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आपदा से निपटने और बचाव कार्य में विशेषज्ञों की सलाह लें : डुल्लू
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- मुख्य सचिव ने प्रदेश में आपदा तैयारी और बचाव कार्यों की समीक्षा की
- प्रभावी आपदा तैयारी के लिए विशेषज्ञ नेतृत्व वाले शमन ढांचे की वकालत की
अमर उजाला ब्यूरो
जम्मू। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में आपदा तैयारी और बचाव कार्य को बढ़ाने संबंधी योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा बताए गए उपायों पर ध्यान देना चाहिए। कहा कि आपदा शमन एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जो सीधे तौर पर मानव जीवन और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित है। यह बिना किसी चेतावनी के आती है।
मुख्य सचिव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) सहित प्रमुख राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेहतर समन्वय बनाने की सलाह दी। कहा कि ऐसी एजेंसियों का विशेषज्ञ मार्गदर्शन जम्मू-कश्मीर में संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक शमन उपायों को बेहतर बनाने और संस्थागत क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण होगा।बैठक में पीडब्ल्यूूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष पेशेवर संस्थानों के माध्यम से विभागीय कर्मियों के क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर दिया। जम्मू और कश्मीर संभागों के दोनों आयुक्तों ने जमीनी स्तर पर तैयारियों को मजबूत करने में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (डीडीएमए) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
बैठक में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने, अचानक बाढ़ और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जैसी आपदाओं के प्रति जम्मू-कश्मीर की संवेदनशीलता का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत किया गया। इस दौरान डीएमआरआरएंडआर के प्रमुख सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आदि लोग मौजूद रहे।
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अमर उजाला ब्यूरो
जम्मू। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में आपदा तैयारी और बचाव कार्य को बढ़ाने संबंधी योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा बताए गए उपायों पर ध्यान देना चाहिए। कहा कि आपदा शमन एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जो सीधे तौर पर मानव जीवन और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित है। यह बिना किसी चेतावनी के आती है।
मुख्य सचिव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) सहित प्रमुख राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेहतर समन्वय बनाने की सलाह दी। कहा कि ऐसी एजेंसियों का विशेषज्ञ मार्गदर्शन जम्मू-कश्मीर में संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक शमन उपायों को बेहतर बनाने और संस्थागत क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण होगा।बैठक में पीडब्ल्यूूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष पेशेवर संस्थानों के माध्यम से विभागीय कर्मियों के क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर दिया। जम्मू और कश्मीर संभागों के दोनों आयुक्तों ने जमीनी स्तर पर तैयारियों को मजबूत करने में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (डीडीएमए) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
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बैठक में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने, अचानक बाढ़ और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जैसी आपदाओं के प्रति जम्मू-कश्मीर की संवेदनशीलता का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत किया गया। इस दौरान डीएमआरआरएंडआर के प्रमुख सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आदि लोग मौजूद रहे।