईबी के स्टाफ अंकित की हत्या का आरोप लगा। ताहिर हुसैन के खिलाफ दयालपुर थाने में हत्या, आगजनी और हिंसा फैलाने का मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने ताहिर के मकान की तलाशी ली तो वहां से पेट्रोल बम, गुलेल और तेजाब बरामद हुआ। बवाल का वीडियो सामने आया तो ताहिर ने मान लिया कि वीडियो उनकी छत का ही है।
27 फरवरी 2020 को उनको आप ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की इस हिंसा में कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 700 घायल हो गए थे। 22 अप्रैल 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ताहिर हुसैन पर आतंकवाद विरोधी कानून ‘अवैध गतिविधियां रोकथाम अधिनियम’ (यूएपीए) लगाया था।
क्राइम ब्रांच ने जून 2020 में दिल्ली हिंसा से जुड़ा 1030 पन्नों का एक आरोपपत्र कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर किया। यह आरोपपत्र उत्तर पूर्वी दिल्ली के चांद बाग इलाके में हुए दंगे के संबंध में दायर किया गया था और ताहिर हुसैन पर इस दंगे का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया था। पुलिस का आरोप था कि चांद बाग इलाके में दंगे भड़काने के लिए ताहिर हुसैन ने एक करोड़ 30 लाख रुपए खर्च किए थे।
आरोप था कि हिंसा के वक्त आरोपी ताहिर हुसैन अपनी छत पर मौजूद था और उसी ने इलाके में हिंसा भड़काई थी। चार्जशीट में बताया गया कि दंगों से पहले ताहिर हुसैन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल लोगों से बातचीत की थी। इस बीच उसने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और खालिद सैफी से भी बात की थी।
2023 में कड़कड़डूमा कोर्ट ने ताहिर हुसैन और 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 147, 148, 153A, 302 और 120B के तहत आरोप तय किया। कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन ने दंगा भड़काने के लिए भीड़ को उकसाया।
ताहिर के निगरानी में इकट्ठा हुआ दंगे का सामान
कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि दिल्ली दंगों के दौरान ताहिर हुसैन के घर में दंगों से संबंधित जरूरी सामान जमा किया जा रहा था। वहां पेट्रोल बम का भी इंतजाम किया गया था। कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलों में पेट्रोल भरकर उनकी मौजूदगी में उनके घर के अंदर ले जाया जा रहा था। ताहिर लगातार इस भीड़ की निगरानी और उकसाने का काम कर रहा था। इस भीड़ के सदस्यों के इस तरह के आचरण से पता चलता है कि वे लोगों को मारने और नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे थे।
कुछ मामलों में मिली जमानत
जुलाई 2023 में ताहिर को पांच मामलों में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन वो फिर भी जेल में ही रहा। दरअसल, उस पर कई और धाराओं पर केस चल रहा था। जिन मामलों में ताहिर को जमानत मिली वो सभी मामले 2020 में दयाल पुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे। ताहिर हुसैन के खिलाफ हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप में केस दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इन पांचों मुकदमों में ताहिर को जमानत दे दी थी। करीब साढ़े तीन साल बाद ताहिर को राहत मिली। वो अभी भी जेल में ही बंद है।
दिल्ली भाजपा ने ताहिर हुसैन को दिल्ली चुनावों में मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से मैदान में उतारने के एआईएमआईएम के फैसले की निंदा की है। दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि हुसैन को मैदान में उतारने का फैसला एआईएमआईएम द्वारा विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
उधर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'हम इसका समर्थन नहीं करते। अगर असदुद्दीन ओवैसी जहां भी उम्मीदवार उतारते हैं, वहां जीत के अंतर का डेटा देखें तो पता चल जाएगा कि वह किसकी दिशा में काम कर रहे हैं और असदुद्दीन ओवैसी किसकी बी टीम है।'
एआईएमआईएम दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शोएब जमई ने दंगों के आरोपी को टिकट देने पर प्रतिक्रिया दी है। जमई ने लिखा, 'हमारा यह फैसला दिल्ली दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मुहीम में अहम भूमिका अदा करेगा।'