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राज्यसभा चुनाव: एक-एक वोट हो गया अहम, अंत तक बढ़ी रहेंगी दावेदारों की धड़कनें; 2015 में एक वोट से जीते थे आजाद

गौरव रावत, अमर उजाला, जम्मू Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 24 Oct 2025 09:55 AM IST
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सार

राज्यसभा चुनाव के लिए एक-एक वोट अहम हो गया है। अंत तक दावेदारों की धड़कनें बढ़ी रहेंगी। 2015 में एक वोट से ही गुलाम नबी आजाद राज्यसभा चुनाव जीते थे। बराबर वोट मिलने पर पर्ची के जरिए विक्रम रंधावा और विजय बकाया एमएलसी बन चुके हैं।

Rajya Sabha Election 2025: Every Vote Crucial PDP Backs NC Contest Goes Down to Wire One-Vote Victory
जम्मू कश्मीर राज्यसभा चुनाव - फोटो : अमर उजाला
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राज्यसभा चुनाव में पीडीपी के खुलकर एनसी को समर्थन देने के बाद ऐसे समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं कि एक-एक वोट अहम हो गया है। जम्मू-कश्मीर में पहले भी राज्यसभ चुनावों में एक-एक वोट से हार जीत होती रही है। 
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विधान परिषद के चुनाव में तो दो बार ऐसे भी मौके आए जब दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलने पर पर्ची से हार-जीत का फैसला हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश मनहोत्रा बताते हैं कि सज्जाद लोन के चुनाव में भाग न लेने के एलान के बाद 87 विधायकों के चुनाव में वोट डालने की उम्मीद है। 
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59 गैर भाजपा विधायकों में से कोई क्रॉस वोटिंग करे, इसकी उम्मीद बहुत कम है। निर्दलीय विधायकों को मतदान करते समय किसे वोट दे रहे हैं, यह दिखाने की बाध्यता नहीं है। इसलिए एनसी का पूरा प्रयास रहेगा कि सभी निर्दलीय विधायक उसके प्रत्याशी को ही वोट करें। 

सात में से पांच निर्दलीय सरकार में एनसी को समर्थन भी दे रहे हैं। वहीं भाजपा की भी दो निर्दलीय विधायकों से अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करवाने की पूरी कोशिश रहेगी। इस स्तिथि को देखते हुए एक-एक वोट कीमती हो गया है। हार-जीत का अंतर भी एक-दो वोटों का ही रहेगा।
 

बता दें कि इससे पहले भी 2015 में हुए राज्यसभा चुनाव में भी ऐसे ही समीकरण बने थे, जब कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद मात्र एक वोट से चुनाव जीते थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी चंद्रमोहन शर्मा को हराया था। बताया जाता है कि वह अब के निर्दलीय सांसद और तत्कालीन विधायक इंजीनियर रशीद के वोट से चुनाव जीते थे।
 

पर्ची से जीतकर एमएलसी बन चुके हैं विधायक रंधावा
प्रदेश में विधान परिषद के चुनाव में दो बार ऐसा भी हो चुका है, जब बराबर वोट मिलने पर पर्ची से प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला हुआ हो। भाजपा विधायक विक्रम रंधावा बताते हैं कि 17 अप्रैल, 2017 को हुए विधान परिषद के चुनाव में वह भाजपा से एमएलसी पद के उम्मीदवार थे। चुनाव में उन्हें और उनके प्रतिद्वंदी पीडीपी प्रत्याशी को 29-29 वोट मिले। इसके बाद पर्ची से चुनाव का फैसला हुआ, जिसमें वह जीते।
 

पूर्व मुख्य सचिव विजय बकाया भी पर्ची से बने थे एमएलसी
प्रदेश के मुख्य सचिव रहे विजय बकाया एनसी से 2009 में एमएलसी का चुनाव लड़े थे। विजय बकाया के बेटे अभय बकाया बताते हैं कि उस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी गुलाम नबी मोगा थे। जब मतगणना हुई तो, उनके पिता और कांग्रेस प्रत्याशी मोगा को बराबर वोट मिले। 
 

इसके बाद पर्ची से चुनाव के नतीजे आए, जिसमें उनके पिता की जीत हुई। बता दें कि विजय बकाया एनसी सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला के सलाहकार भी रहे, 2020 में वे जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी से जुड़ गए।
 
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