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Jammu Kashmir: एक एनओसी खत्म, दूसरी की शुरुआत नहीं; व्यापारियों ने उठाई सिंगल विंडो सिस्टम की मांग

अमर उजाला नेटवर्क, श्रीनगर Published by: निकिता गुप्ता Updated Tue, 16 Sep 2025 01:59 PM IST
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सार

जम्मू-कश्मीर के उद्यमी नौकरशाही देरी और जटिल प्रक्रियाओं से परेशान हैं, जिससे व्यापार में बाधाएं आ रही हैं और उन्होंने सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की मांग की है। केसीसीआई ने नई औद्योगिक नीति, स्थानीय कोटा, बेहतर लॉजिस्टिक्स और ऋण सुविधा के लिए सरकार से जल्द कदम उठाने का आग्रह किया है।

Jammu Kashmir: One NOC ends, the other has not started; traders raised the demand for a single window system
MSME - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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भारत सरकार द्वारा व्यापार सुगमता पर जोर दिए जाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में उद्यमियों को नौकरशाही संबंधी देरी और जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है। व्यावसायिक संचालन के लिए अनुमोदन में कई महीने लग जाते हैं। होटल व्यवसायियों को विभिन्न विभागों से कई एनओसी लेनी होती है लेकिन एक एनओसी प्राप्त होने तक दूसरी समाप्त हो जाती है।

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ऐसे में प्रक्रियात्मक बाधाओं का एक लंबी श्रृंखला बन जाती है। हमारा अनुरोेध है कि सिंगल विंडो सिस्टम का पालन मजबूती से कराया जाए।यह बातें कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को संसदीय स्थायी समिति के साथ बैठक के दौरान कही। चैंबर की तरफ से वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशिक हुसैन शांगलू और संयुक्त महासचिव उमर नजीर तिब्बत बकल ने ज्ञापन भी सौंपा।
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बैठक की अध्यक्षता संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्ष डोला सेन कर रही थीं। उनके साथ संसद सदस्य रेणुका चौधरी, अवस्थी रमेश, यूसुफ पठान, डॉ. शिव पाल सिंह पटेल, सदानंद म्हालू शेट तनावड़े, संतोष पांडे, प्रसून बनर्जी और डॉ. प्रशांत यादोराव पडोले सहित कई अन्य सांसद मौजूद रहे।

केसीसीआई के पदाधिकारियों ने बताया कि दशकों में पहली बार जम्मू-कश्मीर में कोई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना लागू नहीं है। 28,400 करोड़ की नई केंद्रीय क्षेत्र योजना सितंबर 2024 तक समाप्त हो गई थी। जम्मू-कश्मीर सरकार ने अतिरिक्त 75,000 करोड़ की मांग की है। केसीसीआई ने कहा कि समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए नई योजना में स्थानीय उद्यमियों के लिए न्यूनतम 25 प्रतिशत कोटा आरक्षित होना चाहिए।

यरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स की मांग
केसीसीआई ने एक लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना और अतिरिक्त पार्सल ट्रेनें चलाने की सिफ़ारिश की। खासकर फलों की कटाई और सर्दियों के महीनों में। चैंबर के पदाधिकारियों ने बताया कि लॉजिस्टिक्स पार्क और वेयर हाउसिंग केंद्र का अभाव व्यापार को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है।

बताया कि अधिमान्य खरीद नीति के अस्तित्व में होने के बावजूद, इसके कमज़ोर कार्यान्वयन ने स्थानीय निर्माताओं को व्यापारियों के पक्ष में अनुबंधों से वंचित कर दिया है। औद्योगिक आधार की रक्षा के लिए स्थानीय इकाइयों को प्राथमिकता देने की मांग की।

गलत सिबिल स्कोर खराब होने पर ऋण नहीं मिलता है
प्रतिनिधिमंडल ने कम या गलत सिबिल स्कोर के कारण उद्यमियों को ऋण न दिए जाने पर भी चिंता जताई। आरबीआई और बैंकों से जम्मू-कश्मीर के लिए एक रियायती ढांचा बनाने का आग्रह किया, जिससे ऋण की पहुंच और भी बेहतर हो।

केसीसीआई ने वैश्विक व्यापार मेलों में आईटी स्टार्टप्स की भागीदारी और आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों में कश्मीरी उद्यमियों को शामिल करने की सिफारिश की। ताकि उन्हें वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने में मदद मिल सके।

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