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Leh Protest: हिंसक हुआ छठी अनुसूची को लेकर आंदोलन, लेह में कर्फ्यू; पूर्व डीजीपी बोले- यह एक सुनियोजित साजिश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू/लेह Published by: विजय पुंडीर Updated Thu, 25 Sep 2025 08:47 AM IST
सार

लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य दर्जे की मांग को लेकर लेकर शुरू हुआ आंदोलन बुधवार को हिंसा में बदल गया। लेह की सड़कों पर आग और आक्रोश देखने को मिला। इस हिंसा में चार लोगों मौत हो गई। 20 पुलिस कर्मियों समेत 70 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात तनावपूर्ण हैं और प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लगा दिया है।

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Leh Ladakh Protest Updates Violent protests in Ladakh, several people died
Lel Protest - फोटो : पीटीआई/एएनआई
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विस्तार
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लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य दर्जे की मांग को लेकर चल रहा अनशन बुधवार को हिंसक आंदोलन में तब्दील हो गया। तोड़फोड़, आगजनी और पथराव के बीच गुस्साए युवाओं ने भाजपा कार्यालय फूंक दिया। वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई। इस बीच पुलिस फायरिंग में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। 20 पुलिस कर्मियों समेत 70 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात तनावपूर्ण हैं और प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लगा दिया है। एहतियातन इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। 

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युवाओं को गुमराह किया गया: पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य
लेह के हिंसक प्रदर्शन पर जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा, "जिस तरह से भाजपा कार्यालय में आग लगाई गई, उसे निशाना बनाया गया, स्थानीय हिल काउंसिल को आग के हवाले कर दिया गया। सीआरपी पुलिस की गाड़ियों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। यह एक सुनियोजित साजिश लगती है। जिस तरह से कांग्रेस ने पथराव का समर्थन किया और बंद का आह्वान किया, मुझे नहीं लगता कि वे इसमें कोई सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। वे इस तरह की स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। युवाओं को गुमराह किया गया है। वे सोचते हैं कि वे किसी न्यायसंगत कारण के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन वास्तव में उनका शोषण किया जा रहा है।' 

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पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने आगे कहा, 'युवा बेरोजगारी और कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हालांकि, इन मुद्दों को निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार के ध्यान में लाया जा सकता है। बेरोजगारी की समस्या केवल लद्दाख में नहीं है। वे (युवा) सोचते हैं कि वे हिंसा के माध्यम से इसे हल कर सकते हैं। उन्हें अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वे योजनाएं शुरू करें और रोजगार के अवसर प्रदान करें।' 

हिंसा के पीछे साजिश, दोषियों पर करेंगे सख्त कार्रवाई : उपराज्यपाल
वहीं, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता का कहना है कि साजिश के तहत बाहर से आकर लोगों ने हिंसा को भड़काने का काम किया है। हिंसा के पीछे जो लोग जिम्मेदार हैं, उनकी पहचान की जाएगी। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। जो लोग लद्दाख की शांति भंग करने आए थे, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, प्रदेश में कर्फ्यू लगाया गया है। लद्दाख में शांतिपूर्ण व्यवस्था को कायम करने के लिए प्रयास किए गए हैं।

उपराज्यपाल ने बताया कि कुछ दिनों से लेह में अनशन चल रहा रहा था। अनशन लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है लेकिन इसकी आड़ में कुछ लोगों ने भड़काने का प्रयास किया। लद्दाख की तुलना बंगाल और नेपाल से कर इलाके में आगजनी की बात कही गई। क्षेत्र में आग लगाने की बात करना लोकतंत्र की व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने राजनीतिक दलों से शांति स्थापित करने और ऐसे तत्वों को चिह्नित करने की बात कही है।

क्या है छठी अनुसूची
संविधान की छठी अनुसूची में फिलहाल चार पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम शामिल हैं। यह अनुसूची शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संबंध में विशेष प्रावधान करती है।
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