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Jammu: भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष लाने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल सिन्हा पहुंचे रूस, दल का कर रहे हैं नेतृत्व
अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 18 Oct 2025 12:24 AM IST
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सार
सिन्हा भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वापस भारत लाने वाले उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। रूस के कलमीकिया गणराज्य के प्रमुख बटू खासिकोव ने उनका वहां स्वागत किया।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
- फोटो : बसित जरगर
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विस्तार
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शुक्रवार एक बेहद खास और ऐतिहासिक मिशन पर रूस पहुंच गए हैं। सिन्हा भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वापस भारत लाने वाले उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। रूस के कलमीकिया गणराज्य के प्रमुख बटू खासिकोव ने उनका वहां स्वागत किया।

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बौद्ध अवशेषों के जरिए सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की केंद्र की इस पहल के तहत कलमीकिया की राजधानी एलिस्टा में 11 अक्तूबर से प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी 18 अक्तूबर तक चलेगी। अपनी रवानगी से पहले उपराज्यपाल ने वीरवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर इस मिशन पर जाने की जानकारी देते हुए, उन्हें यह अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया था।
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रूसी गणराज्य में आयोजित आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शनी में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को औपचारिक रूप से कलमीकिया में प्रतिष्ठित किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और रूस के कलमीकिया गणराज्य के प्रमुख बटू खासिकोव ने किया था। संस्कृति मंत्रालय के बीटीआई अनुभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी भारत और रूस विशेष रूप से कलमीकिया के बौद्ध समुदाय के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है।
बौद्ध विरासत से जुड़ी तीन प्रदर्शनियां
- शाक्यों की पवित्र विरासत: आईबीसी की ओर से लगाई गई यह प्रदर्शनी कपिलवस्तु से लेकर आधुनिक समय में बुद्ध के पवित्र अवशेषों की खोज और प्राचीन यात्रा का गहन वर्णन प्रस्तुत करती है।
- वैश्विक डाक टिकट प्रदर्शनी : कर्नाटक में धारवाड़ के विनोद कुमार की ओर से लगाई गई इस प्रदर्शनी में बौद्ध विरासत की विश्वव्यापी पहुंच और प्रभाव को दर्शाने वाले 90 देशों के बौद्ध डाक टिकट प्रदर्शित किए गए हैं।
- बोधिचित्त - बौद्ध कला की निधि : राष्ट्रीय संग्रहालय और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की यह प्रदर्शनी समृद्ध बौद्ध कला और पांडुलिपि परंपराओं के साथ गहन जुड़ाव के बारे में बताती है।