महबूबा ने भाजपा पर साधा निशाना: कहा- 'कब्रें खोदना बंद करें; मुगलों के वंशज हम में नहीं रजवाड़ों में मिलेंगे'
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा और नेकां पर तीखा हमला बोलते हुए वक्फ संशोधन अधिनियम, नागरिक स्वतंत्रता हनन और कश्मीर की राजनीतिक स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए।

विस्तार
शेर-ए-कश्मीर पार्क में गुरुवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में पीडीपी अध्यक्ष ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि कब्रें खोदना बंद करें। मुगलों के वंशज हम में नहीं रजवाड़ों में मिलेंगे। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि भाजपा ने देश को मुगलों की विरासत समझकर कब्रें खोदना शुरू कर दिया।

लालकिला, ताजमहल, कुतुबमीनार, फतेहपुर सीकरी को देखने लाखों लोग आते हैं। अगर आपको मुगलों के वारिस ढूंढने हैं, तो हम गरीबों में मत ढूंढो, वे आपको आपके दायें-बायें रजवाड़ों में मिलेंगे। क्योंकि, मुगल बादशाह थे। वह हम गरीबों से रिश्ता नहीं रखते थे। वह राजा-रजवाड़ों से रिश्ता जोड़ते थे।
उनसे पूछताछ करो। आप वक्फ बिल ले आये। आप पसमांदा मुसलमानों की बात करते हैं। मध्य प्रदेश में 30 साल पुराना मदरसा, या उत्तर प्रदेश में 100 साल पुरानी मस्जिदें तोड़ रहे हैं। कब्रिस्तान में शवों को दफनाने तक के लिए मना किया जाता है।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें पूर्व रॉ चीफ एएस दुल्लत के अपनी किताब में किए दावे पर हैरानी नहीं है। वह डॉ. फारूक अब्दुल्ला के दोस्त रहे हैं। नेकां का चरित्र ही दोहरा रहा है। सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि दुल्लत साहब की बात पर मुझे हैरानी नहीं हुई।अब्दुल्ला परिवार का भाजपा के साथ पुराना रिश्ता है।
फारूक अब्दुल्ला और दुल्लत करीबी दोस्त हैं। किताब में दावे नए नहीं हैं। यह पहली बार नहीं है, जब नेकां ने ऐसा किया है। उमर साहब 2014 में बिना किसी शर्त के सरकार बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे और उनसे पीडीपी के साथ सरकार न बनाने का आग्रह किया था।
1947 से लेकर आज तक नेकां ने दिल्ली के लिए कश्मीरियों को धोखा दिया और कश्मीरियों के वोट पाने के लिए दिल्ली को धोखा दिया। यह इनका सिलसिला चलता है। विधानसभा में संशोधित वक्फ बिल के खिलाफ प्रस्ताव पास नहीं होने दिया। जब विधानसभा में संशोधित वक्फ बिल के खिलाफ प्रस्ताव लाना था तो आप प्रस्ताव वक्फ बिल लाने वाले को गाइड बनकर ट्यूलिप गार्डन की सैर करा रहे थे।
हुर्रियत ने दरवाजे बंद नहीं किए होते तो कश्मीर की किस्मत कुछ और होती
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2016 में जब मैं अरुण जेटली और गृह मंत्री जैसे नेताओं को बातचीत के लिए मेज पर लाई तो हुर्रियत ने दरवाजे बंद कर दिए। वह बातचीत का समय था। अगर उन्होंने दरवाजे बंद नहीं किए होते तो आज कश्मीर की कहानी कुछ और होती।\
2016 में युवा पत्थर या बंदूक लेकर सड़कों पर थे, लेकिन आज सरकार नागरिक स्वतंत्रता पर अत्याचार कर रही है। हुर्रियत ने 2016 में पत्थर और बंदूक के घोड़ों पर सवारी की, अब आप यूएपीए, पीएसए, एनआईए, पासपोर्ट रद्द करने और नौकरी से निकालने के घोड़ों पर सवार हैं। यह उत्पीड़न का ही एक और रूप है।

पंडितों के जाने का हमें भी अफसोस
महबूबा ने कहा कि कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर चले गए। हमें बेहद अफसोस है, शर्मिंदगी है, लेकिन आपको मौका है, आप हिंदुस्तान के मुसलमानों के साथ वो सुलूक न करो जो कश्मीर में दहशतगर्दों ने पंडितों के साथ किया था। जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का ताज है, इसे ताज ही रहने दो। लोगों का दिल जीतना है तो भाजपा सरकार को यूएपीए, पीएसए, लोगों पर छापे, एनआईए, पासपोर्ट देने से इनकार करना और जम्मू-कश्मीर में कर्मचारियों की बर्खास्तगी बंद करनी चाहिए।

वक्फ संशोधन अधिनियम का किया विरोध
सम्मेलन में कई कार्यकर्ता वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध की तख्तियां लेकर आये हुए थे। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें वक्फ संशोधन अधिनियम मंजूर नहीं। उन्होंने विरोध के नारे भी लगवाए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित नहीं किया, क्योंकि स्पीकर ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
एनसी विधायकों ने बहस की मांग की थी, जबकि विपक्षी पीडीपी चाहती थी कि विधानसभा इस कानून का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित करे। यहां के हालात कितने ठीक हैं इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि हम वक्फ बिल के खिलाफ रैली निकालना चाहते थे, अगर एक मामूली रैली से कश्मीर का अमन खराब हो जाता है तो कैसे हालात हैं यहां।

मुसलमान भारत में सुरक्षित
अपने संबोधन की शुरुआत महबूबा ने गाजा में फलस्तीनी लोगों की मौत से की। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई मुल्कों में मुसलमान परेशान हैं, लेकिन भारत में सुरक्षित हैं। यहां का मुसलमान भले ही पंक्चर की दुकान चलाता है, लेकिन अपनी मेहनत और हुनर से रोजी-रोटी कमा रहा है।
ये महात्मा गांधी का देश है, यह अबुल कलाम आजाद का देश है। मुल्क गोडसे की विरासत नहीं है। मुगलों की विरासत नहीं है। यह यहां के हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाइयों की विरासत है। जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी उनकी विरासत है। भगत सिंह, सुखदेव के साथ अशफाक उल्ला खां की भी विरासत है।

मुर्शिदाबाद हिंसा पर जताई चिंता
महबूबा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि ममता बनर्जी, सिद्धरमैया और स्टालिन जैसे लोग आपके लिए खड़े हो रहे हैं। लेकिन मुर्शिदाबाद में जो हुआ गलत हुआ। इससे उन लोगों को मौके मिला जो मुसलमानों को बदनाम करने का मौका मिला। जो लोग सेकुलर हैं और हम मुसलमानों के लिए खड़े हैं, उनको कमजोर न करो। अगर जलसा करो, जुलूस निकालो तो कोशिश करो कि कहीं पत्थर न चले, कुछ और न हो।
शीर्ष अदालत पर भरोसा
महबूबा ने सम्मेलन में कहा कि हमने भी मजबूती से पक्ष रखा है। उम्मीद है कि करोड़ों लोगों के भरोसे के लिए अदालत बिल के खिलाफ फैसला लेगी। वहीं दोपहर में एक्स पर किए ट्वीट में कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने वाला सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश एक महत्वपूर्ण, समयोचित और बहुत ज़रूरी हस्तक्षेप है। इससे मुस्लिम समुदाय का न्याय प्रणाली में विश्वास मजबूत होगा।
संबंधित वीडिओ: