J&K: 'डराया-धमकाया जा रहा, इसलिए हुर्रियत से अलग हो रहे लोग, बात से हल होगा मसला'; बैन से नहीं, बोले उमर फारूक
हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि संगठनों का हुर्रियत से अलग होना दबाव और डर का नतीजा है, लेकिन मसले का हल सिर्फ बातचीत से ही संभव है।

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अलगाववादी संगठनों के एक-एक कर हुर्रियत से किनारा करने की घोषणा के बीच हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने चुप्पी तोड़ी है। कहा कि सभी को डराया-धमकाया जा रहा है, ऐसे में लोगों के पास और कोई रास्ता बचा ही नहीं है। अमर उजाला से फोन पर हुई बातचीत में मीरवाइज ने कहा कि पहली बात तो जो अलग हुए हैं, वे सैयद अली शाहर गिलानी के गुट के थे। अलग होने वालों का हमसे कोई वास्ता ही नहीं था। वैसे भी जो जाना चाहता है, अलग होना चाहता है, उसे कौन रोक सकता है।

हुर्रियत का जब गठन हुआ था तो कई संगठनों ने साथ मिलकर एक मजबूत अलगाववादी गठजोड़ बना लिया था। धीरे-धीरे हुर्रियत कमजोर पड़ रहा है। इसके घटक दल अलग हो रहे हैं। आठ अप्रैल को तीन प्रमुख संगठनों ने ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ लिया था। अभी कॉन्फ्रेंस इस झटके से उबर नहीं पाई थी कि जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट की अध्यक्ष फरीदा बहनजी ने हुर्रियत के दोनों गुटों से अलग होने की घोषणा कर दी।
कुल मिलाकर अब तक 12 संगठनों ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है। इनमें मुख्य रूप से डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, तहरीक-ए-इस्तिकलाल, जम्मू-कश्मीर साॅल्वेशन मूवमेंट, तहरीक-ए-इस्तिकामत, इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग, कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे संगठन भी शामिल हैं।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेताओं और संगठनों पर सख्त कार्रवाई की है। कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया, उनकी संपत्तियां जब्त की गईं। आतंकी वित्तपोषण के मामलों में जांच तेज हुई। इससे हुर्रियत की गतिविधियां करीब ठप हो गईं।
बात के बजाय बैन की हो रही बात
बैन को लेकर सवाल पर मीरवाइज कहते हैं, हमारे आईन में लिखा है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से बात करने में यकीन रखते हैं। मुझे 2019 से नजरबंद रखा गया। सितंबर 2024 में बाहर आया। इसके बाद से फिर लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। हम बात करने के लिए जितना जोर दे रहे हैं, उतने प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। अवामी लीग पर भी बैन लगाया, खैर वो मामला ट्रिब्यूनल में है।
राजनीतिक प्रक्रिया में उठ जाएगा लोगों का भरोसामीरवाइज ने कहा कि जिस तरह से दबाव बनाकर हुर्रियत को खत्म करने की कोशिश हो रही है, हमें हमारे नमाज पढ़ने तक के अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, यह सब गलत है। लंबे समय के बाद लोगों की सोच बदली।
लोग चुनाव में शामिल हुए और राजनीतिक प्रक्रिया में यकीन करने लगे। हुुर्रियत खत्म होगी तो हमारा भरोसा भी उठेगा। हमें लगेगा कि राजनीतिक समाधान हो ही नहीं सकता। फिर से हम उसी दौर में लौटने लगेंगे। हम राष्ट्रद्रोही नहीं हैं। हम भी चाहते हैं कि हमारा जो हिस्सा पाकिस्तान और चीन के पास है, उसे वापस लाएं और यह मसला बात से हल होगा।