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Udhampur News: अदालत ने नशा तस्करी के दो आरोपियों को दी सशर्त जमानत
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उधमपुर। प्रधान सत्र न्यायाधीश की अदालत ने नशा तस्करी मामले में दो आरोपियों को सशर्त जमानत दी। आरोपियों का पिछला रिकार्ड और बरामद की गई मात्रा के आधार पर याचिका मंजूर की।
लतीफ अली और संजय कुमार ने जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर कर तर्क दिया था कि वो निर्दोष हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और कथित प्रतिबंधित सामान की मात्रा व्यावसायिक नहीं है। दोनों का दावा था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
पुलिस रिपोर्ट से पता चला कि 6 नवंबर को लतीफ अली के पास से लगभग 50 ग्राम हेरोइन, एक वजन तोलने वाली मशीन, नकदी और अन्य सामान मिला था। संजय कुमार से 9.60 ग्राम हेरोइन बरामद हुई।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने पुलिस रिपोर्ट, लतीफ अली से बरामद हेरोइन की मध्यम मात्रा और डिजिटल वजन मशीन का हवाला देते हुए जमानत आवेदनों का विरोध किया। उनका यह तर्क था कि आरोपी नशा तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिसका सबूत वित्तीय लेनदेन और सीडीआर आकलन से मिलता है। जमानत देने से जांच में बाधा आएगी, गवाहों को प्रभावित और सबूतों को नष्ट किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि प्रतिबंधित सामान की मात्रा के आधार पर एक्ट की धारा 37 लागू नहीं होती है। इसलिए अदालत दोनों को जमानत देती है, बशर्ते वे जमानत बांड और शर्तों को पूरा करें।
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लतीफ अली और संजय कुमार ने जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर कर तर्क दिया था कि वो निर्दोष हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और कथित प्रतिबंधित सामान की मात्रा व्यावसायिक नहीं है। दोनों का दावा था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
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पुलिस रिपोर्ट से पता चला कि 6 नवंबर को लतीफ अली के पास से लगभग 50 ग्राम हेरोइन, एक वजन तोलने वाली मशीन, नकदी और अन्य सामान मिला था। संजय कुमार से 9.60 ग्राम हेरोइन बरामद हुई।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने पुलिस रिपोर्ट, लतीफ अली से बरामद हेरोइन की मध्यम मात्रा और डिजिटल वजन मशीन का हवाला देते हुए जमानत आवेदनों का विरोध किया। उनका यह तर्क था कि आरोपी नशा तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिसका सबूत वित्तीय लेनदेन और सीडीआर आकलन से मिलता है। जमानत देने से जांच में बाधा आएगी, गवाहों को प्रभावित और सबूतों को नष्ट किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि प्रतिबंधित सामान की मात्रा के आधार पर एक्ट की धारा 37 लागू नहीं होती है। इसलिए अदालत दोनों को जमानत देती है, बशर्ते वे जमानत बांड और शर्तों को पूरा करें।