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Jammu News: मशरूम की खेती में मिसाल बन रहे अरनिया के राकेश कुमार
संवाद न्यूज एजेंसी, जम्मू
Updated Tue, 16 Sep 2025 02:34 AM IST
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कंट्रोल क्रॉपिंग यूनिट में मशरूम के बैग दिखाते राकेश कुमारस्रोत संवाद
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खेती को नुकसान के बाद भी मशरूम की खेती में डटे रहे
संवाद न्यूज एजेंसी
अरनिया। परंपरागत खेती से हटकर मशरूम उत्पादन को अपनाने वाले अरनिया वार्ड नंबर 4 के 50 वर्षीय किसान राकेश कुमार आज क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने मशरूम की खेती में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
राकेश कुमार ने 20 लाख रुपये की लागत से हाईटेक कंट्रोल क्रॉपिंग यूनिट का निर्माण किया। बैंक से लोन और कृषि विभाग की 40 प्रतिशत सब्सिडी की मंजूरी मिलने के बाद मार्च 2025 में उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की। हरियाणा के जगाधरी से मंगवाए गए 1500 लिफाफे कंपोस्ट पिट का तापमान समय रहते नियंत्रित कर पहली बार में ही 20 क्विंटल मशरूम की पैदावार कर ली।
हालांकि पहली फसल के दौरान उन्हें अधिक लाभ नहीं हुआ, लेकिन खेती की बारीकियां सीख लीं। इस बीच भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चलते प्रवासी मजदूर यूनिट छोड़कर चले गए। ऐसे में राकेश ने सीमा पर गोलीबारी के बीच भी अकेले ही यूनिट संभाली और 20 क्विंटल मशरूम की फसल सफलतापूर्वक तैयार की।
आज उनके यूनिट में 2000 लिफाफों में मशरूम तैयार हो रहे हैं, जो अगले 20 दिन में मंडी के लिए जाएंगे। अब तक वह मशरूम को 120 से 180 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेच चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहली खेती में दो लाख रुपये खर्च हुए जिसकी भरपाई पहली तुड़ाई से ही हो गई। हालांकि तापमान संबंधी दिक्कतों के चलते दूसरी और तीसरी तुड़ाई कमजोर रही।
राकेश कुमार ने 1997-98 में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद खेती शुरू की थी और लंबे समय तक 15 एकड़ जमीन पर धान-गेहूं की खेती करते रहे। वहीं सालभर कृषि से जुड़े रहने की इच्छा ने उन्हें मशरूम की ओर मोड़ा। उनका कहना है कि अनुशासन और तकनीकी ज्ञान के साथ मशरूम की खेती युवाओं के लिए रोजगार का सशक्त साधन बन सकती है।

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अरनिया। परंपरागत खेती से हटकर मशरूम उत्पादन को अपनाने वाले अरनिया वार्ड नंबर 4 के 50 वर्षीय किसान राकेश कुमार आज क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने मशरूम की खेती में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
राकेश कुमार ने 20 लाख रुपये की लागत से हाईटेक कंट्रोल क्रॉपिंग यूनिट का निर्माण किया। बैंक से लोन और कृषि विभाग की 40 प्रतिशत सब्सिडी की मंजूरी मिलने के बाद मार्च 2025 में उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की। हरियाणा के जगाधरी से मंगवाए गए 1500 लिफाफे कंपोस्ट पिट का तापमान समय रहते नियंत्रित कर पहली बार में ही 20 क्विंटल मशरूम की पैदावार कर ली।
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हालांकि पहली फसल के दौरान उन्हें अधिक लाभ नहीं हुआ, लेकिन खेती की बारीकियां सीख लीं। इस बीच भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चलते प्रवासी मजदूर यूनिट छोड़कर चले गए। ऐसे में राकेश ने सीमा पर गोलीबारी के बीच भी अकेले ही यूनिट संभाली और 20 क्विंटल मशरूम की फसल सफलतापूर्वक तैयार की।
आज उनके यूनिट में 2000 लिफाफों में मशरूम तैयार हो रहे हैं, जो अगले 20 दिन में मंडी के लिए जाएंगे। अब तक वह मशरूम को 120 से 180 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेच चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहली खेती में दो लाख रुपये खर्च हुए जिसकी भरपाई पहली तुड़ाई से ही हो गई। हालांकि तापमान संबंधी दिक्कतों के चलते दूसरी और तीसरी तुड़ाई कमजोर रही।
राकेश कुमार ने 1997-98 में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद खेती शुरू की थी और लंबे समय तक 15 एकड़ जमीन पर धान-गेहूं की खेती करते रहे। वहीं सालभर कृषि से जुड़े रहने की इच्छा ने उन्हें मशरूम की ओर मोड़ा। उनका कहना है कि अनुशासन और तकनीकी ज्ञान के साथ मशरूम की खेती युवाओं के लिए रोजगार का सशक्त साधन बन सकती है।