Kashmir: पहली बार अनाज लेकर अनंतनाग पहुंची मालगाड़ी, राष्ट्रीय राजमार्ग पर दबाव भी कम होगा
पंजाब के फिरोजपुर से रवाना हुई भारतीय खाद्य निगम की पहली मालगाड़ी अनंतनाग पहुंची, जिसमें 1,384 टन अनाज लाया गया। इस पहल से कश्मीर घाटी में खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी, राष्ट्रीय राजमार्ग पर दबाव कम होगा और दूरदराज के इलाकों तक समय पर अनाज पहुंच सकेगा।
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पंजाब के फिरोजपुर डिविजन से निकली भारतीय खाद्य निगम की पहली खाद्यान्न मालगाड़ी उम्मीदों की पटरियों से होती हुई रविवार सुबह अनंतनाग पहुंची। समय से खाद्यान्न घाटी के लोगों तक पहुंचने की उम्मीद जगाने वाली यह मालगाड़ी कश्मीर के लिए खास बन गई है।
कश्मीर के लोगों की दुश्वारियों को कम करने, खाद्य सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रेलवे ने यह सेवा शुरू की है। यह मालगाड़ी पंजाब के अजीतवाल स्टेशन से रवाना की गई थी। इसके 21 वैगन के जरिये करीब 1,384 टन अनाज लाया गया है।
एफसीआई के डिविजनल मैनेजर केएन मीणा ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के बार-बार बंद होने के कारण पहले खाद्यान्न आपूर्ति में कई समस्याएं आती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस पहल से कश्मीर घाटी के दूरदराज और दुर्गम इलाकों तक समय पर खाद्यान्न पहुंच सकेगा।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में कश्मीर के लिए और मालगाड़ियों के संचालन की योजना है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक उचित सिंघल ने कहा, यह मालगाड़ी पंजाब और कश्मीर के बीच आर्थिक सेतु का काम करेगी। इससे सड़क परिवहन की तुलना में माल और खाद्यान्न की आवाजाही में कम समय लगता है। इस पहल से राष्ट्रीय राजमार्ग 44 में यातायात का दबाव भी कम होगा।
मालगाड़ियों से सभी को मिलेगा फायदा
चावल लेकर पहुंची मालगाड़ी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार। लोगों, उद्यमों और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को खराब मौसम में भी मालगाड़ियों से फायदा मिलेगा। मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल
अब नहीं होगी घाटी की सप्लाई चेन बाधित
नेशनल हाईवे बाधित होने की स्थिति में अब घाटी में राशन की सप्लाई चेन बाधित नहीं होगी। खाद्यान्न मालगाड़ी का लाभ पूरी कश्मीर घाटी को मिलेगा। रेलवे की इस पहल का स्वागत है। -उमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री
सबसे पहले आई थी सीमेंट की खेप :
अनंतनाग गुड्स टर्मिनल का इसी वर्ष 9 अगस्त को उद्घाटन किया गया था। सबसे पहले यहां सीमेंट की खेप आई थी। इसके बाद चार पहिया वाहन आए। भूस्खलन के दौरान राजमार्ग बंद होने पर सेब की ढुलाई के लिए विशेष मालगाड़ियां चलाई गई थीं। सेना के साजो-सामान लाने-ले जाने के लिए दो बार इसका इस्तेमाल किया गया।